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ऐपन : उत्तराखंड की कला संस्कृति 

ऐपन (Aipan) का शाब्दिक अर्थ लिपना या सजावट से है जो किसी मांगलिक या धार्मिक अवसर पर की जाती है |
हमारे उत्तराखंड में एपण का अत्यधिक महत्व है उत्तराखंड की ये संस्कृति सभी शुभ कार्यों से पूर्व देहली में, देवताओं के स्थानों पर, मंदिरों और त्योहारों में पवित्र स्थानों पर बनाई जाती हे। इन ऐपणो को बनाने के लिए सबसे पहले ऐपन वाले स्थान पर गेरू (लाल मिट्टी) से लिपाई की जाती है फिर सूख जाने पर चावल को भिगाकर एवं पीसकर उसमें पानी डालकर उसे पतला कर लिया जाता है फिर उंगलियों से बहुत शानदार कला-कृति का नमूना पेश करते हैं, जिन्हे बसन्त धारे कहते हैं किसी भी शुभ कार्य के लिए ये शुभ माने गए है ।

ऐपन मुख्यतया दो प्रकार के होते हे :-
1-वसुन्धरा ऐपन – सबसे लोकप्रिय एपण है जो मंदिर की वेदी , शादियों व दीवार आदि में ऊपर से नीचे की ओर बनाए जाते हैं|
2- ज्यूती पट्टा एपण– जिसे कागज ,कपड़े, और लकड़ी पर विशेष पर्वों जैसे जन्माष्टमी , दशहरा, नवरात्रि व दीपावली आदि त्योहारों के अवसर पर बनाया जाता है।
ऐपन(अल्पना) को ही दक्षिण भारत में रंगोली व कोलम ,राजस्थान में मांडला उत्तरप्रदेश में चौक पुरना, महाराष्ट्र में साथिया और बंगाल में अल्पना भी कहा जाता है।
लेकिन अब रिवाज कुछ बदल चुका है गेरू और चावल की रोली ने लाल और सफेद पेंट का रूप लिया है कला तो अभी भी वहीं है लेकिन अब हाथों की बजाय ब्रश से लोग इसको बनाते हैं |

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Piyush Kothyari

Founder of Lovedevbhoomi, Creative Writer, Technocrat Blogger

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