कुमाऊंनी होली | Kumauni Holi Songs in Hindi

होली, भारतीय त्योहारों का अद्वितीय महत्व और उत्साह का प्रतीक है। यह त्योहार रंग, मिठाई, मस्ती और प्रेम का पर्व होता है जिसे सभी उत्साह से मनाते हैं। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में होली का महोत्सव अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में भी होली का एक विशेष रूप है, जिसे कुमाऊंनी होली कहा जाता है।

कुमाऊंनी होली (Kumauni Holi) उत्तराखंड के कुमाऊं जनजाति की परंपरागत तरीके से मनाया जाने वाला होली का उत्सव है। यह उत्सव पुरानी संस्कृति, परंपराएं और धार्मिक तत्वों को महसूस कराता है। कुमाऊंनी होली का आयोजन खासकर कुमाऊं क्षेत्र के गाँवों और शहरों में होता है, जहां लोग खुलकर एक-दूसरे के साथ इसे मनाते हैं।

इस उत्सव की शुरुआत विभिन्न मंदिरों और धार्मिक स्थलों से होती है, जहां लोग परंपरागत रूप से अपने देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं। इसके बाद, लोग एक-दूसरे के साथ रंगों के साथ खेलने का आनंद लेते हैं।

कुमाऊंनी होली (Kumauni Holi) के उत्सव में एक प्रसिद्ध रीति-रिवाज है, जिसमें पुरुष एक-दूसरे पर रंग फेंकते हैं, और महिलाएं उन्हें रोकने का प्रयास करती हैं। यह खेल खासकर स्थानीय गाँवों में धार्मिक और सामाजिक एकता को मजबूत करता है।

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कुमाऊंनी होली का उत्सव एक विशेष अनुभव होता है जो रंग, समृद्धि, और प्रेम का संगम है। यह उत्सव उत्तराखंड की भूमि की संस्कृति और विरासत का प्रतीक है जो लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ता है और एक साथ खुशहाली और समृद्धि की कामना करता है।

एसे ही कुछ प्रसिद्ध होली के गीत हम यहाँ पर आपके लिए लाए हें .

जल कैसे भरूँ जमुना गहरी (Jal Kese Bharu Jamuna Gahri Kumaoni Holi Lyrics)

जल कैसे भरूँ जमुना गहरी।
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी॥
ठाड़ी भरूँ राजा राम जी देखे,
हे ठाड़ी भरूँ राजा राम जी देखे।
बैठी भरूँ भीजे चुनरी…
जल कैसे भरू जमुना गहरी।
बैठी भरूँ भीजे चुनरी…
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी,
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी॥

धीरे चलूँ घर सास बुरी है,
हे धीरे चलू घर सास बुरी है।
धमकि चलूँ छलके गगरी….
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी,
धमकि चलूँ छलके गगरी….
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी।
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी॥

गोदी पर बालक, सिर पर गागर,
हे गोदी पर बालक, सिर पर गागर।
पर्वत से उतरी गोरी…
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी,
पर्वत से उतरी गोरी…
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी॥


सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन (Siddhi ko Data Kumaoni Holi Lyrics)

सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन।
गौरी को नन्दन, मूसा को वाहन। होली खेलें….

लाओ भवानी अक्षत चन्दन,
पूजूँ मैं पहले जगपति नन्दन। होली खेलें….

गज मोतियन से चौक पुराऊँ,
अर्घ दिलाऊँ पुष्प चढ़ाऊँ। होली खेलें….

डमरू बजावै संभु-विभूषन,
नाचै गावैं भवानी के नन्दन। होली खेलें….।


कैले बांधी चीर (Kele Bandhi Cheer Kumaoni Holi Lyrics)

कैले बांधी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
गणपति बांधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….

ब्रह्मा, विष्णु बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
शिव शंकर बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
रामचन्द्र बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….

लछीमन बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
श्रीकृष्ण बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….

बलीभद्र बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
नवदुर्गा बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….

भोलानाथ बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
इष्टदेव बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….

