Chopta – Mini Switzerland | चोपता – एक खूबसूरत हिल स्टेशन

हिमालय की तलहटी में बसे “भारत के स्विट्जरलैंड” के नाम से प्रसिद्ध “चोपता” (Chopta) में आकर्षक प्रकृतिक नज़ारे के बीच ले ट्रैकिंग का मजा

जब भी आप या कोई भी किसी छुट्टी की योजना बनाता है तो सबसे पहले उन्हें हिल स्टेशनों की ही याद आती है, ऐसे में हिल स्टेशनों पर पर्यटकों की भीड़ हो जाती है। और कभी-कभी यह आपके शांति और दुनिया से दूर प्रकृति के बीच मनाये जाने वाली छुट्टी में खलल भी डालता है। आपको नहीं लगता ऐसा? कोई बात नहीं अगर आपको कोई अलग ऐसे हिल स्टेशन की सैर पर जाना है जहाँ आप भीड़-भाड़ से दूर बस प्रकृति की गोद में अकेले समा जाना चाहते हों तो हमारे पास आपके लिए उसका भी हल है। जी हाँ, यहाँ हम बात करने वाले हैं उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में बसे छोटे से हिल स्टेशन चोपता की। चोपता (Chopta) जो मिनि स्विटजरलैंड के नाम से जाना जाता है, उत्तराखंड में 2600 मीटर की ऊंचाई पर एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। चोपटा से तुंगनाथ के लिए शॉर्ट ट्रेक है। तुंगनाथ (Tungnath) दुनिया का सबसे ज्यादा ऊंचाई (3600 मीटर) पर बना शिव मंदिर है। ये पंच केदार में से एक है जो चंद्रशिला पीक पर बना है।

Chopta image
mountains view from Chopta – Tungnath Trek

प्राकृतिक सौन्दर्य-

बारह से चौदह हजार फुट की ऊंचाई पर बसा ये क्षेत्र गढ़वाल हिमालय के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है। जनवरी-फरवरी के महीनों में आमतौर पर बर्फ की चादर ओढ़े इस स्थान की सुंदरता जुलाई-अगस्त के महीनों में देखते ही बनती है। इन महीनों में यहां मीलों तक फैले मखमली घास के मैदान और उनमें खिले फूलों की सुंदरता देखने योग्य होती है। इसीलिए अनुभवी पर्यटक इसकी तुलना स्विट्जरलैंड से करने में भी नहीं हिचकते। सबसे विशेष बात ये है कि पूरे गढ़वाल क्षेत्र में ये अकेला क्षेत्र है जहां बस द्वारा बुग्यालों की दुनिया में सीधे प्रवेश किया जा सकता है। यानि यह असाधारण क्षेत्र श्रद्धालुओं और पर्यटकों की साधारण पहुंच में है।

Chopta
Snowfall at Chopta

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चोपता शांत वातावरण की नम हवा तन-मन को तरोताजा कर देती है । चोपता का सुंदर प्राकृतिक नजारा मन को उत्साह और संतुष्ट से भर देने वाला होता है ।

सुबह के समय जब सूर्य की किरणें हिमालय के पर्वतों पर पड़ती है तो प्रकृति का नजारा और भी ज्यादा आकर्षक हो जाता है । चोपता बुग्याल की पृष्टभूमि के लिए जाना जाता है । बुग्याल दूर तक फैले हरे-भरे घास के सुंदर मैदान होते हैं । चोपता में कस्तूरी मृग, मोनाल पक्षी, पिका माउस जैसे हिमालय के दुर्लभ प्रजातियों को देखा जा सकता है । चोपता से तुंगनाथ और चंद्रशिला के लिए पैदल यात्रा शुरू होती है । यहां से नंदा देवी, त्रिशूल पर्वत और चौखंबा की पहाड़ियों का सुंदर व स्पष्ट नजारा देखने को मिलता है । यहां पर छोटे – बड़े झरने भी देखे जा सकते हैं ।

यहां चारों तरफ बुरांश, बॉस और देवदार के पेड़ों का जंगल देखने को मिलता है । बुरांश और बांस के पेड़ों के बीच से पक्षियों की मधुर आवाज ऐसे मालूम पड़ती है जैसे प्रकृति ही कोई इंस्ट्रूमेंट बजाकर मधुर ध्वनि निकाल रही हो ।

चोपता में फोटोग्राफी, ट्रेकिंग, कैंपिंग, स्नो स्कीइंग, रॉक क्लाइंबिंग जैसी एक्टिविटी का मजा लिया जा सकता है ।

