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उत्तराखंड में प्रदेशवासियों को सस्ती सेवा और कुछ मिनटों में सफर का सपना नहीं हुआ पूरा,जाने क्या है वजह 

उत्तराखंड में  पहले परदेस में रहने वाले प्रदेशवासियों को एक सपना दिखाया गया था, कि वो सस्ती सेवा  का सपना अगर कहीं जाने में एक घंटा लगता है तो वहीं कुछ ही मिनटों में अपने घर पहुंच जाएंगे। इसका सपना  बीमारों को राहत मिलेगी, तो पर्यटकों को प्रकृति से जुड़ने का मौका। बाकायदा केंद्र से इस योजना को स्वीकृति मिली। उन लोगों को कहा गया था कि अब  हर जिले में हेलीपैड बनेंगे और यहां से हेली सेवाएं शुरू कीया जाऐगा, शुरू में तो इन सभी योजनाओं पर काम किया गया। लेकिन यह सेवा नई टिहरी, चिन्यालीसौड़, गौचर, श्रीनगर और देहरादून से ही हेली सेवा शुरू किया गया है। पिथौरागढ़, धारचूला, हल्द्वानी, हरिद्वार, जोशीमठ, मसूरी इन सभी जगह पर अभी तक हेली सेवा की शुरुआत नहीं करवाई गई है,क्योंकि इन सभी जगहों पर अभी हेलीपैड नहीं है। हेलीपैड के लिए जमीन देखा जा रहा है,अगर जमीन मिल जाता है तो हेलीपैड जल्द ही बनवा दिया जाएगा और हेली सेवा भी तुरंत शुरू करवा दी जाएगी।ऐसे में प्रदेश के लोगों को सस्ती हवाई सेवा का सपना अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।

कोरोना  वायरस के कारण नहीं बन रहा है ऑनलाइन ग्रीन कार्ड 

हर वर्ष ग्रीन कार्ड बनवाने के लिए लोगों का तांता लगा रहता था लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन ग्रीन कार्ड बनाने की योजना बहुत कम दिखाई दे रहे कोरोना वायरस  के बढ़ते प्रकोप के कारण इस बार बहुत कम यात्री चार धाम जा रहे हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं अभी तो चार धाम यात्रा का सीजन शुरू ही हुआ है। चारधाम यात्रा के दौरान यात्रा मार्ग पर संचालित होने वाले व्यावसायिक वाहनों के लिए परिवहन विभाग ग्रीन कार्ड जारी करता है। हर साल लगभग 15 से 20 हजार ग्रीन कार्ड बनवाया जाता था। ग्रीन कार्ड का अर्थ संबंधित वाहन के सारे दस्तावेज पूर्ण हैं, वाहन की फिटनेस भी चेक कर ली गई है और ये पर्वतीय मार्गों पर चलने को पूरी तरह फिट हैं। यात्रा के दौरान विभिन्न आरटीओ और एआरटीओ कार्यालयों में ग्रीन कार्ड बनवाए जाते हैं। चार धाम यात्रा करने वाले जो लोग वाहनो से जाते हैं।उन लोगों की वाहनो कै लाइन में लगाई जाती है,और उसके बाद ऑनलाइन ग्रीन कार्ड  बनवाए जाते हैं।

उत्तराखंड के इन जिलो मे बारिश के साथ ओलावृष्टि और हिमपात होने की संभावना जताई जा रही है

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