अल्मोड़ा का माँ नंदा देवी मंदिर जहाँ पर की जाती हे तांत्रिक विधि से पूजा ! जाने क्या हें इतिहास ?

जी हाॅं दोस्तों, आज हम आपको देवभूमि के एक ऐसे मन्दिर के बारे में बताने जा रहें हैं जहाॅं आज भी देवी की पूजा-अर्चना तांत्रिक विधि से करने की परंपरा विद्यमान हैं। इस दिव्य अलौकिक एंव विशाल मंदिर के बारे में जानने से पहले आपके अपने पेज लवदेवभूमि को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि भविष्य में आने वाली ऐसी ही रोचक जानकारी आपको और अन्य लोगों को मिल सकें।

तो चलिए जानते हैं इस भव्य मंदिर के बारे में- उत्तराखण्ड का कुमाउं क्षेत्र अपने आप में कई ऐतिहासिक धरोहरों को समेंटे हुए हैं। सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा के मध्य में स्थित माॅ नन्दा देवी का प्राचीन एंव विशाल मंदिर उनमें से एक हैं। लगभग 1000 वर्ष पुराना कुमाउंनी शिल्पशैली से निर्मित समुद्रतल से लगभग 7816 मीटर की उंचाई पर स्थित इस भव्य मंदिर में देवी दुर्गा का अवतार विराजमान हैं। माॅं नन्दा गढवाल के राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री हैं, इसलिए सभी कुमाउंनी और गढवाली लोग उन्हें पर्वतांचल की पुत्री मानते हैं।

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दोस्तों, उत्तराखण्ड के पुरातत्व और इतिहास को लेकर हुए हाल के शोधों से इतिहास को नये तरीके से समझा जाने लगा हैं। इतिहास से ज्ञात होता हैं कि कत्यूरी राजाओं का भगवती नन्दा से धार्मिक-सांस्कृतिक रिश्ता स्थापित था। भगवती नन्दा कत्यूरी राजाओं की कुल देवी के स्वरूप में प्रतिष्ठित थी। कत्यूरी काल से ही उत्तराखण्ड के जन-मानस में भगवती नन्दा देवी को आराध्य देवी मानकर पूजा जाता हैं।


प्राचीन मान्यताओं के अनुसार भगवती नन्दा को चंद वंशजों की कुल देवी माना जाता हैं लेकिन हाल के शोधों से ये ज्ञात होता हैं कि भगवती नन्दा कुमांउ के चंद वंशजों की कुल देवी नहीं हैं। चंन्दों से नन्दा का सम्बन्ध राजा बाज बहादुर (1638-78 ई0) से जुड़ने के साक्ष्य इतिहास में प्राप्त होते हैं। राजा बाज बहादुर के शासन काल से अल्मोड़ा नगर में भगवती नन्दा के सम्मान में धार्मिक-सांस्कृतिक नन्दा देवी मेले का शुभारम्भ हुआ। यहीं से चन्द शासकों का भगवती नन्दा से नाता जुड़ा। इस तरह अल्मोड़ा नन्दा देवी मेले का प्रारम्भ राजा बाज बहादुर चंद ने किया। उन्होनें भगवती नन्दा के महात्म्य को समझते हुए पूजन तांत्रिक पद्वति से किया।नन्दा देवी मेले के अवसर पर अल्मोड़ा में होने वाले मुख्य पूजा-अनुष्ठान में भगवती नन्दा और चंद शासकों की कुल देवी की एक साथ पूजा की जाती हैं। यह पूजा चंद वंशज ही करते है।

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प्रसंगवश जिक्र किया जा रहा हैं कि तंत्र महाविद्याओं की दूसरी विद्या तारा देवी की हैं। भगवती तारा के 3 स्वरूप तारा, एकजटा और नीलसरस्वती हैं। चंद वशंज राजा अपनी कुल देवी की पूजा नीलसरस्वती के स्वरूप में करते हैं। उनकी कुल देवी भी यही मानी जाती हैं। इसी तांत्रिक विधि का सहारा लेकर उन्होंने भगवती नन्दा की पूजा भी श्री अनिरूद्व सरस्वती के स्वरूप में करना प्रारंम्भ किया। इस अवसर पर भगवती नन्दा का आहवाहन महिषासुरमर्दिनी के स्वरूप में किया जाता हैं। मेले के अवसर पर गाये जाने वाले नन्दा गाथा में भी भगवती नन्दा द्वारा महिष दैत्य के वध का प्रसंग विस्तार से आता हैं।

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प्रत्येक वर्ष भाद्रमास की अष्टमी के दिन से माॅं नन्दा देवी का भव्य मेला आयोजित किया जाता हैं। पंचमी तिथि से प्रारम्भ मेले के अवसर पर 2 भव्य देवी प्रतिमाएं जो कि कदली अर्थात केले के स्तम्भों से उत्तराखण्ड की सर्वोच्च चोटी नन्दा देवी की सादृश बनायी जाती हैं। इन दोनों मुखौटों को जन-सामान्य नन्दा-सुनन्दा के नाम से जानते हैं। पूजा विधान के अनुसार ये मुखौटे क्रमशः भगवती नन्दा और चंदों की कुल देवी नीलसरस्वती के हैं। इन मुखौटों के निर्माण तंत्र शास्त्र के विधानों के प्रयोग होने के संकेत मिलते हैं। कहा जाता हैं कि इस मंदिर परिसर में स्थित 2 शिवलिंग तत्कालीन राजा उद्योत चंद ने सन् 1690 में बनवाए जो क्रमशः पार्वतीश्वर और उद्योत चंद्रेश्वर नाम से जाने जाते हैं। उद्योत चंद्रेश्वर मंदिर के उपरी हिस्से में एक लकड़ी का छज्जा स्थापित हैं। यह विशाल मंदिर संरक्षित श्रेणी में शामिल हैं। माॅं नन्दा के प्रति जन-जन की आस्था, श्रद्वा और विश्वास को माॅ नन्दा का भव्य मेला उजागर करता हैं जिसमें असंख्य संख्या में श्रद्वालुगण देश-विदेश से आकर माॅं नन्दा के प्रति अपनी आस्था उजागर करते हैं।

मानसखण्ड में स्पष्ट उल्लेख किया गया हैं कि माॅं नन्दा के दर्शन मात्र से ही मनुष्य ऐश्वर्य को प्राप्त करता हैं तथा सुख-शांति का अनुभव करता हैं। दोस्तों, उत्तराखण्ड आयें और सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा के इस दिव्य मंदिर के दर्शन अवश्य करके जाएं। माॅं नन्दा आप सभी की मनोकामना को पूर्ण करें। आशा करता हॅू कि लवदेवभूमि की एक और कोशिश आपको पसंद आयी होगी।

। जय उत्तराखण्ड।

Piyush Kothyari

Hi there, I'm Piyush, a proud Uttarakhand-born author who is deeply passionate about preserving and promoting the culture and heritage of my homeland. I am Founder of Lovedevbhoomi, Creative Writer and Technocrat Blogger.

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