पिथौरागढ़: सीमा पर तैनात सैनिकों की कलाई पर सजेंगी ऐंपण व जूट की राखियां

पिथौरागढ़

पिथौरागढ़ के धनौड़ा में घनश्याम ओली चाइल्ड वेलफेयर सोसायटी के बच्चों और वॉलिंटियर्स द्वारा आगामी रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार के लिए हाथ से बनी हुई राखियां बनाई जा रहीं है। इस बार संस्था द्वारा जूट की रस्सियों से राखी तैयार की जा रहीं है, इसी के साथ ऐपण कला को भी राखियों पर सजाया जा रहा है और बच्चों के लिए रुई और ऊन से गुड्डे वाली गुड्डे-गुड़िया वाली राखियों को भी बनाया जा रहा है। इन राखियों की सबसे खास बात यह है की यह हाथ से निर्मित राखियां है। संस्था के अध्यक्ष और बच्चों का मानना है कि हाथ से बनी हुई राखियों में प्रेम और रिश्तों की अलग मिठास और अपनापन झलकता है। संस्था पीछे छह सालों से भारतीय बॉर्डर्स पर जवानों के लिए हर साल 40,000 से अधिक राखियां भेजती है। कश्मीर , लद्दाख, पंजाब और उत्तराखंड के बॉर्डर्स पर तैनात जवानों के हाथों में संस्था के बच्चों द्वारा बनाई गई राखियां हर साल सजती हैं। संस्था अध्यक्ष द्वारा बताया गया की इस साल लॉकडाउन के दौरान बच्चों द्वारा 31000 से अधिक राखियां बनाई गई और अभी यह अंत तक 60000 के आसपास बनेंगी। कौशल विकास परीक्षण के दौरान रोज बच्चों द्वारा यह सुंदर राखियां बनाई जाती है।

वह खुद ही डिजाइन सोचते हैं और उसे तैयार करते हैं। 3000 से 4000 राखियां हर साल लोगों द्वारा खरीदी भी जाती है, जिस आय से बच्चों की शिक्षण सामग्री जुटाने में आसानी होती है। हाथ से बनी हुई राखियां पहन कर लोगों को भी खुशी मिलती है। संस्था अध्यक्ष अजय ओली ने बताया की 100 से अधिक भारतीय सेना की यूनिट द्वारा उन्हें इस काम के लिए सराहा भी गया है। साथ ही सीडीएस जनरल विपिन रावत और जनरल नरवने द्वारा भी उन्हें सराहनीय पत्र दिया जा चुका है।

2018 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वार 2020 में उत्तराखंड राज्यपाल बेबी रानी मौर्य द्वार भी प्रशस्ति-पत्र दिया गया है। इस बार सीमा पर 42000 राखियां जवानों की कलाई पर सजेंगी, जिसमे ऐंपण वाली राखियां प्रमुख हैं।
संस्था अध्यक्ष ने बताया की संस्था हर साल देश के जवानों के लिए राखियां भेजती है और आगे भी यह संख्या बढ़ेगी, संस्था का उद्देश्य है की भारत के हर जवान के हाथों में बच्चों के हाथ की बनी रखी सजे। एक तरफ जहां यह मुहिम बच्चों को देश प्रेम से जोड़ रही है वहीं दूसरी तरफ इनके हुनर को निखार कर इनके कौशल विकास में अहम योगदान दे रही है।

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