देवभूमि में जागर का महत्व उत्तराखंड को ऐसे ही देवभूमि नहीं कहा जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार समस्त 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास यहीं है। इन सभी देवी-देवताओं का हमारी संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है। कहा जाता है कि ये देवी-देवता हर कष्ट का निवारण करने के लिये किसी पवित्र शरीर के माध्यम से लोगों के बीच आते हैं और उनका कष्ट हर लेते हैं। जागर उत्तराखण्ड के गढ़वाल और कुमाऊँ मंडलों में प्रचलित पूजा पद्धतियों में से एक है। पूजा का यह रूप नेपाल के पहाड़ी भागों में…
Read MoreCategory: कुमाउँनी फसक
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” भिटौली ” उत्तराखंड की एक विशिष्ट परंपरा
वास्तव में उत्तराखंड एक बेमिसाल राज्य है। यहां मनाए जाने वाले हर त्यौहार के पीछे इसकी कोई ना कोई लोक कथा जरूर होती है या उस त्यौहार का सीधा संबंध प्रकृति से होता है। यहां पर कई अनोखी और विशिष्ट परंपराएं हैं। अनेक अनूठी परंपराओं के लिए पहचाने जाने वाले उत्तराखण्ड राज्य में मायके -ससुराल के प्रेम की एक अनूठी ‘भिटौली’ देने की प्राचीन परंपरा है। पहाड़ में सभी विवाहिता बहनों को जहां हर वर्ष चैत्र मास का इंतजार रहता है, वहीं भाई भी इस माह को याद रखते हैं…
Read Moreप्रसिद्ध कुमाऊनी और गढ़वाली मुहावरे [Latest 2020] | Pahari Muhavare
Pahari Muhavare, Pahadi Quotas , Pahadi Status दोस्तो जेसे की लवदेवभूमी साइट का असली मकसद हैं, उत्तराखंड की परंपरा, धार्मिक मान्यता, भाषा, संस्कृति, रीति रिवाज और पर्यटन जैसे सभी खूबसूरत एवं परंपरागत विधाओं को देश विदेश तक पहुंचाना है। इसी की ओर एक कदम बढ़ाते हुए आज हम आपके लिए उत्तराखंड की प्रसिद्ध और सुनने में खूबसूरत लगने वाली बोली पहाड़ी, कुमाऊनी और गढ़वाली भाषा के कुछ प्रसिद्ध मुहावरे (Pahari Quotas) लाए हैं, जिनका अपना महत्व है – आपण-मैतक-ढूँग-लै-प्यार हूँ। हिंदी अर्थ – अपने मायके का पत्थर भी प्यारा लगता…
Read Moreजानिए कहाँ मनायी जाती है उत्तराखंड की विश्वविख्यात होली
होली का त्यौहार हिन्दू धर्म से संबंधित है। हिंदुस्तान में इस त्यौहार को केवल हिंदू लोग ही मनाते हैं, लेकिन उत्तराखंड में इस त्यौहार को सभी धर्मों के लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं। उत्तराखंड में होली का त्यौहार सबसे ज्यादा लोकप्रिय त्यौहार माना जाता है। उत्तराखंड की सबसे ज्यादा प्रसिद्ध होली अल्मोड़ा जिले की मानी जाती है। उत्तराखंड की होली देखने और मनाने के लिए काफी संख्या में विदेशी पर्यटक भी यहां आते हैं और होली के रंग में रंग जाते हैं। चलिए दोस्तो आज हम आपको उत्तराखंड की…
Read Moreजाने देवभूमि उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के प्रसिद्ध पकवान
देवभूमि उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के प्रसिद्ध पकवान जो स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी होते हैं…. देवभूमि उत्तराखंड के सुंदर प्राकृतिक नजारे मन को शांति देते हैं । यहां पर एक सुकून सा मिलता है । शहरों की भीड़ भाड़ से दूर उत्तराखंड के विभिन्न हिल स्टेशन पर लोग छुट्टियां बिताने के लिए आते हैं । यहां का प्राकृतिक मनमोहक वातावरण मन को सुकून देता है। उत्तराखंड की वादियों में घूमने का एक अलग ही मजा होता है । उत्तराखंड के छोटे छोटे हिल स्टेशनों और प्राकृतिक…
