जाने कैसे उत्तराखंड में कीवी की खेती से करे बंपर कमाई 

कीवी फल खाने में अत्यधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है इस फल में विटामिन की मात्रा अधिक होती है ।

कीवि (Kiwi) एक चीनी फल है इसका उत्पत्ति चीन से हुआ था। यह हमारे देश में ही नहीं बल्कि विश्व भर में अत्यंत लोकप्रिय फल है। सबसे ज्यादा न्यूजीलैण्ड इस फल के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि इस देश ने कीवी फल को व्यावसायिक रूप दिया है और इसका उत्पादन न्यूजीलैण्ड मे अत्यधिक होता है।

उत्तराखंड (Uttarakhand) की जलवायु और भौगोलिक स्थिति कीवी की खेती के लिए आदर्श मानी जाती है। कीवी एक उष्णकटिबंधीय फल है, जो उच्च गुणवत्ता और बेहतर उत्पादन की वजह से अब किसानों के लिए बंपर कमाई का साधन बन रहा है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे आप उत्तराखंड में कीवी की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

उत्तराखंड (Uttarakhand) में कीवी फल (Kiwi Fruit) का उत्पादन कैसे हुआ

उत्तराखंड में साल 1984 और 85 में भारत इटली फल विकास परियोजना के अंतर्गत राजकीय उद्यान मगरा टिहरी गढ़वाल के वैज्ञानिकों की देखरेख में इटली से आयातित हुआ। कीवि की अनेक प्रजातियां लाई गई थी।जिसके बाद 100 पौधों का रोपण हुआ था।जिससे कीवि का अच्छा उत्पादन भी हुआ।

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राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो NBPGR क्षेत्रीय केंद्र, निगलाट ,भवाली नैनीताल में भी 1991 – 92 से कीवी उत्पादन पर शोधकार्य हो रहे हैं।यह केन्द्र सीमित संख्या में कीवी फल पौधों का उत्पादन भी करता है इस केंद्र के सहयोग से भवाली के आसपास के क्षेत्र में कीवि के कुछ भाग भी विकसित हुए हैं।

उत्तराखंड में  कीवी बागवानी की सफलता को देखते हुए कई उद्यान पतियौ ने बागवानी बोर्ड व उद्यान विभाग की सहायता से  कीवी के बाग विकसित किए हैं।जानकारी के लिए आपको बता दे की उत्तराखंड के उद्यान पंडित श्री कुंदन सिंह पवार ने 1988 ईस्वी में राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड देहरादून का पहला कीवि प्रोजेक्ट पाव नैनबैग जनपद टिहरी में लगाया था।

नैबार्ड के सहयोग से ग्राम्या द्वारा जनपद बागेश्वर के शामा और उसके पास आसपास जितने भी गांव है वहां के किसान कीवि का अच्छा उत्पादन कर रहे हैं और अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।कीवी फल खाने में अत्यधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है इस फल में विटामिन की मात्रा अधिक होती है । इसके अतिरिक्त इस फल में विटामिन बी फॉस्फोरस पोटेशियम और कैल्सियम तत्व भी अधिक मात्रा में उपलब्ध होता है। अगर किसी व्यक्ति को डेंगू बुखार हो जाता है तो ऐसे में उन्हें कीवी फल से जैम ,जेली और जूस पीने के लिए कहा जाता है।

कीवि उत्पादन के लिए जलवायु

कीवि एक परणपति पौधा होता है इसे लगभग 600 से 800 द्रूतिशीतन घंटे को तोड़ने के लिए चाहिए। कवि का उत्पादन मध्यवर्ती क्षेत्र में 1200 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर सही ढंग से उगाया जा सकता है। कवि में फूल अप्रैल माह में लगने लगते हैं और उसे समय पाली का प्रकोप फल पर अत्यधिक बाधक साबित होता है इसीलिए जिन क्षेत्रों में पाले की समस्या अत्यधिक होती है वहां पर कवि की बागवानी सफलतापूर्वक नहीं हो पाती। कवि का उत्पादन के लिए जिस जगह का तापमान गर्मियों में 35 डिग्री से कम रहता है जहां पर तेज हवाएं चलती है वहां पर इसका उत्पादन सही ढंग से हो पता है। कवि के लिए सुखे महीना में जून और सितंबर अक्टूबर में सिंचाई का पूरा प्रबंध होता है।

कीवी की विभिन्न किस्में

उत्तराखंड में खेती के लिए कीवी की कई किस्में उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख किस्में हैं:

