जाने क्या है रूपकुंड (Roopkund) के “कंकालों वाले झील” का खौफनाक रहस्य !
| Roopkund lake mystery |
रूपकुंड झील उत्तराखंड के हिमालयन क्षेत्र में समुद्र तल से 5000 मीटर की उंचाई पर हैं। इस झील को कंकालों वाली झील भी कहा जाता है, क्योंकि इसके आस पास कई प्रकार के कंकाल बिखरे हुए हैं।
चलिए जानते हैं क्या है इन कंकालों (Roopkund skeleton) की कहानी?
हम लोगों को कंकालों वाली झील के बारे में बहुत सारे दंत कहानियां सुनने को मिली हैं।लेकिन कंकालों वाली झील के बारे में जो सबसे लोकप्रिय कहानी है वह यह है कि एक राजा और रानी की कहानी, जो कि सदियों पुरानी हैं। इसी झील के आसपास एक नंदा देवी का मंदिर है। जिसे लोग पहाड़ी देवी के नाम से भी जानते हैं।
एक समय में एक राजा और रानी पहाड़ी देवी का दर्शन करने के लिए निकल पड़े। लेकिन उन्होंने अकेले दर्शन नहीं किए बल्कि उन्होंने भारी तादाद में अपने साथ अपनी सेनाओं और परिजनों को भी दर्शन कराने के लिए लेकर गए। साथ ही उन्होंने लाव-लश्कर भी लेकर गए। राजा ने अपना सफर रंगा-रंग कार्यक्रम में डूबते हुए किया। यह देख कर देवी नंदा गुस्सा हो गई और अपने क्रोध के आक्रोश में बिजली का रूप धारण करके राजा, रानी और उनके सेनाओं पर गिर पड़ी जिनसे उनकी मौत वही पर हो गई।
इस कंकालों वाली झील के पीछे एक और कहानी प्रचलित है जिसमें कहा जाता है कि यह कंकाल महामारी के शिकार लोग हैं। कुछ लोग यह कहते हैं कि यह कंकाल आर्मी वाले लोग के हैं जो बर्फीले तूफान में फस गए थे और अधिक ठंडे होने के कारण वह मरने के बाद यहां पर कंकाल बन गए। कुछ लोगों का मानना है कि यह कंकाल अस्थियां है जो कश्मीर के जनरल जोरावर सिंह के जवान है जो 1841 तिब्बत से युद्ध करके लौट रहे थे।
जाने किस तरह रूपकुंड झील बन गया कंकालों वाली झील?
पहले जमाने में यह माना जाता था कि इन सभी कंकालों का एक अपना परिवार था लेकिन इसमें दूसरा कंकाल जो था वह मझोले लोग का था। लेकिन अब जाकर पता चला है कि इनमे जो कंकाल हैं वो भारत, ग्रीस, और साउथ ईस्ट एशिया के लोगों के कंकाल भी हैं।
चलिए जानते है, इन कंकालों वाली झील का रहस्य (Roopkund lake mystery) ?
यह जानने के लिए की इन कंकालों वाली झील के पीछे क्या रहस्य है वैज्ञानिकों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन कंकालों की एक स्टडी की। पूरी स्टडी हो जाने के बाद यह रिपोर्ट जाकर छपी इस रिपोर्ट में आखिर इन कंकालों का इतिहास क्या है? आपको बता दें कि इस स्टडी की रिपोर्ट कम्यूनिकेशंस पोर्टल पर छपी है। इस स्टडी में भारत के लोग भी भारी मात्रा में शामिल थे और उन्होंने कुछ ऐसे तर्क दिए जो बिल्कुल ही अचूक थे।
वैज्ञानिकों द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की गई स्टडी के अनुसार:
- स्टडी में सबसे पहले 71 कंकालों का टेस्ट किया गया। इनमें से कुछ कंकालों की कार्बन डेटिंग भी कीया गया था और कुछ का डीएनए जांच भी किया गया था। कार्बन डेटिंग एक ऐसा टेस्ट है जिसके करने के बाद पता चला कि यह कंकालों का अवशेष कितना दिन पुराना है।
- इन सभी कंकालों का टेस्ट इसीलिए नहीं किया गया क्योंकि इस झील को पार करने वाले जो रास्ते है वह बहुत ही फिसलन भरी है। दूसरी बात यह कि वहां पर जितने भी कंकाल थे उनके बहुत सारे हिस्से वहां के स्थानीय लोगों कई प्रकार के सामान को बनाने के लिए उठाकर के ले गए।इसलिए इन कंकालों का जांच करने के बाद उसका कुछ भी पता नहीं चलता।
