क्या आप जानते हैं  उत्तराखंड का एकमात्र घाट जहाँ सूर्यास्त के बाद भी जलती हैं चिताएं ?

अल्मोड़ा के इतिहास के बारे में जाने तो अल्मोड़ा कुमाऊँ हिमालय श्रृंखला की एक पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। अल्मोड़ा की स्थापना राजा बालो कल्याण चंद ने 1568 में की थी। अल्मोड़ा, कुमाऊं  पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। अल्मोड़ा को धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक आस्था की दृष्टि से यहां कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी ख्याति देश विदेशो में भी हैं। वैसे तो अल्मोड़ा के बारे में कई रोचक जानकारियां मौजूद है लेकिन आज जो हम आप लोगो को बताने जा रहे हैं वो एक ऐसी जानकारी हैं जिसे शायद बहुत कम लोग जानते होंगे। ये जानकारी हैं अल्मोड़ा विश्वनाथ घाट के बारे में जिसे जानकर आपको भी अल्मोड़ा के इस घाट का महत्व पता चल जाएगा।

प्राचीन ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल का केंद्र अल्मोड़ा (Almora)

varanasi ghat विश्वनाथ घाट
Source : Google Search (मणिकर्णिका घाट)

श्री विश्वनाथ घाट अनादिकाल से अल्मोड़ा लमगड़ा मार्ग पर स्थित हैं। हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है लेकिन अल्मोड़ा के श्री विश्वनाथ घाट में किसी भी समय अंतिम संस्कार किया जा सकता है। इस घाट का सबसे बड़ा महत्व ये हैं कि इस घाट पर सूर्यास्त के बाद भी अंतिम संस्कार किया जा सकता हैं जो कि पूरे भारत में केवल दो ही जगह किया जाता है। एक वाराणसी के श्री विश्वनाथ घाट जिसको मणिकर्णिका घाट के नाम से भी जाना जाता है और दूसरा उत्तराखंड में अल्मोड़ा के श्री विश्वनाथ घाट में। ऐसा माना जाता हैं कि इस घाट पर जिस किसी का भी अंतिम संस्कार किया जाता हैं उसको सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह दोबारा कभी जन्म नहीं लेता है। इसलिए इसे  मोक्ष प्राप्ति वाला घाट भी कहा जाता हैं |

इस घाट में भगवान शिव औघड़ रूप में विराजते हैं जो मृत व्यक्ति के कान में तारक मंत्र देकर उसको मोक्ष की प्राप्ति करवाते हैं, मान्यता है कि जिस दिन इस घाट पर शव नहीं आते हे तो कंबल जलाया जाता है।

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श्री विश्वनाथ घाट में भगवान शिव का विशाल मंदिर स्थित है जहां पर महाशिवरात्रि में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है और इस मेले को देखने के लिए पर्यटकों की काफी भीड़ रहती हैं। 

आशा करता हूं कि आपको ये रोचक जानकारी पसंद आयी होगी आगे पढ़े जानिए  उत्तराखंड के सबसे खबसूरत गाँवों के बारे में

Piyush Kothyari

Hi there, I'm Piyush, a proud Uttarakhand-born author who is deeply passionate about preserving and promoting the culture and heritage of my homeland. I am Founder of Lovedevbhoomi, Creative Writer and Technocrat Blogger.

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