| Roopkund lake mystery | रूपकुंड झील उत्तराखंड के हिमालयन क्षेत्र में समुद्र तल से 5000 मीटर की उंचाई पर हैं। इस झील को कंकालों वाली झील भी कहा जाता है, क्योंकि इसके आस पास कई प्रकार के कंकाल बिखरे हुए हैं। चलिए जानते हैं क्या है इन कंकालों (Roopkund skeleton) की कहानी? हम लोगों को कंकालों वाली झील के बारे में बहुत सारे दंत कहानियां सुनने को मिली हैं।लेकिन कंकालों वाली झील के बारे में जो सबसे लोकप्रिय कहानी है वह यह है कि एक राजा और रानी की…
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जाने अब तक कितने हें कोरोना वायरस के चपेट में देवभूमि उत्तराखंड से ? | Corona News
Corona News [Uttarakhand news in Hindi] उत्तराखंड को पर्यटन स्थल के तौर पर जाना जाता है । हजारों की संख्या में देश और विदेशों से पर्यटक देवभूमि उत्तराखंड की मनमोहक वादियों में घूमने और प्रकृति के सुंदर नजारों को देखने के लिए सैप भर आते रहते हैं । लेकिन एक वायरस के चलते उत्तराखंड का पर्यटन व्यापार बुरी तरीके से प्रभावित हो रहा है क्योंकि एतिहातन उत्तराखंड लॉक डाउन कर दिया गया था । जैसा कि मालूम है कोरोनावायरस जिसे COVID 19 के नाम से भी जाना जा रहा है,…
Read Moreजागर का महत्व: उत्तराखंड में इनके बुलाने पर देवताओं को आना पड़ता है
देवभूमि में जागर का महत्व उत्तराखंड को ऐसे ही देवभूमि नहीं कहा जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार समस्त 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास यहीं है। इन सभी देवी-देवताओं का हमारी संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है। कहा जाता है कि ये देवी-देवता हर कष्ट का निवारण करने के लिये किसी पवित्र शरीर के माध्यम से लोगों के बीच आते हैं और उनका कष्ट हर लेते हैं। जागर उत्तराखण्ड के गढ़वाल और कुमाऊँ मंडलों में प्रचलित पूजा पद्धतियों में से एक है। पूजा का यह रूप नेपाल के पहाड़ी भागों में…
Read Moreप्रसिद्ध कुमाऊनी और गढ़वाली मुहावरे [Latest 2020] | Pahari Muhavare
Pahari Muhavare, Pahadi Quotas , Pahadi Status दोस्तो जेसे की लवदेवभूमी साइट का असली मकसद हैं, उत्तराखंड की परंपरा, धार्मिक मान्यता, भाषा, संस्कृति, रीति रिवाज और पर्यटन जैसे सभी खूबसूरत एवं परंपरागत विधाओं को देश विदेश तक पहुंचाना है। इसी की ओर एक कदम बढ़ाते हुए आज हम आपके लिए उत्तराखंड की प्रसिद्ध और सुनने में खूबसूरत लगने वाली बोली पहाड़ी, कुमाऊनी और गढ़वाली भाषा के कुछ प्रसिद्ध मुहावरे (Pahari Quotas) लाए हैं, जिनका अपना महत्व है – आपण-मैतक-ढूँग-लै-प्यार हूँ। हिंदी अर्थ – अपने मायके का पत्थर भी प्यारा लगता…
Read Moreलंबकेश्वर महादेव जहाँ लंकेश कर बैठा अपनी सबसे बढ़ी भूल
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि इस महादेव के स्थान का लंका के राजा लंकेश यानी रावण से कुछ ना कुछ संबंध जरूर होगा। जी हां आप लोग सही सोच रहे हैं। दोस्तो मैंने जब इस जगह या स्थान के बारे में सुना तो मुझे भी बड़ा आश्चर्य हुआ कि महादेव का ऐसा स्थान कहा हैं और इसकी क्या मान्यता हैं और जब मैने इसके बारे में जानकारी जुटाई तो सच में दोस्तों मैं स्तब्ध रह गया और मैंने उसी समय सोच लिया था कि मैं…
