हेमकुंड साहिब सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी का तपस्थल
चलिए जानते हैं, हेमकुंड साहिब सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह की तपस्थल के बारे में
हम सभी जानते हैं कि लॉकडाउन के कारण सभी मंदिरों में ताला बंद कर दिया गया था, लेकिन कुछ दिनों से बहुत सारे मंदिरों के ताला खोल दिए गए हैं। हेमकुंड साहिब का कपाट 36 दिनों के लिए खोला गया है,जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि 10 अक्टूबर को कपाट बंद कर दिया जाएगा। हेमकुंड साहिब के साथ-साथ लक्ष्मण मंदिर का कपाट भी खोला गया है। जिससे यहां पर यात्रियों का काफी भीङ उमङ रहा है।
जानते हैं हेमकुंड साहिब मंदिर की ऊंचाई
हेमकुंड साहिब का मंदिर 15225 फीट की ऊंचाई पर है।
ये सिखों का पवित्र और सबसे ऊंचे तीर्थस्थल है । हेमकुंड साहिब में आजकल श्रद्धालुओं की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है अभी तक हेमकुंड साहिब में लगभग 5250 श्रद्धालु दर्शन करने आ गए है।
कितने दिनों के लिए खोला गया हेमकुंड साहिब का कपाट
इस साल कोरोना वायरस के बढते प्रकोप को देखते हुए 4 सितंबर को ही हेमकुंड साहिब के कपाट को खोल दिया गया है और 10 अक्टूबर को बंद भी कर दिया जाएगा।हेमकुंड साहिब के गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के वरिष्ठ प्रबंधक सेवा सिंह ने बताया की हेमकुंड साहिब का कपाट हमेशा चार महीना मे 10 दिन के लिए खोला जाता था।
चलीऐ जानते है, हेमकुंड साहिब कि मान्यता
हेमकुंड साहिब का नाम हम लोगों ने जरूर सुना है ये सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने पूर्व जन्म में दुष्टदमन के रूप में यहां पर बैठकर तपस्या किया था। गुरुवाणी में लिखा गया है कि गुरु गोविंद सिंह ने हिमाच्छादित सात पर्वतों के बीच सरोवर के किनारे तपस्या कीया था। जिसमें से हेमकुंड साहिब सरोवर भी एक है।
अब जानते हैं, लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के बारे में
इस सरोवर के किनारे लोकपाल लक्ष्मण मंदिर भी है। लक्ष्मण मंदिर को लेकर लोगों का मान्यता है कि पूर्व जन्म में लक्ष्मण ने यहां बैठकर शेषनाग के रूप में तपस्या कीया था।
हेमकुंड साहिब किस तरह पहुंचा जा सकता है
हेमकुंड साहिब जाने के लिए सबसे पहले ऋषिकेश से 280 किमी गोविंदघाट तक गाड़ियों से आने के बाद यहां से पुलना तक 4 किलोमीटर सड़क का रास्ता बहुत अच्छा है जिससे की गाड़ी या पैदल आसानी से जाया जा सकता है।पुलना गांव से हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया की दूरी 10 किलोमीटर है। उसके बाद वहां से हेमकुंड साहिब की दूरी 6 किलोमीटर है। वहां से लोग पैदल या घोड़े, डंडी, कंडी से लोग यात्रा कर सकते है। हेमकुंड साहिब यात्रा का बस कैंप हेमकुंड से छह किमी पहले घांघरिया है। इस रूट पर पर्याप्त रहने खाने की व्यवस्थाएं हैं।
हेमकुंड साहिब में फूलों की घाटी भी है
हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया से फूलों की घाटी के लिए वहां से अच्छा रास्ता है।घांघरिया से फूलों की घाटी की दूरी कम से कम 3 किलोमीटर है, लोग वहां पैदल भी जा सकते हैं।फूलों की घाटी में 530 प्रजाति के फूल खिलते हैं। 2005 में यह घाटी विश्व धरोहर घोषित हुई।
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