गंगोलीहाट : हाट कालिका मंदिर आम जनमानस के साथ सेना के जवानो का भी है आस्था का केंद्र

गंगोलीहाट (Gangolihat)

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है गंगोलीहाट (Gangolihat) । गंगोलीहाट नगर की ऊंचाई समुद्र तल से 1760 मीटर है । गंगोलीहाट को एक छोटे हिल स्टेशन के रूप में भी जाना जाता है । गंगोलीहाट जनमानस के अलावा सेना के जवानों का भी आस्था का केंद्र है ।

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यहां पर हाट कालिका मंदिर है,जहां पर जन मानस के अलावा सेना के जवान भी दर्शन करने के लिए आते रहते हैं । कहा जाता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब भारतीय सेना का जहाज डूबने लगा था तब सैन्य अधिकारियों ने सभी जवानों को अपनी अपने भगवान को याद करने के लिए कहा, जब कुमाऊ के सैनिकों ने हाट कालिका का जयकारा लगाया तो जहाज तुरंत किनारे आ गया और सभी की जान बची । तभी से कुमाऊँ रेजीमेंट के लिए हाट कालिका मंदिर आराध्य का केंद्र बन गया है । हाट कालिका मंदिर, कुमाऊँ रेजीमेंट की बटालिनों के अफसर और जवान दर्शन के लिए आते रहते हैं । आम जनमानस यहां मन्नते मांगते हैं और मन्नत पूरी हो जाने पर घंटियों का चढ़ावा चढ़ाते हैं । कुछ लोग तो आज भी बकरो की बलि भी देते हैं ।

गंगोलीहाट सरयू और रामगंगा नदी के बीच में स्थित है । इस वजह से पूर्व काल में इस क्षेत्र को गंगावली के नाम से जाना जाता था । बाद में गंगावली को गंगोली नाम से जाना जाने लगा । 13 वीं सदी के पहले तक गंगोलीहाट पर कत्यूरी राजवंश का शासन हुआ करता था ।

गंगोलीहाट में कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है । गंगोलीहाट का महाकाली मंदिर सबसे प्रसिद्ध मंदिर है । गंगोलीहाट के महा काली मंदिर को ही हाट कालिका मंदिर के नाम से भी जाना जाता है । यहां पर अष्टमी तिथि को मेला लगता है । ज्यादातर अष्टमी के दिन यहां लोग दर्शन करने के लिए आते हैं, लेकिन चैत्र और आश्विन के नवरात्र में अष्टमी पर यहाँ विशेष मेले का आयोजन होता है । कालिका मंदिर देवदार के पेड़ों से चारों तरफ से घिरा हुआ है ।

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यहां पर चढ़ावे के रूप में घंटियां चढ़ाई जाती है । गंगोलीहाट उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित छोटा हिल स्टेशन के तौर पर भी जाना है । यह ऊंची-ऊंची चोटियों के प्राकृतिक सौंदर्य और देवदार के घने जंगलों से चारों तरफ से घिरा हुआ है । गंगोलीहाट के मंदिर अत्यंत प्राचीन और प्रसिद्ध है जिन्हें दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है -जंगम बाबा का अखाड़ा और राम मंदिर ।

गंगोलीहाट (Gangolihat) में एक 15 फीट ऊंची चतुर्भुज आकार की विष्णु का मंदिर भी है । यह पूर्वाभिमुख है । यह मंदिर बाजार के उत्तर की तरफ 15 गज की दूरी पर राम मंदिर समूह के पाँच मंदिरों में बना हुआ है । यह सारे मंदिर दक्षिण की ओर प्रवेश करने वाले हैं । इसकी चौथी मंदिर में भगवान विष्णु और एक मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति रखी हुई है । गंगोलीहाट में त्रिपुरा देवी मंदिर, नंदा अष्टमी मंदिर भी है । यहाँ के कालीघाट मंदिर में महिलाओं का प्रसिद्ध निषेध है । गंगोली घाट का एक अन्य प्रसिद्ध मंदिर कोटेश्वर मंदिर है, कहा जाता है कि जब हर जगह से न्याय की उम्मीद खत्म हो जाती है तब लोग कोटेश्वर मंदिर आते हैं इस उम्मीद से कि न्याय यहाँ जरूर मिलेगा ।