Read Moreअंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जाने देवभूमि उत्तराखंड की कुछ प्रसिद्ध महिलाओं के बारे मे
हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है । महिला दिवस मनाने का मकसद महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना है । महिला दिवस के अवसर पर चलिए जानते हैं उत्तराखंड की उन महिलाओं के बारे में जिन्होंने अपने हिम्मत और हौसले के दम से यह साबित कर दिया कि महिलाएं पुरुषों से कम नहीं है – गौरा देवी – गौरा देवी का जन्म देवभूमि उत्तराखंड के चमोली जिले में 1925 में हुआ था । जब इनकी उम्र मात्र 11 वर्ष थी…
Read Moreऐपन : उत्तराखंड की कला संस्कृति
ऐपन (Aipan) का शाब्दिक अर्थ लिपना या सजावट से है जो किसी मांगलिक या धार्मिक अवसर पर की जाती है | हमारे उत्तराखंड में एपण का अत्यधिक महत्व है उत्तराखंड की ये संस्कृति सभी शुभ कार्यों से पूर्व देहली में, देवताओं के स्थानों पर, मंदिरों और त्योहारों में पवित्र स्थानों पर बनाई जाती हे। इन ऐपणो को बनाने के लिए सबसे पहले ऐपन वाले स्थान पर गेरू (लाल मिट्टी) से लिपाई की जाती है फिर सूख जाने पर चावल को भिगाकर एवं पीसकर उसमें पानी डालकर उसे पतला कर लिया…
Read Moreशिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव की ज़रूरत
मन का विचलित हो उठना भी शुभ संकेत है तभी आप उन कारणों को तलाशने की कोशिश करते हो और जब कारण का पता चल जाए तो आप उसका हल निकाल ही लेते हो | ऐसे ही एक सुबह मेरा मन अपने प्राथमिक विद्यालय जाने का हुआ, पता करने पर ज्ञात हुआ कि अब न तो पहले जैसी छात्र संख्या रही हें और ना ही शिक्षक संख्या, स्कूल बंद होने की कगार पर खड़ा है| मन कुंठित हो उठा यह जानकर कि न सिर्फ मेरे स्कूल का यह हाल है…
Read Moreकौतिक – कुमाउँनी संस्कृति का अभिन्न अंग
सांस्कृतिक पर्व – उत्सव किसी भी देश की वो रंगीन धरोहर होते हैं जो वहाँ की कलात्मक परंपरा की सोंदर्यता का चित्रण एक अलग ही अंदाज़ में बयान करते हैं. और जब ऐसी कलात्मक संस्कृति का परिचय हो तो भारत उसमे अग्रणी स्थान अर्जित करता हैं. भारत के सभी राज्यों में ऐसी परंपरा के रुझान को सुचारु रूप से सक्रिय रखने में एक अभूतपूर्व उत्सव के तौर कई छोटे और बड़े पैमाने पर समय समय में विभिन्न लोक – सांस्कृतिक पर्वो को मनाया जाता हैं. और यही देश की विभिन्ता…
Read Moreउचित संवाद सकारात्मक बदलाव के लिए जरूरी है
अक्सर आजकल लोग दो पीढ़ियों के बीच जनरेशन गैप आने की बात करते हैं परंतु मेरा मानना है कि उससे कहीं ज्यादा हानिकारक होता है कम्युनिकेशन गैप यानी कि खुलकर बातचीत का ना होना | आज जीवन में बढ़ती व्यस्तता के साथ, गांव से शहरों की ओर पलायन होने से पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच यह कम्युनिकेशन गैप बढ़ता ही जा रहा है जिसकी वजह से कई सारी गलतफहमियां एवं मतभेद पैदा हो गए हैं जैसे कि जहां पुरानी पीढ़ी, नई पीढ़ी को मॉडर्न यानी कि आधुनिकता एवं…
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