सबै नारी छिड़कत गुलाल, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….।।


झनकारो झनकारो (Jhankaro Jhankaro Kumaoni Holi Lyrics)

ऐ झनकारो झनकारो झनकारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो,
ऐ झनकारो झनकारो झनकारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो
ऐ तेरो ड़ड़िया मोहे प्यारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो,
झनकारो झनकारो झनकारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो

ऐ तेरो बिंदिया मोहे प्यारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो,
झनकारो झनकारो झनकारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो

ऐ तेरो कजरा मोहे प्यारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो,
झनकारो झनकारो झनकारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो

ऐ तेरो ब्यसना मोहे प्यारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो,
झनकारो झनकारो झनकारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो

ऐ तेरो हँशिया मोहे प्यारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो,
झनकारो झनकारो झनकारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो

ऐ तेरो अंगिया मोहे प्यारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो,
झनकारो झनकारो झनकारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो

ऐ तेरो पटका मोहे प्यारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो,
झनकारो झनकारो झनकारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो

ऐ तेरो लहंगा मोहे प्यारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो,
झनकारो झनकारो झनकारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो

ऐ तेरो बिछिया मोहे प्यारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो,

झनकारो झनकारो झनकारो गोरी प्यारो लागे तेरो झनकारो |


झुकि आयो शहर में व्यौपारी (Jhuki Aayo Shahar Mei Vyapyari)

झुकि आयो शहर में व्यौपारी,
झुकि आयो शहर में व्यौपारी।

इस व्यौपारी को भूख बहुत है,
पूरियां पकादे नथवाली। झुकि आयो….

इस व्यौपारी को प्यास बहुत है,
पनिया पिलादे नथवाली। झुकि आयो….

इस व्यौपारी को नींद बहुत है,
पलंग लगादे मतवाली। झुकि आयो….।


सीता राम को ब्याह (Seeta Ram ko Vyah Kumaoni Holi Lyrics)

सीता राम को ब्याह, जनकपुर जाना है।
सीता राम को……।

कै लख आये हस्ती घोड़ा,
कै लख आये बारात। जनकपुर……

छै लख आये हस्ती घोड़ा,
अनगिनत आये बारात। जनकपुर……

गाय गोबर से मंदिर लिपायो,
मोतियन चौक पुराय। जनकपुर……..

अबीर गुलाल के मंडप बने हैं,
रेशम डोर फिराय। जनकपुर………..

भर मोतियन से कलश भराये,
हो रही जै-जैकार। जनकपुर………..


शिव के मन माहि बसे काशी (Shiv ke Man mahi base kashi Kumaoni Holi Lyrics)

शिव के मन माहि बसे काशी
शिव के मन माहि बसे काशी
आधे काशी में बामन बनिया
हे आधे काशी में बामन बनिया
आधे काशी में हैं सन्यासी…शिव के मन माहि बसे काशी
आधे काशी में हैं सन्यासी…शिव के मन माहि बसे काशी

शिव के मन माहि बसे काशी
काहे करन को बामन बनिया
हे काहे करन को बामन बनिया
काहे करन को हैं सन्यासी… शिव के मन माहि बसे काशी
काहे करन को हैं सन्यासी… शिव के मन माहि बसे काशी

शिव के मन माहि बसे काशी
पूजा करन को बामन बनिया
हे पूजा करन को बामन बनिया
सेवा करन को हैं सन्यासी… शिव के मन माहि बसे काशी
सेवा करन को हैं सन्यासी… शिव के मन माहि बसे काशी

शिव के मन माहि बसे काशी
किसको को पूजे बामन बनिया
हे किसको को पूजे बामन बनिया
किसको को पूजे हैं सन्यासी…. शिव के मन माहि बसे काशी
किसको को पूजे हैं सन्यासी…. शिव के मन माहि बसे काशी

शिव के मन माहि बसे काशी
देवी को पूजे बामन बनिया
हे देवी को पूजे बामन बनिया
शिव को पूजे हैं सन्यासी… शिव के मन माहि बसे काशी
शिव को पूजे हैं सन्यासी… शिव के मन माहि बसे काशी

शिव के मन माहि बसे काशी
क्या इच्छा पूजे बामन बनिया
हे क्या इच्छा पूजे बामन बनिया
क्या इच्छा पूजे हैं सन्यासी… शिव के मन माहि बसे काशी
क्या इच्छा पूजे हैं सन्यासी… शिव के मन माहि बसे काशी

शिव के मन माहि बसे काशी
नव सिद्धि पूजे बामन बनिया
हे नव सिद्धि पूजे बामन बनिया
अष्ट सिद्धि पूजे हैं सन्यासी…. शिव के मन माहि बसे काशी
अष्ट सिद्धि पूजे हैं सन्यासी…. शिव के मन माहि बसे काशी
शिव के मन माहि बसे काशी

Piyush Kothyari

Hi there, I'm Piyush, a proud Uttarakhand-born author who is deeply passionate about preserving and promoting the culture and heritage of my homeland. I am Founder of Lovedevbhoomi, Creative Writer and Technocrat Blogger.

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