ऐंपण कला स्वरोजगार का एक सशक्त माध्यम

ऐंपण कला स्वरोजगार का एक सशक्त माध्यम

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के कुमाउं मंडल में ऐंपण का बहुत महत्व माना जाता है। यहां किसी भी मांगलिक कार्य, वैवाहिक कार्यक्रमों और त्यौहारों आदि में ऐंपण को शुभ माना जाता है। बीते समय में ऐंपण कला केवल देहरी व दरवाजों तक सीमित थी पर वर्तमान में ऐंपण कला स्वरोजगार का एक सशक्त माध्यम बन चुका है तो वहीं इससे लोक संस्कृति व लोक कला को भी बढ़ावा मिल रहा है। पर्वतीय क्षेत्र की कई बालिकाएं ऐंपण कला के माध्यम से न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं वहीं अपने हुनर को आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन बना लिया है।

सीमांत जनपद के जिला मुख्यालय के गंगा निवास कैलास पुरी निवासी एमए आर्टस अंतिम वर्ष की छात्रा कविता खड़ायत भी स्वरोजगार को बढ़ावा देने के साथ ही विभिन्न ऐंपण से तैयार दीए, तस्वीरें सहित कई अन्य सामग्री तैयार कर रही हैं। कविता द्वारा ऐंपण कला के साथ तैयार की गई सामग्री की लोगों ने काफी सराहना की है। कविता ने बताया कि उनके द्वारा ऐंपण से तैयार किए गए उत्पाद की जनपद सहित अन्य स्थानों से भी डिमांड आ रही है।

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