कश्मीर जैसे वादीयों का लुफ़्त लेना हो तो आए पिथौरागढ़

हिमालय के पहाड़ों का प्राकृतिक मनोरम दृश्य और छोटा कश्मीर देखने चले पिथौरागढ

पिथौरागढ़ देवभूमि उत्तराखंड (Pithoragarh in Uttarakhand) के पूर्व में स्थित एक सीमांतर जिला है,जिसके उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल और दक्षिण में अल्मोड़ा जिला तथा उत्तर- पश्चिम में चमोली जिला लगता है । पिथौरागढ़ को उत्तराखंड के प्रसिद्ध हिल स्टेशन के तौर पर जाना जाता है । यह दिल्ली से 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तथा समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1650 मीटर है । पिथौरागढ़ को सोरघाटी के नाम से भी जाना जाता है । सोर का अर्थ होता है – सरोवर ।

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ऐसा कहा जाता है कि पहले यहां पर सात सरोवर थे और इस लिए इस जगह को सोरघाटी के नाम से जाना जाता था । परंतु सरोवरों का पानी सूख जाने के बाद यह जगह पठारी भूमि में तब्दील हो गई और पिथौरागढ़ के नाम से जाना जाने लगी । पिथौरागढ़ को “छोटा कश्मीर” भी कहा जाता है । पिथौरागढ़ के नाम के संबंध में कई कहानियां प्रचलित हैं । कहा जाता है कि स्थानीय चंद्र शासक के राजा पिथौरा चंद्र के नाम पर इस जगह का नाम पिथौरागढ़ रखा गया था । वही एक अन्य स्थानीय लोक कहानी में यह भी कहा जाता है कि दशकों तक यहां पृथ्वीराज चौहान का शासन था और उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम पिथौरागढ़ रख दिया गया ।

पिथौरागढ़ का संबंध पांडवों से भी रहा है । पांडव पुत्र नकुल के नाम पर उन्हें समर्पित नकुलेश्वर नामक मंदिर है । पिथौरागढ़ में ‘शरद कालीन उत्सव’ उत्साह से मनाया जाता है, जिसमें सुंदर झांकियां निकलती है और सुंदर नृत्य देखने को मिलता है । पिथौरागढ़ सीमान्त जिला होने की वजह से इसके कुछ महत्वपूर्ण जगहों पर जाने के लिए प्रशासन से परमिट लेना पड़ता है ।

HIljatra in Pithoragarh
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पिथौरागढ़ में हिलजात्रा का महोत्सव मनाया जाता है । यह महोत्सव हर साल भाद्र महीने में गौरा महेश्वर पर गौरव महेश्वर पर्व के आठ दिन बाद हिलजात्रा का उत्सव आयोजित होता है । मुख्य रूप से यह उत्सव कृषि से संबंधित है । इसमें मुखौटा नृत्य नाटक होता है, जिसका कुख्यात पात्र लाखिया भूत भगवान शिव का सबसे प्रिय गण बीरभद्र माना जाता है । पिथौरागढ़ आने वाले सैलानी यहां के जूतों और ऊन के वस्त्रों को काफी पसंद करते हैं ।

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पिथौरागढ़ के प्राकृतिक वातावरण में बिताएँ कुछ पल सुकुन के

पिथौरागढ़ की प्रमुख जगह (Hill Station in Pithoragarh)

पिथौरागढ़ उत्तराखंड के प्रमुख हिल स्टेशन के तौर पर जाना जाता है । कैलाश मानसरोवर की यात्रा यहीं से आरंभ होती है ।

चंडाक (Chandak)

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चंडाक में सुंदर प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलता है । यह पिथौरागढ़ से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यह वह जगह है जहां से पिथौरागढ़ की घाटी का नजारा बहुत ही खूबसूरत और मनोरम लगता है । पर्यटक यहां पिकनिक मनाने के लिए भी आते है ।

उल्का देवी मंदिर (Ulka Devi Temple)

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उल्का देवी मंदिर पिथौरागढ़ से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यह मंदिर राधा कृष्ण को समर्पित है तथा यहां भारी संख्या में भक्तजन दर्शन के लिए आते हैं । यहां से 1 किलोमीटर की दूरी पर रायगुफा और भटकोट है ।

थल केदार (Thal Kedar) –

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थल केदार मंदिर भगवान शिव जी का मंदिर है । यह सुंदर तीर्थ स्थल पिथौरागढ़ से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यहां हर साल शिवरात्रि पर एक विशाल मेले का आयोजन होता है । यहां से 20 किलोमीटर की दूरी पर शिवपुरी नामक एक सुंदर प्राकृतिक गुफा है । इस गुफा का मुहाना काफी छोटा है । ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन का व्यक्ति चाहे वह कितना भी मोटा हो इस गुफा के मुहाने के पार कर लेता है, वही जो व्यक्ति मन में दुर्भावना रखता है वह कितना भी पतला क्यों ना हो इसमें फंस जाता है !

