आइये जानते है देवभूमि उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले का इतिहास
History of Udham Singh Nagar in Hindi
उधम सिंह नगर जिले का इतिहास (History of Udham Singh Nagar in Hindi) : हिमालय की पहाड़ियों पर स्थित खूबसूरत प्राकृतिक नजारा लिए उधम सिंह नगर जिला भारत के देवभूमि उत्तराखंड राज्य का एक बेहद खूबसूरत जिला माना जाता है। यहां से नेपाल बहुत ही पास में पड़ता है। आज उधम सिंह नगर जिला एक अलग जिले के रूप में अस्तित्व में है, लेकिन कुछ साल पहले यह जिला नैनीताल का हिस्सा था। लेकिन इसे 1997 में नैनीताल से अलग करके के एक जिले का दर्जा दे दिया गया है। इसे जिले का दर्जा इस समय दिया गया जब उत्तराखंड (उत्तरांचल) उत्तर प्रदेश राज्य का ही हिस्सा हुआ करता था।
यह जिला देवभूमि के बाकी पर्वतीय स्थलों की तरह ही अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और मनमोहक शांति के लिए पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। विशेष करके गर्मियों के मौसम में शहरी भीड़ से दूर शांत वातावरण में यह स्थान छुट्टियां बिताने के लिए बहुत ही उपयुक्त है।
देवभूमि उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले का मुख्यालय रुद्रपुर में है। इसमें काशीपुर, खटीमा, सितारगंज, किच्छा, जसपुर, बाजपुर, गदरपुर, जोधपुर और नानकमत्ता नाम की तहसीलें है। इसे उत्तरप्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के शासनकाल में नैनीताल से अलग करके 1997 में एक अलग जिला बनाया गया था।
इस जगह का नाम स्वर्गीय उधम सिंह के नाम पर रखा गया था, जो कि भारतीय स्वतंत्रता में स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। जलियांवाला बाग हत्याकांड में अंग्रेजों के प्रमुख अफसर जनरल डायर की हत्या उधम सिंह ने ही की थी।
उधम सिंह नगर जिला के रुद्रपुर गांव में सैकड़ों साल पहले भगवान रुद्र के शिष्य या रूद्र नाम के हिंदू आदिवासी प्रमुख के नाम पर रुद्रपुर नगर को स्थापित किया किया था।
बताया जाता है कि मुगल सम्राट अकबर के शासन ने 1588 में इस भूमि को राजा रुद्र सिंह को शासन के लिए दिया था। राजा रुद्र ने हमलों से इस शहर को मुक्त रहने के लिए यहां पर स्थायी मिलिट्री कैंप स्थापित किया था। इसी के साथ यहाँ पर मानव गतिविधियां प्रारंभ हुई। कहा जाता है कि रुद्रपुर का नाम राजा रुद्र के नाम पर ही रखा गया था। अंग्रेजों के शासन काल के समय अंग्रेजों ने नैनीताल को एक जिला बनाया गया था और यह पूरा क्षेत्र नैनीताल के अंतर्गत आता था।
भारत विभाजन के समय शरणार्थियों की समस्या भारत के सामने थी। उस समय उत्तर पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्र के प्रवासियों के लिए उपनिवेश योजना बनाई गई थी। बताया जाता है कि आदिवासियों का पहला जत्था यहां पर 1948 में आया था। यही वजह है कि यहां पर कश्मीर, पंजाब, केरल, पूर्वी उत्तर प्रदेश, गढ़वाल, कुमाऊं, बंगाल, हरियाणा, राजस्थान, नेपाल, दक्षिण भारत के लोग सामूहिक रूप से मिल जुल कर रहते हैं। यहां पर धार्मिक और भाषाई विविधता भी देखने को मिलती है। यह एक ऐसा तराई क्षेत्र है जिसे मिनी हिंदुस्तान के तौर पर जाना जाता है।
उधम सिंह नगर जिले का पर्यटन स्थल
काशीपुर – काशीपुर को गेविएशन नाम से भी जानते हैं। काशीपुर का नाम काशीनाथ अधिकारी के नाम पर पड़ा था। इसी अधिकारी ने इस स्थान की नींव रखी थी। कवि गुमानी ने इस जगह पर कई सारी कविताएं लिखी है। वर्तमान में इसे औद्योगिक शहर के नाम से जाना जाता है। सर्दी के मौसम में यहां का खूबसूरत नजारा देखते ही बनता है।
पूर्णगिरि – पूर्णागिरि हिंदुओं के बीच शक्तिपीठ पूर्णागिरी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर पहाड़ के सबसे ऊंचे क्षेत्र में है। हर साल काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पर दर्शन के लिए आते हैं। नवरात्रि के अवसर पर यह मेले का आयोजन होता है।
चैती मंदिर – इस मंदिर का नाम माता चैती देवी के नाम पर रखा गया है। इन्हें बालासुंदरी मंदिर के नाम से भी जानते हैं। कहा जाता है कि यह जगह 51 शक्ति पीठ में से एक है। यह उधम नगर का प्रमुख पर्यटन स्थल है। मार्च के महीने में यहां पर चैती मेले का आयोजन होता है। नवरात्र के अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर आते हैं।
नानक माता धाम – नानक माता धाम सरयू नदी के किनारे स्थित है। यह एक धाम ही नही बल्कि पिकनिक स्थल के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। यहां पर झीलों का बहता पानी इसकी खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं। यहां पर बोटिंग का मजा भी लोग लेते हैं।
यह भी जाने : जाने रुद्रप्रयाग जिले का इतिहास | HISTORY OF RUDRAPRAYAG IN HINDI