  • हेवर्ड (Hayward): यह सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय किस्म है, जिसका उत्पादन विश्वभर में किया जाता है।
  • मोंटी (Monty): मोंटी किस्म का फल छोटा होता है, लेकिन इसका स्वाद बेहतरीन होता है।
  • एबॉट (Abbott): एबॉट कीवी भी छोटे आकार की होती है और इसका उत्पादन तेजी से बढ़ता है।

कीवि उत्पादन के लिए भूमि का चुनाव और मृदा परिक्षण

अगर आप कीवि  का उत्पादन करते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको भूमि का चुनाव करना होगा। इसके लिए आपको बलुई दोमट भूमि जिसमें जल विकास की व्यवस्था हो सर्वोत्तम रहती है। इसके अलावा जिस भूमि में आपकी कीवि का उत्पादन करना चाहते हैं। उस भूमि का मृदा परिक्षण जरूर करें। जिसमें मृदा में जैविक कार्बन पी.एच मान हुआ। जिससे कि चयनित भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की जानकारी हमें मिल सके.

अगर आप कीवी  की अच्छी उपज चाहते हैं तो इसके लिए मिट्टी में जैविक /जीवांश कार्बन का 0.8 तक होना जरूरी है।कृषि के लिए कार्बन पदार्थ अत्यधिक लाभकारी होता है।जमीन में अगर कार्बन पदार्थ की मात्रा अधिक हो तो मिट्टी की भौतिक और रासायनिक गन अत्यधिक बढ़ जाती है और इसकी संरचना भी बेहतर हो जाता है।अगर कभी भी आपको लगता है की भूमि में जैविक कार्बन की मात्रा कम है तो जंगल की ऊपरी सतह की मिट्टी मिट्टी, गोबर , कम्पोस्ट खाद और जीवामृत का प्रयोग जरूर करें ।

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कीवी फल बेचकर कमा सकते हैं लाखों रुपए

कीवि की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है कीवि का फल टिकऊ होने के करण तुरई होने के बाद करीब चार से पांच महीने ठंडा स्थान पर रखा जा सकता है । इसी कारण इस फल को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने में कोई नुकसान नहीं होता है।कीवि की खेती की बात करें तो इस फल को बेच कर किसान लाखों रुपए कमा सकते हैं बाजार में कीवि  प्रति किलो की वजह प्रति पीस के हिसाब से बिकता है कीवी फल 50 से 60 रुपए तक आसानी से बिक सकता है यदि आप एक हेक्टर में कीवि की खेती करते हैं तो आप हर महीने 10 से 15 लख रुपए इसे मुनाफा कमा सकते है।

कीवी से बंपर कमाई के टिप्स (Tips for earning bumper money from kiwi in Uttarakhand )

उन्नत खेती तकनीक

  • वेल्यू एडिशन (Value Addition): कीवी से जैम, जूस, और अन्य उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं, जिससे अतिरिक्त कमाई हो सकती है।
  • ऑर्गेनिक खेती: ऑर्गेनिक कीवी की मांग तेजी से बढ़ रही है, जो बेहतर कीमत दिलाने में मदद कर सकती है।
  • उपज बढ़ाने के तरीके: उन्नत बीज, सिंचाई के आधुनिक तरीके, और समय पर पोषक तत्वों की आपूर्ति उत्पादन को बढ़ा सकते हैं।

बाजार में पहुंच

उत्तराखंड में कई मार्केटिंग चैनल्स उपलब्ध हैं, जहाँ आप अपनी कीवी को बेच सकते हैं। स्थानीय मंडी, होलसेल मार्केट, और ऑनलाइन मार्केटप्लेस जैसे Amazon और Flipkart पर भी ताजे फल बेचे जा सकते हैं। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और सहकारी समितियों से भी मदद मिल सकती है।

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राज्य सरकार की सहायता और योजनाएं

उत्तराखंड सरकार ने किसानों को कीवी की खेती में मदद करने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। राज्य सरकार के कृषि विभाग की ओर से किसानों को सब्सिडी, प्रशिक्षण, और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। साथ ही, राष्ट्रीय बागवानी मिशन (National Horticulture Mission) जैसी योजनाएं भी कीवी की खेती को बढ़ावा देने में सहायक हैं।

उत्तराखंड में कीवी की खेती के लिए पर्याप्त संभावनाएं हैं। सही तकनीक, देखभाल, और बाजार में पहुंच बनाकर किसान बंपर कमाई कर सकते हैं। यदि आप भी कीवी की खेती में रुचि रखते हैं, तो यह आपके लिए एक शानदार अवसर हो सकता है।

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