जाने रहस्यमय शिव मंदिर के बारे में जहाँ विज्ञान भी फेल हैं
आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बता रहे हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में विज्ञान भी फेल हो जाता है। तो चलिए जानते हैं कि ऐसा शिव मंदिर कहा हैं और इसकी मान्यता क्या है –
ये शिव मंदिर उत्तराखंड के जिला पिथौरागढ़ जिसे सोर घाटी और मिनी कश्मीर के नाम से भी जाना जाता है, से लगभग ६-७ कि ० मी ० दूर चंडाक में स्थित मोस्टामानू मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं। मोस्टामानू देवता को इस क्षेत्र के आराध्य देवता की तरह पूजा जाता हैं। मोस्टामानू देवता को बारिश का देवता माना जाता है।
इस मंदिर के इतिहास के बारे में जाने तो कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक नेपाली संत ने करवाया था जो नेपाल से आए थे और फिर यही रहने लग गए थे, जिसके कारण इसे पशुपति नाथ मंदिर की प्रतिकृति भी कहा जाता है।मोस्टामानू देवता को भगवान इंद्र और माता कालिका के पुत्र के रूप में माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव का रूप होने की वजह से अगर मोस्टा देवता नाराज हो गए तो सर्वनाश हो जाएगा।
मोस्टामानू मंदिर में हर साल एक विशाल भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें विशाल भीड़ इकट्ठा होकर इस मेले को भव्य रूप प्रदान करती है। कहा जाता है कि मेले के दौरान मोस्टामानू देवता का डोला निकलते समय बारिश हमेशा होती है और इसे सालभर की बारिश का अच्छा प्रतीक माना जाता है। लोगो का मानना है कि मोस्टामानू देवता के प्रसन्न होने पर पर्याप्त बारिश और अच्छी फसल होती हैं। अच्छी फसल होने पर सबसे पहले मोस्टामानू देवता को फसल चड़ाने की परंपरा आज भी यहां मौजूद हैं। इस विशाल मंदिर और मेले को देखने के लिए देसी और विदेशी पर्यटक काफी संख्या में आते हैं और इस मेले में शामिल होकर मोस्टामानू देवता का आशीर्वाद ग्रहण करते हैं।
इस मंदिर की सबसे आश्चर्जनक बात ये है कि इस मंदिर परिसर में एक गोल आकार का पत्थर रखा हुआ है।कहा जाता है कि इस पत्थर को तब तक नहीं उठाया जा सकता जब तक भगवान शिव के मंत्रों का जाप ना किया जाए फिर वो कोई बाहुबली ही क्यों ना हो और जो ऐसा करने में सफल होता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। इस पत्थर के विषय में काफी वैज्ञानिकों ने खोज की परन्तु किसी को भी आज तक इसके रहस्य का पता नही चला है। ये आज तक रहस्य हैं कि भगवान शिव का जाप करने से ही पत्थर कैसे उठता है। इस पत्थर को उठाने के लिए काफी लोग प्रयत्न करते हैं और कुछ लोगो को सफलता मिल जाती है और कुछ लोगो को नहीं। इस पत्थर को उठाने और देखने के लिए भी काफी लोगों की भीड़ एकत्र होती हैं।
मोस्टामानू मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच में स्थित है। मोस्टामानू मंदिर चारों ओर देवदार के घने वृक्षों के साथ हिमालय से घिरा हुआ घाटी के बीच में ऊंचाई में स्थित हैं, जो इसे भव्य मनमोहकता प्रदान करता है। इस मंदिर परिसर से पूरे पिथौरागढ़ शहर का विहंगम दृश्य दिखाई देता है जो की मनमोह लेने वाला होता है। इस मंदिर परिसर में एक विशाल झूला भी हैं जिसमें पर्यटक झूला झूलते हैं और काफी आनंदित होते है। ये एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी हैं। यहां आकर मन को एक शांति और सुकून का अनुभव होता है।
आशा करता हूं कि आपको ये लेख पसंद आया होगा।
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