- इस कंकालों के ऊपर स्टडी करने के बाद पता चला कि यह कंकाल एक समय का नहीं है बल्कि यह सारे कंकाल अलग-अलग समय के हैं और अलग-अलग नस्ल के हैं।कोई कंकाल महिला के है तो कोई पुरुष या बच्चों के।
- आपको यह जानकारी दे दें कि स्टडी में यह भी बात का पता चला कि इन कंकालों का आपस में किसी प्रकार का संबंध नहीं है। इस रहस्यमई झील के बारे में पहले कई साइंटिस्ट ने कहा कि यह एक समूह के परिवार के कंकाल हैं। लेकिन कई सालों बाद जब इस झील के बारे में स्टडी की गई तब यह बात सामने आई कि यह लोग एक ही परिवार के सदस्य नहीं है क्योंकि इनके डीएनए टेस्ट होने पर ऐसी कोई भी समानता नहीं मिली जो एक परिवार के सदस्यों में होता है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार रहस्यमई झील में जो कंकाल पाए गए है उसमें किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया या बीमारी को उत्पन्न करने वाले कीटाणुओं के कोई भी अवशेष नहीं मिले है। इस बात से काफी हद तक यह साफ होता है कि झील में पाए जाने वाले कंकाल किसी महामारी की वजह से नहीं मरे हैं।
- वैज्ञानिकों के द्वारा कंकालों पर एक जांच में तो बेहद चौंकाने वाली खबर सामने आई। वैज्ञानिकों का कहना था कि इन कंगारू में भारत और अन्य कई देशों के कंकाल पाए गए हैं। बताया गया कि इनमें से कुछ कंकाल ग्रीस के इलाके के तरफ के हैं और कई साउथ ईस्ट एशिया के।
- कई अलग-अलग तरह के स्टडी करने के बाद यह भी मालूम हुआ कि इस झील में हर लिंग और उम्र के कंकाल पाए जाते हैं।वैज्ञानिकों द्वारा खोज किए जाने पर यह भी पता चला कि इस जगह में चूड़ियां, लेदर की चप्पल, गहने, नाखून बाल, मांस और कई प्रकार के अन्य चीजें बरामद की गई। सबसे अचंभित करने वाली बात तो यह है कि इस झील में जो कंकाल मिले उनके सिर पर फ्रैक्चर के भी निशान है।
- वैज्ञानिकों द्वारा यह भी बताया गया कि सभी कंकाल एक समय के नहीं है। इसका मतलब यह है कि रहस्यमई झील में पाए जाने वाले कंकाल अलग-अलग समय के कंकाल है जो एक साथ मिलकर इकट्ठा हो गए हैं। वैज्ञानिकों द्वारा खोज पर पाया गया कि भारत और भारत के आसपास के कई अन्य देशों के जो कंकाल पाए गए हैं वह सातवीं से दसवीं शताब्दी के बीच के हैं।
- जो ग्रीस और उनके आसपास के इलाकों में पाए गए वह कंकाल सत्रहवीं से बीसवीं शताब्दी के बीच के हैं। और जो कंकाल झील के आसपास के इलाकों का बताया जा रहा है वह किसी अन्य अलग ही समय में पहुंचे थे। वैज्ञानिकों ने यह भी अनुमान लगाया कि झील में पाए जाने वाले कंकाल दो अलग-अलग समय में और हादसों में मरने वाले लोग हैं।
- लेकिन अभी तक यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई है कि यह कंकाल इतने भारी तादाद में इस झील में कैसे इकट्ठे हो गए हैं और इनकी मौत किस चीज के वजह से हुई है।वैज्ञानिकों ने इस झील पर स्टडी करना शुरू कर दिया हैं। आने वाले समय में इस स्टडी के सफल होने की भी अनुमान हैं।
रूपकुंड झील में पाए जाने वाले कंकालों के लिए जो अलग-अलग तरह के कहानियां प्रचलित हैं, वह अब दंत कथाओं में शामिल हो चुकी है।वैज्ञानिकों द्वारा अलग-अलग तरह के खोज स्टडी और जांच से जो भी बातें सामने आई हो, लेकिन फिर भी रूपकुंड झील का ” कंकालों वाली झील” जो नाम प्रचलित है वह आगे भी ऐसे ही प्रचलित रहेंगे और लोगों को सोचने पर मजबूर करती रहेगी।
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