जाने देवभूमि उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के प्रसिद्ध पकवान
देवभूमि उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के प्रसिद्ध पकवान जो स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी होते हैं….
देवभूमि उत्तराखंड के सुंदर प्राकृतिक नजारे मन को शांति देते हैं । यहां पर एक सुकून सा मिलता है । शहरों की भीड़ भाड़ से दूर उत्तराखंड के विभिन्न हिल स्टेशन पर लोग छुट्टियां बिताने के लिए आते हैं । यहां का प्राकृतिक मनमोहक वातावरण मन को सुकून देता है। उत्तराखंड की वादियों में घूमने का एक अलग ही मजा होता है ।
उत्तराखंड के छोटे छोटे हिल स्टेशनों और प्राकृतिक सुंदरता के बारे में सब जानते हैं । लेकिन क्या आप यहाँ के स्थानीय पकवान के बारे में जानते है ? इन पहाड़ी वादियों का खानपान थोड़ा अलग होता है जो यहां रहने वालों की जरूरत के साथ-साथ इनकी पहचान भी है । उत्तराखंड का गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र सुंदर वादियों के साथ अपने पकवानों के लिए भी जाना जाता है । यहां पर इंडो – आर्यन और इंडो – ईरानी सभ्यता का मेल देखने को मिलता है, जो यहां के संस्कृति और खानपान की आदतों में भी देखने को मिल जाती है । यहां के शाकाहारी और मांसाहारी पकवान स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होते हैं । आइए जानते हैं गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के कुछ प्रचलित पकवानों के बारे में –
झंगोरी की खीर (Jhangora ki Kheer)-
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झंगोरी की खीर को मीठे पकवान के तौर पर जाना जाता है । इसे झंगोरी नामक स्थानीय बाजरे से बनाया जाता है जो काफी पौष्टिक होता है । इसमें काजू, किसमिस, बादाम डाल देने से यह और ज्यादा स्वादिष्ट और पौष्टिक बन जाता है ।
सिंगोरी (Singhori) –
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उत्तराखंड की सबसे फेमस डेजर्ट के तौर पर सिंगोरी को जाना जाता है । इसे कुमाऊं का गौरव भी कहते हैं । सिंगोरी को कन्टेस्ड मिल्क से बनाया जाता है । इसे मोलू के पत्ते में लपेटा जाता है और मोलू के पत्ती की सुगंध इसके स्वाद को और बढ़ा देती है ।
गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के प्रसिद्ध पकवान
जाखिया चावल (Jakhiya Rice) –
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गढ़वाल के लोगों को ज्यादातर रोटी के तुलना में चावल खाना पसंद होता है । यहां के लोग जाखिया के भुने हुए चावल को खाना बहुत पसंद करते हैं । जाखिया देखने में सरसों की तरह होता है । सामान्यता चावल बनाने के बाद चावल को जाखिया के साथ भुना जाता है जिससे चावल स्वादिष्ट और कुरकुरा हो जाता है ।
गहत के पराठे (Gahat ke Paranthe) –
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गहत को असल में दाल की एक प्रजाति है । सुबह के नाश्ते में गहत दाल के पराठे यहां पर खूब प्रचलित है । गहत गर्म तासीर का होता है और इसीलिए पहाड़ी मौसम की अनुकूल है ।गहत की दाल को पीसकर स्टाफ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है फिर गेंहू या फिर मंडवे के आटे में इसको बनाते है । आमतौर पर मंडवे की आटे का ही इसे बनाने में इस्तेमाल होता है । इसे ज्यादातर भांग की चटनी के साथ में खाना पसंद करते हैं ।
भांग की चटनी (Bhang ki Chutney) –
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देवभूमि उत्तराखंड का कोई भी भोजन करें उसे भांग की चटनी के साथ खाने से ह और स्वादिष्ट हो जाता है । भांग की चटनी खट्टे नमकीन और तीखे के मिक्स फ्लेवर की होती है ।
आलू का झोल (Aloo Tamatar ka Jhol) –
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आलू का झोल वैसे से गढ़वाल का पकवान कहा जाता है लेकिन इसको भारत भर में कही भी आसानी से बनाया जा सकता है । इसको बनाना बहुत आसान होता है । आलू का झोल बनाने में आलू और टमाटर ही प्रमुख रूप से इस्तेमाल होता है । इसको बनाने के लिए आलू को उबाल कर हल्का सा मैश कर दिया जाता है और टमाटर को बारीक काट लेते है । प्याज लहसुन जीरे का तड़का दे कर उसमें मैश किया हुआ आलू और टमाटर फ्राई कर के उसमे पानी डाल देते है । नमक और मिर्च को स्वाद के अनुसार डालते है और उबलत लेते है जब तक ग्रेवी गाढ़ी न हो जाये । इसे एक स्वादिष्ट सब्जी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है ।
काछमौली (Kachmauli) –
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पहाड़ो के सर्द मौसम की वजह से यहाँ नॉनवेज भी खूब पसंद किया जाता है । काछमौली मटन से बना हुआ पकवान है । यह खूब तीखा और मसालेदार होता है । इसको बनाने के लिए पहले मटन को भूना जाता है । इसमें ग्रेवी कम रखी जाती है ।
