कैसे मंगल ग्रह की अनुकूलता से प्राप्त होता है उच्च पद ?

Mangal grah se carrier mai success paye

🔱 ओम श्री गणेशाय नमः 🔱

आज हम बात करेंगे जन्म पत्रिका में मंगल ग्रह की शुभ और अशुभ स्थिति के बारे में।

🌟 मंगल ग्रह का महत्व

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, किसी भी जातक की जन्म कुंडली में नवग्रहों का विशेष महत्व और प्रभाव होता है। मंगल ग्रह जन्म कुंडली का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह है।

  • जिस प्रकार शनिदेव न्यायाधीश माने जाते हैं, उसी प्रकार मंगल को सेनानायक का दर्जा प्राप्त है।
  • मंगल ग्रह साहस, पराक्रम और ऊर्जा का प्रतीक है।
  • यह ग्रह किसी जातक को धनवान या ऋणी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

🔥 मंगल ग्रह का स्वरूप

मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी माना गया है।

  • यह ग्रह पित्त प्रकृति, अग्नि तत्व, और दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करता है।
  • मकर राशि में मंगल उच्च (88° तक) और कर्क राशि में नीच (28° तक) होता है।

🌿 शुभ मंगल के प्रभाव (Shubh Mangal Grah ke Prabhav)

यदि कुंडली में मंगल शुभ स्थिति में हो तो –

  • जातक साहसी, बलशाली और कुशल नेतृत्व वाला बनता है।
  • उच्च पद, प्रतिष्ठा और भूमि-भवन का लाभ प्राप्त होता है।
  • मंगल शुभ भावों का स्वामी होकर सूर्य, चंद्र या बृहस्पति के साथ हो तो धन-संपत्ति और ऐश्वर्य प्रदान करता है।
  • शुभ मंगल कुंडली में शुभ भावों का स्वामी होता है।
  • मंगल जब सूर्य, चंद्र या बृहस्पति के साथ दृष्ट होता है तो जातक को साहस, बल और उच्च पद प्रतिष्ठा प्रदान करता है।
  • जातक के जीवन में धन-संपदा, भूमि, भवन और प्रतिष्ठा का लाभ मिलता है।
  • मंगल की शुभ स्थिति जातक को सेनानायक बनने का अवसर देती है।

⚠️ अशुभ मंगल के प्रभाव (Ashubh Mangal Grah ke Prabhav)

यदि मंगल कुंडली में नीच या अशुभ स्थिति में हो तो –

  • अशुभ या नीच मंगल जातक को दुर्घटनाएं, शत्रु बाधाएं, संपत्ति विवाद और कर्ज की स्थिति में डालता है।
  • मंगल की अशुभ स्थिति से तनावपूर्ण जीवन और शल्य क्रियाओं के योग उत्पन्न होते हैं।
  • मंगल ग्रह के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भावों में अशुभ स्थिति से मांगलिक दोष उत्पन्न होता है, जिससे दांपत्य जीवन में कष्ट आता है।
  • जब मंगल शत्रु ग्रहों या पाप ग्रहों से दृष्ट होता है तो जातक के जीवन में अकाल मृत्यु, शारीरिक पीड़ा और मानसिक तनाव उत्पन्न होते हैं।
  • मंगल राहु और शनि की युति जातक के जीवन में दुर्घटनाएं और डिप्रेशन का कारण बनती है।

मांगलिक दोष का समाधान

  • यदि कुंडली में मंगल अशुभ भावों में हो तो मंगल दोष निवारण पूजा करें।
  • मंगल का पाप प्रभाव हनुमान जी की कृपा से दूर हो सकता है।
  • रामायण, सुंदरकांड और हनुमान बाहुक का पाठ करें।
  • मांगलिक दोष को शांत करने के लिए नवग्रह शांति यज्ञ करें।

🕉️ मंगल ग्रह को अनुकूल बनाने के उपाय

  1. मंगल मंत्र जप
    “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” का 100 हज़ार बार जप करें।
  2. मंगलवार को दान करें
    • लाल वस्त्र, गुड़, मसूर, चना, मूंगा रत्न, तांबे की वस्तुएं, बादाम, किशमिश, अनार और लाल पुष्प।
  3. हनुमान जी की उपासना करें
    • नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें।
    • मंगलवार को हनुमान जी को चोला चढ़ाएं
    • सुंदरकांड और रामचरितमानस का पाठ करें।
  4. मंगल ग्रह के लिए रत्न धारण करें
    • यदि मंगल नीच का है तो सफेद मूंगा धारण करें।
    • शुभ भावों का स्वामी होने पर सिंदूरी मूंगा धारण करें।
  5. मंगल ग्रह की दशा में हनुमान उपासना करें
    • 40 दिनों तक हनुमान चालीसा का अखंड पाठ करें।
    • मंगलवार को व्रत रखें और मंगलवार के व्रत का पालन करें।

📿 विशेष उपाय

  • यदि मंगल नीच का हो तो सफेद मूंगा धारण करें।
  • शुभ भाव का स्वामी होने पर सिंदूरी मूंगा रत्न पहनें।

मंगल ग्रह की शांति के लिए ये उपाय करने से जीवन में शुभता और मंगलकारी फल की प्राप्ति होती है।

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🙏 धन्यवाद! नमस्कार!

 


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