पिथौरागढ़ का किला (Pithoragarh Fort) –

पिथौरागढ़ के किले को लंदन फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है । इसका निर्माण गोरखों ने 18वीं शताब्दी में कराया था । यह एक ऐतिहासिक धरोहर है । पिथौरागढ़ का किला एक प्रमुख पर्यटन स्थल है । यहां से कुमाऊं का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है । थलकेदार मंदिर के सम्बंध में और जानने कि लिए इस लिंक को देखें- प्राकृतिक सौन्दर्य से सजा तीर्थ स्थल – थलकेदार मंदिर

कपिलेश्वर महादेव मंदिर (Kapileshwar Mahadev Temple) –

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गुफा के अंदर प्राकृतिक चट्टान से निर्मित कपिलेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव का मंदिर है । यह पिथौरागढ़ से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यहां से सोरघाटी और बर्फ से ढके हिमालय का आकर्षक नजारा देखा जा सकता है । यहां से ध्वज मंदिर को भी देखा जा सकता है । ध्वज मंदिर – ध्वज मंदिर भगवान शिव और देवी जयंती का मंदिर है । इसका अपना ही आध्यात्मिक महत्व में है । यह पिथौरागढ़ का एक सुंदर स्थल है । यहां से हिमालय का सुंदर नजारा दिखाई पड़ता है । ध्वज की गिनती अत्यंत लुभावने स्थलों में की जाती है ।

अस्कोट अभ्यारण (Askot) –

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पिथौरागढ़ में कस्तूरी हिरण को संरक्षित करने के लिए अस्कोट कस्तूरी मृग अभ्यारण है । यह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है । इस अभ्यारण में हिम तेंदुआ, जंगली बिल्ली, छोटे सिग वाला बारहसिंघा,गोल सिंग वाला बारहसिंघा, सफेद भालू, काला भालू, कस्तूरी मृग आदि देखे जा सकते हैं । इस अभ्यारण में हिमालय की बर्फ में पाया जाने वाला मुर्गा, तीतर तथा यूरोपियन तीतर जैसे पक्षी देखने को मिलते है ।

गंगोलीहाट (Gangolihat)

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गंगोलीहाट सरयू गंगा और रामगंगा नदियों के बीच स्थित है । गंगोलीहाट में हाट कालिका मंदिर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है । गंगोलीहाट में कई सारे प्राचीन मंदिर भी है । गंगोलीहाट के बारे में और अधिक जानकारी लिए देखे – गंगोलीहाट : हाट कालिका मंदिर आम जनमानस के साथ सेना के जवानो का भी है आस्था का केंद्र

पिथौरागढ़ जाने का उपयुक्त समय 

पिथौरागढ़ जाने के लिए अप्रैल से जून तथा सितंबर से नवंबर तक का समय काफी उपयुक्त रहता है ।

कैसे पहुंचे (How to reach Pithoragarh)

पिथौरागढ़ जाने के लिए फ्लाइट, ट्रेन तथा बस की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो जाती है । पिथौरागढ़ के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा पंत नगर हवाई अड्डा है । रेल मार्ग के रास्ते पिथौरागढ़ पहुँचना हो तो सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन टकनपुर रेलवे स्टेशन है, यहां से पिथौरागढ़ जाने के लिए आसानी से टैक्सी और बस की सुविधा उपलब्ध है । अगर सड़क मार्ग से जाना चाहे तो पिथौरागढ़ के लिए दिल्ली, देहरादून, नैनीताल आदि शहरों से नियमित रूप से बस संचालित होती रहती है ।

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आगे पढ़े ….रानीखेत नहीं देखा तो क्या देखा ? वादियों का मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य

Reference ::

https://en.wikipedia.org/wiki/Pithoragarh

Piyush Kothyari

Hi there, I'm Piyush, a proud Uttarakhand-born author who is deeply passionate about preserving and promoting the culture and heritage of my homeland. I am Founder of Lovedevbhoomi, Creative Writer and Technocrat Blogger.

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