काफली (Kafuli) –
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काफल एक स्वादिष्ट व पौष्टिक व्यंजन है । इसे बनाने में प्रमुख रूप से पालक और मेथी के पत्ते का इस्तेमाल होता है । पालक और मेथी के पत्ते को एक लोहे के बर्तन में पकाया जाता है और स्वाद बढ़ाने के लिए नमक व मसाले मिलाते हैं । इसकी ग्रेवी को बनाने के लिए गेहूं या चावल के पेस्ट में पानी मिलाकर उबाल कर गाढ़ा करके तैयार किया जाता है ।
कुमायानी रायता (Kumaoni Raita) –
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कुमायनी रायता अपने स्वाद के लिए जाना जाता है । इसको बहुत आसानी से बनाया जा सकता है । थोड़ी सी दही में खीरे को कद्दूकस करके डाल दे और हरी मिर्च, राई का तड़का दे दे, फिर थोड़ी सी हल्दी और नमक को स्वाद अनुसार डाल दे, लाल मिर्च और धनिया पत्ती से गार्निश कर दे ।
अरसा (Arsa) –
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इसको गुड, चावल और सरसों के तेल से बनाया जाता है । एक स्थानीय मिठाई है । इसको बनाने के लिए चावल को थोड़ी देर भिगा देते है । फिर चावल से पानी छानकर अलग कर दें । पानी जब सूख जाए तो इसे पीसकर पाउडर बना लें । गुड को पानी में उबालकर चासनी तैयार कर ले और फिर चावल के पाउडर से आटा तैयार करके इससे छोटी-छोटी बॉल बनाकर सरसों के तेल में डीप फ्राई कर दें और फिर इसे चासनी में डाल दे ।
भट्ट की चुरकानी (Bhatt ki Churkani)-
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भट्ट की चुरकानी भट्ट की दाल से बनाई जाने वाली कुमाऊं की एक पारंपरिक पकवान है । इस काले बीन्स की फलियां बेहद सुगंधित और पोषणयुक्त होती है । ठंढे मौसम की यह एक बेहतरीन डिश है जो विटामिन्स, प्रोटीन और खनिज तत्वों से भरपूर होती है ।
आलू के गुटके (Aaloo key Guthkey)-
आलू के गुटकों को अगर पहाड़ी स्नैक्स कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। आलू के गुटके एक ऐसा पहाड़ी व्यंजन है जिसे आप किसी भी समय कम समय में बना सकते हैं। उत्तराखंड में आलू के गुटके हर त्योहार में बनाए जाते हैं जिसमें से होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें हर घर में ये स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किया जाता है। इसको बनाने के लिए उबले हुए आलू को तब तक पकाया जाता है जब तक कि आलू का हर टुकड़ा अलग- अलग ना हो जाए। इसमें पानी का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जाता है। आलू के टुकड़ों के अच्छे से पकने के बाद इसमें स्वादानुसार नमक, जीरा, लाल भुनी हुई मिर्च और धनिया के पत्तों के साथ इसे परोसा जाता है। स्वाद में वृद्धि के लिए इसको पहाड़ी भांग की चटनी के साथ खाया जाता है।
मंडुवे की रोटी (Mandue ki Roti)
मंडुवे में बहुत ज्यादा फाइबर होता है, इसलिए इसकी रोटी स्वादिष्ट होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी होती है। मंडुवे की रोटी भूरे रंग की बनती है, क्योंकि इसका दाना गहरे लाल या भूरे रंग का होता है। मंडुवे की रोटी को घी, दूध या भांग व तिल की चटनी के साथ परोसा जाता है, लेकिन इसका सबसे अच्छा और लोकप्रिय तरीका हैं मडुवे की रोटी में घी लगाकर गुड़ के साथ खाने का।
बाल मिठाई (Baal Mithai)
बाल मिठाई उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की और पड़ोसी कुमाऊं हिल्स की प्रमुख विशेषता है। ये मिठाई भूरे रंग के चॉकलेट की तरह दिखती हैं, जिसे खोया को भून कर उसे सफेद चीनी गेंदों के साथ लेपित कर बनाया जाता है| यह भारत के हिमालयी राज्य उत्तराखंड मुख्यतः अल्मोड़ा क्षेत्र की एक प्रसिद्ध मिठाई है |
बाड़ी (मंडुवे का फीका हलुवा) (Badhi)
बाड़ी उत्तराखंड के सबसे प्रमुख व्यंजनों में से एक है। इसे मंडुवे के आटे से बनाया जाता है। मंडुवे के आटे को पानी में घी के साथ अच्छे से पकाया जाता है। इसे फाणू अथवा तिल की चटनी के साथ भी खाया जाता है। बाड़ी में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं।
देवभूमि उत्तराखंड के कुछ स्थानीय व्यंजन (गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के प्रसिद्ध पकवान) के संबंध में यह जानकारी आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं तथा इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें
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आप को बहोत बहोत धन्यवाद इस अच्छी एवं ज्ञानबर्धक जानकारी के लिए . आगे भी हमें इस प्रकार की रचनाओं से हमारा ज्ञान बढ़ाते रहें. धन्यवाद
Thanks a lot…