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गंगोलीहाट (Gangolihat) में कई गुफाएं भी मिलती हैं, जहां पर मंदिर बने हुए हैं, जिसमें पाताल भुवनेश्वर मंदिर, शैलेश्वर मंदिर, मुक्तेश्वर मंदिर प्रमुख है। पाताल भुवनेश्वर मंदिर, हाट कालिका मंदिर से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । स्कंद पुराण में पाताल भुवनेश्वर मंदिर के बारे में वर्णन मिलता है । गंगोलीहाट में एक किला भी है जिसे गंगोलीहाट का किला कहा जाता है । यह किला पहाड़ों की चोटियों पर स्थित है । इस किले का निर्माण 1789 में गोरखाओं ने करवाया था ।

कुमाऊं में स्थित हाट कालिका मंदिर जोकि गंगोलीहाट का प्रसिद्ध मंदिर है, इसके विषय में अनेक कहानियां कहीं जाती हैं । कहा जाता है कि छठी शताब्दी के अंत में भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले जगतगुरु आदि शंकराचार्य कुमाऊ भ्रमण पर निकले हुए थे । वह के बद्रीनाथ, केदारनाथ के रास्ते होते हुए गंगोलीहाट से गुजरे जहां पर उन्हें शक्तिपीठ होने का आभास हुआ । आदि शंकराचार्य ने हाट कालिका मंदिर की स्थापना की थी ।

आज के समय में गंगोलीहाट का महाकाली मंदिर सबसे प्राचीन और सबसे प्रसिद्ध मंदिर है । हाट कालिका से दो किलोमीटर की दूरी पर चामुंडा मंदिर स्थित है । यह एक खूबसूरत तीर्थ स्थल है । स्थानीय लोगों का कहना है कि चामुंडा मंदिर के क्षेत्र में देर रात पवित्र आत्मा भ्रमण करती हैं । यह भी कहा जाता है कि यह शक्तिपीठ माँ महिषासुर मर्दिनी का है । देवी और महिषासुर राक्षस के बीच युद्ध यहीं पर हुआ था जिसमें रक्तबीज और चंद्रमुंड नामक राक्षस मारे गए थे । महिषासुर मर्दिनी को फल दात्री वा मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है । काली मंदिर की जड़ में पातालगंगा पाई जाती है । जहां पर अंधेरा रहने की वजह से लोग मशाल जलाकर उसके अंदर जाते हैं।

कैसे पहुंचे गंगोलीहाट (How to Reach Gangolihat)

गंगोलीहाट (Gangolihat) उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के अंतर्गत आता है । यह पिथौरागढ़ जिले का एक नगर और तहसील का मुख्यालय है। यह जिला मुख्यालय से 77 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है । यह दिल्ली से 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और अल्मोड़ा से 124 किलोमीटर अनार होते हुए और सेराघाट होते हुए 110 किलोमीटर की दूरी पर है । गंगोलीहाट का प्रसिद्ध मंदिर मां काली का मंदिर गंगोलीहाट बस अड्डे से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां पैदल भी पहुंचा जा सकता है ।

गंगोलीहाट का मौसम और यहां घूमने का समय गंगोलीहाट एक पहाड़ी इलाका होने की वजह से एक ठंडा प्रदेश है । यहां पर सुहाना मौसम पाया जाता है । यहां घूमने का सबसे अच्छा मौसम अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है । इस दौरान यहां पर सर्दियां बढ़ जाती हैं और ऐसे में सर्दियों का यहाँ आनंद लिया जा सकता है । इसके अलावा जो लोग स्केटिंग करना पसंद करते हैं उनके लिए भी यह जगह उपयुक्त है । वैसे भी पहाड़ों की हसीन वादियों में स्केटिंग का मजा रोमांचित करने वाला होता है । सर्दियों की छुट्टियों में गंगोलीहाट के तीर्थस्थलों का दर्शन किया जा सकता है और सर्दियों का मजा भी लिया जा सकता है । सर्दियों का मौसम घूमने के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है ।

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Reference: https://en.wikipedia.org/wiki/Gangolihat

Piyush Kothyari

Hi there, I'm Piyush, a proud Uttarakhand-born author who is deeply passionate about preserving and promoting the culture and heritage of my homeland. I am Founder of Lovedevbhoomi, Creative Writer and Technocrat Blogger.

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