कैसे पहुँचें (How to Reach Chopta) –

यात्रि नई दिल्ली से बस सेवाओं का लाभ उठा के चोपता तक पहुँच सकते हैं। पौड़ी, ऋषिकेश, उत्तरकाशी, गौरीकुंड, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, और गोपेश्वर से चोपता के लिए टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाहैं। इस खूबसूरत स्थल से हिमालय की नंदादेवी, त्रिशूल एवं चौखम्बा पर्वत श्रृंखला के विहंगम दृश्य दिखते हैं। देहरादून से यह लगभग 246 किलोमीटर और ऋषिकेश से लगभग 211 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और दोनों ही जगहों से चोपता पहुँचने के लिए आप नेशनल हाईवे 58 द्वारा पहुँच सकते हैं।

दिल्ली से चोपता तक की दूरी करीब 440 किलोमीटर पड़ती है । चोपता के सबसे नजदीक एयरपोर्ट जैली ग्रांट है, जो कि 221 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । चोपता देहरादून से 246 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । चोपता जाने का सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो कि 202 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । l इसके बाद बस, टैक्सी और जीप के द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है । चोपता ऋषिकेश, पौड़ी, उत्तरकाशी, गोपेश्वर, गौरीकुंड, रुद्रप्रयाग होते हुए पहुंचा जा सकता है ।

जब सूर्य की किरणें हिमालय की चोटियों पर पड़ती हैं तो यहां की सुबह काफी मनोरम लगती है। रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से 9,515 फुट की ऊंचाई पर बसे चोपता को गांव और कस्बे में से किसी भी खांचे में नहीं डाल सकते। चोपता बुग्यालों की पृष्ठभूमि को दर्शाता है। बुग्याल दूर-दूर तक फैले मखमली हरे-हरे घास के मैदान होते हैं। भारत का यह छोटा स्विट्ज़रलैंड हर साल कई क्रियाओं और साहसिक कार्यक्रमों का आयोजन भी करता है, जैसे; ट्रेकिंग, कैंपिंग, स्नो स्कीइंग, रॉक क्लाइम्बिंग आदि।

Chopta
Route Tungnath

चोपता तुंगनाथ ट्रेक का प्रारंभिक केंद्र है। इस क्षेत्र में जंगलों और घास के मैदानों को पार करते हुए कई अन्य ट्रेकिंग के भी रास्ते हैं।

भगवान शिव का तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple) –

tungnath mandir image

Source: Google Search

तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple) ऊँचाई पर पहाड़ों के बीच स्थित है । इसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 12 हजार फीट है । तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिसे पांडवों ने बनाया था । तुंगनाथ मंदिर चौपता के पास एक ऐसी जगह है, जहां पर ठंड के मौसम में बर्फबारी का मजा लेने के साथ ही अध्यात्म से भी रूबरू हुआ जा सकता है । तुंगनाथ मंदिर पंच केदारो में से एक बताया जाता है । ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए इसी जगह पर तपस्या की थी । अप्रैल-मई के महीने में भी लोग यहाँ दर्शन के लिए आते है । नवंबर के महीने में यहां बर्फबारी के साथ बुरांश के फूल का सुंदर नजारा देखने को मिलता है, जो लोग बर्फबारी का मजा लेना चाहते हैं, वे नवंबर से फरवरी के बीच यहां दर्शन के लिए आ सकते हैं ।

चंद्रशिला चोटी (Chandrashila Peak) –

chandrashila choti image chopta

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तुंगनाथ मंदिर से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर चंद्रशिला चोटी स्थित है । यहां पैदल ही जाया जाता है । चंद्रशिला की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 14 हजार फीट है । इतनी ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से यहां पर कभी-कभी ऑक्सीजन की कमी भी महसूस होने लगती है । चंद्रशिला से हिमालय इतना पास मालूम पड़ता है कि जैसे लगता है कि बस हाथ बढ़ाकर इसे छुआ जा सकता है ।

देवरिया ताल (Devariya Taal)

devriya taal chopta
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देवरिया ताल चोपता से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यह तुंगनाथ मंदिर के उत्तर दिशा में पड़ता है । देवहरिया ताल से चौखंबा और नीलकंठ के बर्फ से ढके पर्वत देखे जा सकते हैं । देवरिया ताल के एक तरफ बांस सुरांश के खूबसूरत जंगल देखने को मिलते हैं तो दूसरी तरफ बुग्याल के मखमली हरे घास का मैदान है ।

फोटोग्राफी (Photography in Chopta)

