Thalkedar Temple Pithoragarh | प्राकृतिक सौन्दर्य से सजा तीर्थ स्थल – थलकेदार मंदिर
Thalkedar Temple Pithoragarh| प्राकृतिक सौन्दर्य से सजा तीर्थ स्थल
उत्तराखंड राज्य के पिथोरागढ़ (Pithoragarh) जन-पद में कई सारे तीर्थ स्थल हे जैसे की महाकाली मंदिर , थलकेदार मंदिर, ध्वज मंदिर , पाताल भुवन्व्श्वर , शिराकोट मंदिर , लटेश्वर मंदिर , ॐ पर्वत , कोठगढ़ी मंदिर , कपलेश्वर महादेव मंदिर , लम्ब्केस्वर महादेव मंदिर आदि यह सभी अलग अलग मंदिर एक कहानी समेटे हुए हें आइये जानते हें ऐसे ही एक कहानी थलकेदार मंदिर (Thalkedar Temple) की |
थलकेदार :: नेसर्गिक सोंदर्य एवं सुषमा से सजा सवरा यह स्थान पिथोरागढ़ जन-पद से लगभग २४ km पर स्थित हें | चारों और बांज वृक्ष के वनों के बीच ऊँची पहाड़ पर स्थित यह स्थल अत्यधिक यादगार हैं | इस खुबसूरत पहाड़ में वर्षभर अनेक पर्यटक घूमने आते हैं| शिवरात्रि के उत्सव में यहाँ भव्य मेले का आयोजन होता हे जो श्रध्दालुजनों को बढ़ी संख्या अपनी और आकर्षित करता हे | भौगोलिक वैज्ञानिको के अनुसार यह मंदिर डोलोमाइट चट्टान में हे जो की लगभग १००० वर्ष पुरानीं हे जो की जम्मू में स्थित माँ वैष्णो देवी के मंदिर के बराबर हे, थलकेदार पैदल मार्ग द्वारा एंचोली व् नकुलेश्वर मंदिर होते हुए पंहुचा जा सकता हें |
थलकेदार के बारे में यह कहा जाता हें की महाभारत काल में अज्ञात वास के समय पांडव जब इधर उधर भटक रहे थे | तब महायोद्धा अर्जुन असिकूट (अस्कोट) नामक स्थान पर भगवान शिव की आराधना मे मग्न थे | भगवान शिव ने उनकी परीक्षा लेने के लिए योगमाया से एक सूकर (Pig) छोड़ दिया जब तक अर्जुन संभल पाते तब तक शूकर (Pig) उन पर वार कर बैठा , अब अर्जुन ने उससे बचने के लिए उस पर बाड़ छोड़ दिया तभी शिव ने भी भील शिकारी के वेश में शूकर पर बाड़ छोड़ दिया | जब सूकर (Pig) घायल हो गया तब दोनों सूकर (Pig) के पास आये और यह मेरा हैं यह मेरा हैं कहते हुए झगडने लगे और जब सूकर को देखा तो पाया की जिस बाढ़ से सूकर घायल हुआ था वह तो भील शिकारी का था जो स्वंय भगवान शिव थे | पर अर्जुन को यह पता न था अब दोनों मे युद्ध होना शुरू हुआ इस युद्ध में कभी अर्जुन जीते तो कभी भील अंततः अंजलि (एंचोली) नामक स्थान पर अपनी मुष्टिका से भील ने अर्जुन को मुर्छित कर दिया | इस प्रहार से अर्जुन मुर्छित हो गये | तब भगवान शिव यही पर नकुल के द्वारा बनाये गये सरोवर नकुलेश्वर से पानी लाकर अर्जुन की मूर्छा भंग की | होश में आने पर अर्जुन ने भील से शस्त्र सिक्षा लेनी चाही तो भगवान शिव उसे किरातस्थल (थलकेदार) ले गये | किरात का अर्थ हैं भील और यही भगवान शिव ने अर्जुन को अपने पशुपतिनाथ नामक अश्त्र देते हुए अर्जुन को अपना असली रूप दिखाया था | जिस कारण यहाँ थलकेदार मंदिर स्थापित हुआ और दोनों विचरण करते हुए लटेश्वर मंदिर पहुचे जो की थलकेदार पहरी से २ km नीचे स्थित हे यहाँ भगवान शिव ने विराट तांडव किया था तब भगवान शिव के शीर्ष से छोटी जल-धारा निकली जो आज भी यहाँ अविरल प्रवाह-मान हैं |
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About Author | Mamta Joshi |
The writer has studied from Kumaun University Nanital. Her interests include, to spread Uttarakhand culture and she is also actively involved in teaching profession. |
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