प्राचीन ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल का केंद्र अल्मोड़ा (Almora)
अल्मोड़ा उत्तराखंड का एक जिला है । यह कुमाऊं मंडल के अंतर्गत आता है । अल्मोड़ा की समुद्र तल से ऊंचाई 1646 मीटर है । अल्मोड़ा एक पहाड़ी नगर है जो दोनों तरफ से पहाड़ों की चोटियों पर बसा है । अल्मोड़ा नगर के नीचे कोसी और सुयाल नदियां बहती हैं । अल्मोड़ा कुमाऊँ हिमालय के लगभग घोड़े की काठी के आकार में हिमालय के दक्षिणी किनारे पर है । यह जिस पहाड़ी चोटी पर स्थित है उसके पूर्वी भाग को तेलीफट और पश्चिमी भाग को सेलिफट के नाम से जाना जाता है ।
स्कंद पुराण के मानस कांड में कहा गया है कि कौशिका (कोसी) और शाल्मली (सुयाल) नदी के बीच में एक पावन पर्वत अल्मोड़ा पर्वत स्थित है । कहा जाता है कि कभी इस पर्वत पर भगवान विष्णु का निवास हुआ करता था । भगवान विष्णु का कूर्मावतार इसी अल्मोड़ा पर्वत पर हुआ था । स्थानीय कहानियों में कहा जाता है कौशिकी देवी ने शुंभ और अशुंभ नाम के दो दानव को इसी स्थान पर मारा था ।
हम कह सकते हैं कि अल्मोड़ा प्राचीन समय से ही धार्मिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व का क्षेत्र रहा है । साहित्य और सांस्कृतिक दृष्टि से अल्मोड़ा पूरे कुमाऊँ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है । अल्मोड़ा अपने आप में ऐतिहासिक विरासत को समेटे हुए हैं और साथ ही अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है । इसकी प्राकृतिक खूबसूरती पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाती है ।
अल्मोड़ा अपने आप मे प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही प्राचीन ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल का केंद्र है
अल्मोड़ा की सुंदर वादियाँ कई जगह अपने आपने आप मे ऐतिहासिक विरासत लिए हुए है साथ ही उनकी प्राकृतिक सुंदरता मन मोह लेती है । उन्ही में कुछ जगहों के बारे में आइये जानते है –
कैंची –
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कैंची अल्मोड़ा के भुवालीगड के बाई तरफ भुवाली नामक जगह से 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित है । कहा जाता है कि यह स्थान वहाँ के सिद्ध प्रसिद्ध नीम करौली बाबा के प्रिय स्थानो में से था । वह गर्मियों के मौसम में यहां रहते थे । उनके भक्तों ने उस स्थान पर हनुमान जी का विशाल मंदिर बनवाया और अन्य देवी देवताओं के साथ ही नीम करौली बाबा की भी मूर्तियां स्थापित करवाई है । कैंची से थोड़ा आगे हल्द्वानी काठगोदाम और अल्मोड़ा के बीच में गर्मपानी नाम का स्थान पड़ता है, जो बहुत प्रसिद्ध है । गरमपानी नामक स्थान अपने पहाड़ी भोजन के लिए ज्यादा जाना जाता है । यहां का रायता, आलू के हल्दी के रंगए गुटके, हरी सब्जियां, पहाड़ी खीरे, मूली, अदरक बहुत प्रसिद्ध हैं ।
जागेश्वर धाम –
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जागेश्वर धाम अल्मोड़ा से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है । यह मंदिर अपनी प्राचीन विरासत की सुंदरता के साथ ही आध्यात्मिकता का केंद्र है । यहां पर छोटे-बड़े लगभग 250 मंदिर पास पास ही हैं । पर्यटक यहां इन मंदिरों को देखने के लिए आते रहते हैं ।
नंदा देवी मंदिर –
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गढ़वाल कुमाऊं की एक मात्र कुलदेवी हैं, जिन्हें भगवती नंदा पार्वती के नाम से जाना जाता है । संपूर्ण पर्वतीय क्षेत्र में नंदा अष्टमी के दिन विशेष पूजा होती है । नंदा देवी की मूर्ति को केले के पत्तों और केले के तने से बनाई जाती है और उनकी सवारी निकाली जाती है । नंदा अष्टमी भद्र पक्ष यानी की सितंबर महीने मे पड़ता है । अल्मोड़ा में नंदा देवी के साथ ही रघुनाथ मंदिर, महावीर मंदिर, भैरवनाथ मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर, उलका देवी मंदिर, मुरली मनोहर मंदिर, रत्नेश्वर मंदिर भी प्रसिद्ध है ।
