सावन के महीने में ही क्यों की जाती है भगवान शिव की पूजा, जानिए इसके पीछे के छिपे रहस्य !

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सावन माह में रूद्राभिषेक का महत्व शास्त्र और वेदों में वर्णित हैं कि शिव जी का अभिषेक करना परम कल्याणकारी हैं। कहा जाता हैं कि रूद्राभिषेक से हमारे पातक से पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता हैं तथा भगवान शिव का शुभार्शीवाद भक्त को प्राप्त होता हैं और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
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जी हां दोस्तों, आज हम आपको लवदेवभूमि के इस लेख में सावन माह में भगवान शिव के रूद्राभिषेक के महत्व और इसके प्रारम्भ होने की कथाओं के बारे में बताने जा रहे हैं। दोस्तों चैनल को लाइक, सब्सक्राइब और शेयर जरूर करें। तो चलिए दोस्तों जानते हैं– रूद्राभिषेक के आरंभ की बात करें तो प्रचलित कथाओं के अनुसार, भगवान नारायण की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रहमा जी की उत्पत्ति हुयी लेकिन ये बात ब्रहमा जी मानने को तैयार नहीं हुए जिससे भगवान नारायण और प्रभु ब्रहमा के बीच घोर युद्व हुआ।
इन दोनों के युद्व से नाराज होकर भगवान रूद्र ने ज्योतिर्लिंग रूप में अवतार लिया, तब भगवान नारायण और प्रभु ब्रहमा ने निश्चय किया कि जो कोई भी इसके अंतिम भाग को स्पर्श करेगा वही परमेश्वर साबित होगा। तब ब्रहमा जी हंस बनकर और प्रभु नारायण वराह बनकर लिंग के अंतिम भाग को –सजयू–सजयंने लग गये। हजारों साल तक जब दोनों को लिंग का आदि और अंत का पता नहीं चला तो दोनों ने हार मान ली और लिंग का अभिषेक किया जिससे भगवान शिव ने प्रसन्न होकर कहा कि आप दोनों हमारी देह से उत्पन्न हुए हैं।
सृष्टि की रचना के लिए ब्रहमा हमारे दक्षिण अंग से और विष्णु वाम अंग से उत्पन्न हुए हैं। वेदों और पुराणों में रूद्राभिषेक के बारे में कहा गया हैं कि रावण ने अपने दसों सिर को काटकर उसके रक्त से शिवलिंग का अभिषेक किया था तथा सिरों को हवन की अग्नि को अर्पित कर दिया था जिससे वो त्रिलोकजयी हो गया। इसके अलावा ये भी कहा जाता हैं कि भस्मासुर ने शिवलिंग का अभिषेक अपने आंसुओं से किया तो वह भी भगवान के वरदान का पात्र बन गया। एक अन्य कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव सपरिवार वृषभ पर बैठकर विहार कर रहे थे उसी समय माता पार्वती ने मत्र्यलोक में रूद्राभिषेक कर्म में प्रवृत लोगों को देखा तो भगवान शिव से जिज्ञासा कि की हे नाथ मत्र्यलोक में इस तरह आपकी पूजा क्यों की जाती हैं? तो भगवान शिव ने कहा कि हे प्रिये जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी मनोकामना पूर्ण करना चाहता हैं वह आशुतोषस्वरूप मेरा विविध द्रव्यों से विविध फल की प्राप्ति हेतु अभिषेक करता हैं।
स्वंय सृष्टिकर्ता ब्रहमा ने भी कहा हैं कि जब हम अभिषेक करते हैं तो स्वंय महादेव साक्षात उस अभिषेक को ग्रहण करते हैं। रूद्राभिषेक करना शिव अराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया हैं और सावन माह में तो इसका बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है। रूद्र शिव जी का ही एक स्वरूप हैं। रूद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में भी किया गया हैं।
शिव पुराण के रूद्रसंहिता में सावन मास में रूद्राभिषेक का विशेष महत्व बताया गया हैं। मान्यता है कि रूद्राभिषेक करने से भगवान शिव हर मनोकामना पूरी करते हैं साथ ही इससे ग्रह जनित दोष और रोगों से भी मुक्ति मिलती हैं। सनातन धर्म में यह सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली पूजा जानी जाती हैं।
दोस्तों इस सावन रूद्राभिषेक द्वारा महादेव आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें ऐसी लवदेवभूमि टीम की आशा हैं। आशा करता हूँ कि आपको लवदेवभूमि का ये लेख अवश्य पसंद आया होगा।
|..जय उत्तराखण्ड..|