उत्तराखंड के कई कलाकारों ने अपने अभिनय के दम पर अपनी पहचान बनाई है । आज हम बात करेंगे एक ऐसे ही कलाकार की जो अपने अभिनय से अपने किरदार में जान फूंक देते हैं और अपने किरदार के रूप में दर्शकों के दिलो-दिमाग पर छाप छोड़ देते हैं । वह किरदार चाहे कॉमेडी का हो या फिर नेगेटिव किरदार, वो हर किरदार में बेहतरीन अभिनय करते हैं । इनका संबंध देवभूमि उत्तराखंड के गढ़वाल से रहा है । जी हां….. हम बात कर रहे हैं ओंकारा फिल्म में अपने बेहतरीन अभिनय के लिए 2007 में फिल्म फेयर अवार्ड से नवाजे गए दीपक डोबरियाल (Deepak Dobriyal) की ।
परिचय –
दीपक डोबरियाल (Deepak Dobriyal) का जन्म 1 सितंबर 1975 को देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के एक गांव सतपुली में हुआ था । जब दीपक मात्र 5 साल के थे तभी इनके माता-पिता दिल्ली आकर रहने लगे । लेकिन दीपक का संबंध उत्तराखंड से हमेशा बना रहा । दीपक डोबरियाल की पढ़ाई दिल्ली के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हुई है । दीपक डोबरियाल दिल्ली जाने के बाद भी अपने परिवार के साथ अक्सर अपने गांव आया करते थे और उनके दिल में अपने गांव और शहर के लिए प्यार अब भी बना हुआ है । इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब दीपक डोबरियाल किसी उत्तराखंड के व्यक्ति से मिलते हैं तो उससे पौड़ी भाषा में ही बातचीत करते हैं । दीपक डोबरियाल को बचपन से ही एक्टिंग में दिलचस्पी थी । इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद दीपक डोबरियाल ने 1994 से मशहूर थिएटर डायरेक्टर अरविंद गौर से एक्टिंग के शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी और तुगलक, अंधा युग, रक्त कल्याण, फाइनल सॉल्यूशन जैसे कई सारे नाटकों में उन्होंने अभिनय किया है । हालांकि दीपक डोबरियाल के पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा अभिनय के क्षेत्र में कैरियर बनाए । वे चाहते थे कि दीपक नौकरी करें । दीपक डोबरियाल ने एक बार अपने एक्टिंग के क्षेत्र में कैरियर के संबंध में बताया था कि उनके पिता चाहते थे कि वो परिवार के अन्य लोगों की तरह नौकरी करे, लेकिन दीपक एक्टिंग के क्षेत्र में ही कैरियर बनाना चाहते थे । एक्टिंग उनका शौक था और वो अपने शौक को अपना पेशा बनाना चाहते थे । इसमें दीपक के चाचा जी ने उनको सपोर्ट किया था । उनके चाचा जी विदेश में रहते थे और एक बार उनके घर पर आए हुए थे । उन्होंने उनके पिता जी को समझाया और दीपक को एक मौका देने की बात कही । फिर क्या, दीपक डोबरियाल ने अपने हर नाटक और फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोडी और खुद को साबित किया । दीपक डोबरियाल बचपन से ही एक्टिंग के क्षेत्र में विशेष दिलचस्पी रखते थे । दीपक ने एक्टिंग की शुरुवात 1994 से थिएटर एक्टर के रूप में की थी और 6 साल तक मसहूर थियेटर डायरेक्टर अरविंद गौर के निर्देशन में विभिन्न नाटकों मे एक्टिंग की । दीपक डोबरियाल 17 जनवरी 2009 में लारा भल्ला के साथ शादी के बंधन में बंध गए थे ।
फिल्मी सफर –
धूम्रपान पर लघु फ़िल्म में काम –
दीपक डोबरियाल ने धूम्रपान निषेध पर आधारित एक लघु फिल्म “11 मिनट” में अपने अभिनय के साथ लोगो को मजाकिया अंदाज में धूम्रपान न करने का संदेश दिया है । इस फ़िल्म के लॉन्च के मौके पर अपनी धूम्रपान की आदत पर दीपक डोबरियाल ने कहा था कि उन्होंने धूम्रपान की आदत इसलिए अपनाई थी क्योंकि उन्हें यह “स्टाइलिश” लगता था । उन्होंने कहा था “जब मैं धूम्रपान नहीं करता था तब मेरी इच्छाशक्ति बहुत दृढ़ थी । मैं पूरे मन से काम करता था । लेकिन अपने सीनियर्स को देखकर मैंने सोचा कि धूम्रपान “स्टाइलिश” होता है । जबकि सच तो यह है कि अपने शर्मिंदगी और ऐसे ही एहसासों को छुपाने के लिए आप सिगरेट की मदद लेते हैं” । दीपक डोबरियाल ने कहा था “किसी और को कुछ करने के लिए कहने से पहले यह जरूरी है कि मैं खुद ही वह करूं…. और मैंने धूम्रपान छोड़ दिया” । इस फिल्म में सनी लियोन भी थी और उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक उपचार की मदद से यह निश्चित किया जा सकता है कि धूम्रपान छोड़ने वाला व्यक्ति दोबारा धूम्रपान न करे ।
अवार्ड –
दीपक डोबरियाल को 2007 में “ओंकारा” फ़िल्म के लिए फ़िल्म फेयर अवार्ड और 2012 में “तनु वेड्स मनु” में पप्पी के किरदार के लिए बेस्ट परफॉर्मेंस इन कॉमिक रोल के लिए आइफा(IIFA) अवार्ड से नवाजा जा चुका है ।
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