कसार देवी मंदिर –
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कसार देवी मंदिर अल्मोड़ा शहर से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां से हिमालय की चोटियों का सुंदर नजारा देखने को मिलता है । कसार देवी का मंदिर दुर्गा जी का मंदिर है और कहा जाता है ईसा से दो वर्ष पहले इस मंदिर की स्थापना हुई थी अर्थात यह भी एक प्राचीन मंदिर है ।
ब्राइट एंड कॉर्नर –
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अल्मोड़ा के बस स्टेशन से दो किलोमीटर की दूरी पर कब हूरी पर ब्राइट एंड कार्नर नाम का अद्भुत स्थल है । यहां पर प्रकृति प्रेमी सूर्य के उगने और डूबने का सुंदर नजारा देखने के लिए आते हैं । ब्रिटेन में एक स्थान ब्राइट बीच है, जहां से सूर्य के उगने और डूबने का सुंदर नजारा दिखता है और इसी बीच के नाम से इस जगह का नाम ब्राइट एंड कॉर्नर पड़ गया ।
कटारमल का सूर्य मंदिर –
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अल्मोड़ा का कटारमल का सूर्य मंदिर अपनी बनावट के लिए जाना जाता है । कहा जाता है कि यहां पर हिमालय के समस्त देवता गण एकत्र होकर सूर्य की पूजा करते हैं । इस मंदिर में सूर्य पद्मासन लगाकर बैठे हैं । यहाँ के सूर्य की मूर्ति 12वीं शताब्दी के आसपास बनाई गई थी, जो कि एक मीटर लंबी और पौने मीटर चौड़ी, भूरे रंग के पत्थर से बनी हुई मूर्ति है । कोणार्क के सूर्य मंदिर के बाद अल्मोड़ा के कटारमल का सूर्य मंदिर प्रसिद्ध है ।
उपत –
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अल्मोड़ा और रानीखेत के मार्ग में उपत नाम का सुंदर स्थल है, जहां से पूरे कुमाऊं क्षेत्र का सबसे सुंदर नजारा ज्यादा आकर्षक लगता है । उपत में 9 कौनो वाला एक बड़ा गोल्फ का मैदान है । गोल्फ प्रेमी यहां पर गोल्फ का आनंद लेने के लिए आते हैं ।
सिमतोला –
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सिमतोला अल्मोड़ा शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसे एक पिकनिक स्थल के रूप में ज्यादा जाना जाता है । इस पिकनिक स्थल को पर्यटकों का स्वर्ग कहते हैं, क्योंकि यहाँ प्रकृति की सुंदरता का अनोखे नजारे लेने के लिए पर्यटक यहां पर आते रहते हैं ।
प्रसिद्ध व्यंजन –
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कुमाऊं क्षेत्र और विशेषकर अल्मोड़ा की प्रसिद्ध मिठाई बाल मिठाई है जो कि देश भर में मशहूर है । यह स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिक भी होती है । इससे खोया और चीनी के द्वारा बनाया जाता है । यहाँ के आलू के गुटके भी बहुत प्रसिद्ध है । आलू के गुटके को स्नैक्स के तौर पर जाना जाता है । उबले हुए आलू के टुकड़ों को जखिया का तड़का लगाकर मसाले और लाल मिर्च में भूनाजाता है और हल्दी पाउडर डाला जाता है फिर धनिया पत्ती के साथ परोसा जाता है । इससे चाय के साथ स्नैक्स के रूप में भी लोग खाना पसंद करते है । यहाँ के अन्य व्यंजनों की जानकारी के लिए देखे –जाने देवभूमि उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के प्रसिद्ध पकवान
कैसे पहुंचे –
अल्मोड़ा दिल्ली से 376 किलोमीटर की दूरी पर है तथा नैनीताल से 67 किलोमीटर की दूरी पर है । अल्मोड़ा को राष्ट्रीय राजमार्ग 109 हल्द्वानी, रानीखेत और कर्णप्रयाग से जोड़ने का काम करता है । अल्मोड़ा का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है तथा सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जहां पहुँचने के बाद अल्मोड़ा के लिए बस और टैक्सी की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो जाती है ।
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