उत्तराखंड में फैला है नकली एंटीबायोटिक दवाओं का कारोबार, रहें सावधान

नकली एंटीबायोटिक दवाओं का कारोबार(Fake Antibiotic in Uttarakhand) : अब तो मिलावट दवाओं में होने लगी है और मिलावट से सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उत्तराखंड में दवा कंपनियां फर्जी तरीके से अपना ब्रांड बनाकर नकली एंटीबायोटिक दवा बनाकर खपा रही हैं। इस साल प्रदेश में एंटीबायोटिक दवाओं के 16 सैंपल जांच के लिए लाये गए और रुद्रपुर स्थित राज्य खाद्य औषधि विश्लेषण शाला में सैंपल की जांच की गई। जिससे इस बात का खुलासा हुआ कि प्रदेश में नकली एंटीबायोटिक दवाओं का कारोबार फैला है।

उत्तराखंड में 350 से भी अधिक दवा की कंपनियां है। हिमाचल के बाद सबसे ज्यादा दवा उत्तराखंड मे ही बनती हैं। देश में बनने वाली दवाओं में उत्तराखंड की हिस्सेदारी 20 फीसद है।

रुद्रपुर के राज्य खाद्य एवं औषधि विश्लेषण शाला में साल भर में करीब 800 दवाओं के सैंपल की जांच की गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस वित्त वर्ष में दवाओं के सैंपल में एंटीबायोटिक के 16 सैंपल की जांच में स्प्यूरीयस पाया गया है। यानी कि इन दवाओं में एंटीबायोटिक के कंटेंट शून्य हैं अर्थात इसका मतलब यह है कि यह एंटीबायोटिक नकली है। स्प्यूरीयस पाए गए ज्यादातर सैंपल हरिद्वार जिले के थे। सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि ये दवाएं उत्तराखंड में नहीं बनी है। यह नकली दवाएं उत्तराखंड के बाहर कहीं और बनी है और फर्जी तरीके से उत्तराखंड की कंपनियों का नाम प्रयोग कर रही हैं। 

रुद्रपुर लैब में फेल पाये गये एंटीबायोटिक के सैंपल रुड़की में पकड़ी गई फर्जी दवाओं की फैक्ट्री से मिल रहे हैं। फर्जी एंटीबायोटिक दवाओं के गिरोहों के खिलाफ पहले से ही कार्यवाही हो रही है।

amazonsell

उत्तराखंड औषधि नियंत्रक ताजबर जग्गा  ने कहा कि उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में भी इस कंपनी की नकली दवाओं के वितरण की जानकारी पाई गई है। यह आम लोगों तक न पहुंच पाए इसके लिए लगातार सैंपलिंग हो रही है। सभी औषधि निरीक्षकों को दवाओं के लिए सघन जांच करने का आदेश दिया गया है।

खाद्य पदार्थों में भी मिलावट हो रही –

राज्य औषधि विश्लेषण शाला में खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच के मामले सामने आए हैं। साल भर में आने वाले सैंपल में से करीब 25-30 फीसदी नमूने फेल हुए हैं। जांच में शामिल खाद्य पदार्थों में, दूध में यूरिया, डिटर्जेंट, पनीर में आर्टिफिशियल फैट, एनिमल फैट, मिर्च में सूडान रेड कलर, रेड वाइन और हल्दी में रंगों की मिलावट धड़ल्ले से की जा रही है। इसलिए इसके नमूने फेल हो रहे हैं।

बता दें कि खाद्य एवं औषधि के सैंपल में फेल होने की रिपोर्ट मुख्य रूप से दो श्रेणियों में दी जाती है पहला Mix Brand होता है। जिसमें दवाओं के मानक पूरे नहीं होते हैं, उन्हें इस श्रेणी में रखते हैं। 

दूसरी श्रेणी अनसेफ श्रेणी की है,इसमें उन दवाओं को रखा जाता है जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है।

 Mix ब्रांड होने पर अपर जिलाधिकारी के न्यायालय में वाद चलता है। वही सैंपल अनसेफ मिलने पर सीजेएम कोर्ट में मुकदमा चलाया जाता है।

बता दें कि स्थानीय स्तर पर 60 सैंपल लिए गए जो कि सही है। जिन मामलों में स्प्यूरीयस पाया गया है वह अन्य क्षेत्रों से लिए गए हैं। हरिद्वार में इंस्पेक्टर अनीता भारती के अनुसार तीन स्प्यूरीयस मामले ऐसे थे जिनमें दवा उत्तराखंड में नहीं बनाई गई थी। यह कंपनी उत्तराखंड की नही थी। एक मामला ऐसे भी आया जिसमें ब्रांड और कंपनी का नाम फर्जी था। जांच से यह बात स्पष्ट हो गई है कि यहां की दवा कंपनियों के नाम पर बाहरी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा नकली दवा बना रही है।

यह भी पढ़े : उत्तराखंड में हिन्दू युवा वाहिनी ने लगाया बैनर, “गैर हिंदुओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!