जानिए रूद्राभिषेक करने के 22 तरीके औेर उनसे प्राप्त फल | Rudrabhishek
रूद्राभिषेक(Rudrabhishek) करने के 22 तरीके औेर उनसे प्राप्त फल रूद्राभिषेक का महत्व और इसके प्रारम्भ के बारे मे हम आपको लवदेवभूमि के पहले लेख मे बता चुके है। दोस्तो शास्त्रो मे सावन माह मे रूद्राभिषेक का महत्व सबसे ज्यादा बताया गया है और सभी भक्त इस माह रूद्राभिषेक करते है।
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क्या आपको पता है कि रूद्राभिषेक किन–किन द्रव्यो से किया जाता है अगर नही तो आज हम आपको लवदेवभूमि के इस लेख मे यही बताने जा रहे है। लेख को पूरा पढ़े और ज्यादा से ज्यादा शेयर करना।
तो चलिए दोस्तो जानते है–
1- चने की दाल– किसी भी शुभ कार्य के आरम्भ होने व कार्य मे उन्नति के लिए चने की दाल से अभिषेक किया जाता है।
2- काला तिल– तत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक किया जाता है।
3- कुमकुम, केसर और हल्दी– आकर्षक व्यक्तित्व की प्राप्ति हेतु कुमकुम, केसर और हल्दी से अभिषेक किया जाता है।
4- शहद मिश्रित गगाजल– सतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख–शाति हेतु शहद मिश्रित गगाजल से अभिषेक किया जाता है।
5- गगाजल– जीवन और मरण के बधन से मुक्ति पाने हेतु गगाजल से अभिषेक किया जाता है।
6- गाय का दूध– सतान प्राप्ति की इच्छा, आत्मविश्वास मे वृद्वि और जीवन मे सुख–समृद्वि हेतु गाय के दूध से अभिषेक किया जाता है।
7- दही– जातक के कार्यो मे आ रही बाधाओ को दूर करने और पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति हेतु दही से अभिषेक किया जाता है।
8- शहद– मान–सम्मान की प्राप्ति, वाणी मे पैदा दोष खत्म करने तथा स्वभाव मे विनम्रता और पाप क्षय हेतु शहद से अभिषेक किया जाता है।
9- घी– वश विस्तार तथा सेहत अच्छी हेतु घी से अभिषेक किया जाता है।
10- इत्र– मानसिक तनाव दूर करने तथा जीवन मे शाति बनाए रखने हेतु इत्र से अभिषेक किया जाता है।
11- गन्ने का रस– आर्थिक परेशानिया खत्म करने हेतु गन्ने के रस से अभिषेक किया जाता है।
12- शुद्व जल– पुण्य और शिव कृपा की प्राप्ति हेतु शुद्व जल से अभिषेक किया जाता है।
13- सरसो का तेल– कुडली मे किसी भी प्रकार के दोष से मुक्ति, शत्रुओ के नाश तथा रोगो से मुक्ति हेतु सरसो के तेल से अभिषेक किया जाता है।
14- तीर्थो का जल– मोक्ष की कामना हेतु तीर्थो के जल से अभिषेक किया जाता है।
15- पचामृत– सभी प्रकार के कष्ट दूर करने हेतु पचामृत से अभिषेक किया जाता है।
16- बेलपत्र– सुखी गृहस्थ जीवन की कामना हेतु 40 दिनो तक रोज बेलपत्र से अभिषेक किया जाता है।
17- धतूरा– सतान प्राप्ति हेतु धतूरे के एक लाख फूलो से अभिषेक किया जाता है।
18- भस्म– शत्रुओ का विनाश करने हेतु भस्म से अभिषेक किया जाता है।
19- वर्षा जल– नकारात्मक शक्तिओ के नाश करने हेतु वर्षा जल से अभिषेक किया जाता है।
20- भाग– स्वास्थय और आरोग्य की प्राप्ति हेतु भाग से अभिषेक किया जाता है।
21- नारियल पानी– शत्रु और प्रेत बाधा दूर करने हेतु नारियल पानी से अभिषेक किया जाता है।
22- शक्कर मिश्रित दूध– बुद्वि की जड़ता समाप्त करने तथा बुद्वि श्रेष्ठ करने हेतु शक्कर मिश्रित दूध से अभिषेक किया जाता है।
आशा करता हू कि आपको लवदेवभूमि का ये लेख अवश्य पसद आया होगा। जय उत्तराखण्ड।
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