 

chopta photo
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जो लोग प्रकृति के सौंदर्य को कैमरे में कैद करना चाहते हैं या फिर जो लोग फोटोग्राफी के शौकीन हैं उनके लिए यहां का प्राकृतिक वातावरण बेहद आकर्षक है । यहां की प्रकृति की सुंदर तस्वीरें को कैमरे में कैद किया जा सकता है । सुबह के समय सूर्य की पहाड़ों पर पड़ती किरणों से पहाड़ बेहद आकर्षक लगते है और प्राकृतिक का यह एक अलग ही अद्भुद नजारा होता है । इसे फोटोग्राफी के शौकीन लोग कैमरे में कैद करते हैं ।

कैंपिंग (Camping in Chopta)

camping in chopta

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चोपता में कैंपिंग का मजा लिया जा सकता है । जो लोग प्रकृत के साथ वक्त बिताना चाहते हैं उनके लिए यह एक बेहतरीन जगह है । यहां पर परिवार और दोस्तों के साथ प्रकृति की गोद में कैंप का मजा लिया जा सकता है । यहां के शांत वातावरण और हरे-भरे सुंदर घास के मैदान योगा और मेडिटेशन करने के लिए एक उपयुक्त जगह है । चोपता एक ऐसी जगह है जहां पर तापमान कभी भी 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होता है । इसलिए मौसम चाहे ठंड का हो या गर्मी चौपता आने का प्लान करें तो अपने साथ कुछ गर्म कपड़े जरूर रखें, क्योंकि मौसम कोई भी हो यहां पर गर्म कपड़े की जरूरत महसूस हो सकती है । चौपता के आसपास केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारण, चंद्रशिला, हरिदेवरिया ताल, अत्रि मुनि जलप्रपात आदि भी जाया जा सकता है ।

कैसा होगा ट्रैकिंग रुटीन (Chopta Trek)-

 

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Tungnath on a winter morning

चोपटा (Chopta) जो मिनि स्विटजरलैंड के नाम से जाना जाता है, उत्तराखंड में 2600 मीटर की ऊंचाई पर एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। चोपटा से तुंगनाथ के लिए शॉर्ट ट्रेक है। तुंगनाथ दुनिया का सबसे ज्यादा ऊंचाई (3600 मीटर) पर बना शिव मंदिर है। ये पंच केदार में से एक है जो चंद्रशिला पीक पर बना है। कहा जाता है कि ये मंदिर 1000 साल पुराना है और इससे रिलेटेड कुछ किस्से महाभारत में भी बताए गए हैं।

तुंगनाथ से 1 घंटे की दूरी पर चंद्रशिला पीक (4130 मीटर) है जहां से हिमालय रेंज और पीक का ब्रेथटेकिंग व्यू दिखता है। चोपटा से ट्रेक करते हुए घने जंगलों में आपको बर्ड्स की 76 से भी ज्यादा अलग स्पीशीज देखने मिलेंगी। इस ट्रैक पर आसपास की और भी पीक का मजा लें जिसमें चौखंबा, नंदा देवी, त्रिशूल, केदार और भी कई पीक शामिल हैं। आपको ट्रेक पर गोल्डन ब्रेस्टेड ईगल भी दिखेंगे जो हिमायल में ही पाए जाते हैं। चोपटा से तुंगनाथ एक तरफ 1 से 1.30 घंटे की ट्रेक है। तुंगनाथ से चोपटा शाम तक वापस आ सकते हैं।

यात्रा के लिए समय (Best time to Visit Chopta)-

मई से जुलाई और सितम्बर से नवम्बर के महीनों के दौरान यहाँ का वातावरण बड़ा ही शानदार और शांत सुखमय होता है। चोपता,जिसे छोटे स्विट्ज़रलैंड के नाम से जाना जाता है, की प्राकृतिक खूबसूरती को देखना किसी सपने के पूरा होने से कम नहीं है।

आवासीय सुविधाएं –

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Source : Google Search

गोपेश्वर और ऊखीमठ, दोनों स्थानों पर गढ़वाल मंडल विकास निगम के विश्रामगृह हैं। इसके अलावा प्राइवेट होटल, लॉज, धर्मशालाएं भी हैं जो सुगमता से मिल जाती हैं। चोपता में भी आवासीय सुविधा उपलब्ध है और यहां पर स्थानीय लोगों की दुकानें हैं।

धरती पर यहां स्वर्ग बसता है

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Piyush Kothyari

Hi there, I'm Piyush, a proud Uttarakhand-born author who is deeply passionate about preserving and promoting the culture and heritage of my homeland. I am Founder of Lovedevbhoomi, Creative Writer and Technocrat Blogger.

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