Read Moreदेवभूमि उत्तराखंड की प्रतिभाएं जिन्होंने अपने अभिनय से बॉलीवुड में विशेष मुकाम हासिल किया
देवभूमि उत्तराखंड की कई प्रतिभाओं ने बॉलीवुड में अपने एक्टिंग के दम पर नाम कमाया है और देव भूमि उत्तराखंड का नाम रोशन किया है । आज हम जानेंगे कुछ ऐसे कलाकारों के बारे में जिन्होंने बॉलीवुड में अपनी काबिलियत के दम पर पहचान बनाई है, शुरुआत करते है सायरा बानो से – सायरा बानो Source: Google Search सायरा बानो का जन्म 23 अगस्त 1944 को मसूरी उत्तराखंड में हुआ था । इस समय सायरा बानो की उम्र 75 वर्ष है । सायरा बानो को ग्लैमरस गुड़िया भी कहा जाता…
Read MoreThalkedar Temple Pithoragarh | प्राकृतिक सौन्दर्य से सजा तीर्थ स्थल – थलकेदार मंदिर
Thalkedar Temple Pithoragarh| प्राकृतिक सौन्दर्य से सजा तीर्थ स्थल उत्तराखंड राज्य के पिथोरागढ़ (Pithoragarh) जन-पद में कई सारे तीर्थ स्थल हे जैसे की महाकाली मंदिर , थलकेदार मंदिर, ध्वज मंदिर , पाताल भुवन्व्श्वर , शिराकोट मंदिर , लटेश्वर मंदिर , ॐ पर्वत , कोठगढ़ी मंदिर , कपलेश्वर महादेव मंदिर , लम्ब्केस्वर महादेव मंदिर आदि यह सभी अलग अलग मंदिर एक कहानी समेटे हुए हें आइये जानते हें ऐसे ही एक कहानी थलकेदार मंदिर (Thalkedar Temple) की | थलकेदार :: नेसर्गिक सोंदर्य एवं सुषमा से सजा सवरा यह स्थान पिथोरागढ़ जन-पद…
Read Moreउत्तराखंड की देवभूमि में रचे बसे काफल की मार्मिक कहानी | Kafal Fruit Story
Kafal Fruit Story :: उत्तराखंड की देवभूमि में रचे बसे काफल की मार्मिक कहानी अगर आप उत्तराखंड से हे तो मेरी तरह काफल आपको भी बहुत पसंद होंगे यह स्वादिष्ट फल अपने आप में बहुत कहानिया समेटे हुए हे आइये जानते हे एसे ही एक कहानी के बारे में : काफल पर एक कहावत उत्तराखंड में मशहूर हैं काफल पक्को मी नी चक्खो इसका मतलब यह हे की काफल पक गये हे पर मेने नही चखे पर क्या आप इस कहावत के बारे में जानते हे, अगर नही तो हमारी यह…
Read MoreHistory of Uttarakhand | उत्तराखण्ड का इतिहास
History of Uttarakhand | उत्तराखण्ड का इतिहास | Uttarakhand History in Hindi उत्तराखण्ड का इतिहास पौराणिक है। स्कन्द पुराण में हिमालय को पाँच भौगोलिक क्षेत्रों में विभक्त किया गया है:- खण्डाः पञ्च हिमालयस्य कथिताः नैपालकूमाँचंलौ। केदारोऽथ जालन्धरोऽथ रूचिर काश्मीर संज्ञोऽन्तिमः॥ अर्थात् हिमालय क्षेत्र में नेपाल, कुर्मांचल (कुमाऊँ), केदारखण्ड (गढ़वाल), जालन्धर (हिमाचल प्रदेश) और सुरम्य कश्मीर पाँच खण्ड है। पौराणिक ग्रन्थों में कुर्मांचल क्षेत्र मानसखण्ड के नाम से प्रसिद्व था। पौराणिक ग्रन्थों में उत्तरी हिमालय में सिद्ध गन्धर्व, यक्ष, किन्नर जातियों की सृष्टि और इस सृष्टि का राजा कुबेर बताया गया हैं। कुबेर की राजधानी अलकापुरी (बद्रीनाथ से ऊपर) बतायी जाती है। पुराणों के अनुसार राजा कुबेर…
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