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देवभूमि के अल्मोड़ा का इतिहास | History of Almora in Hindi

History of Almora

History of Almora

अल्मोड़ा का इतिहास| History of Almora in Hindi: देवभूमि उत्तराखंड का जिला अल्मोड़ा कुमाऊं प्रभाग का एक जिला है। यह समुद्र तल से 1629 मीटर की ऊंचाई पर है। इसके पूर्व में पिथौरागढ़ जिला, पश्चिम में गढ़वाल क्षेत्र, उत्तर में बागेश्वर जिला और दक्षिण में नैनीताल जिला स्थित है। अल्मोड़ा सियाल और कोसी नदी के बीच 5 किलोमीटर लंबी घोड़े की पीठ के आकार की पहाड़ी पर बसा एक बेहद चर्चित हिल स्टेशन है। यहां पर चंद वंश और कत्यूरी वंश के राजाओं ने 15 और 16 वीं शताब्दी में शासन किया था। अल्मोड़ा की पहाड़ी से हिमालय की बर्फी चोटियों का यह नजारा आसानी से देख सकते हैं। अपनी इसी खासियत की वजह से दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करती है।

अल्मोड़ा का प्राचीन इतिहास(History of Almora in Hindi) –

 अल्मोड़ा की स्थापना राजा बालो कल्याण चंद्र ने 1568 में की थी। हालांकि महाभारत के समय में भी यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण देखने को मिलते है। स्कंद पुराण के मानस खंड में बताया गया है कि कौशिकी (कोसी) और शालमली (सुयाल) नदी के बीच एक पावन पर्वत स्थित है। यही पर्वत अल्मोड़ा नगर था। कहा जाता है कि इस पर्वत पर भगवान विष्णु का निवास था। एक पौराणिक कथा में यह भी कहा गया है कि अल्मोड़ा की कौशिकी देवी ने शुंभ और निशुंभ नामक दानवों को इसी जगह पर माना था।

स्थानीय परंपरा के अनुसार तिवारी को अल्मोड़ा का सबसे पहला निवासी बताया जाता था। यह कटारमल के सूर्य मंदिर में बर्तनों की सफाई करने के लिए एक विशेष वनस्पति की आपूर्ति करते थे। शक, नाग, किराट, खस, हुन जनजातियों को अल्मोड़ा की सबसे प्राचीन जनजातियों के रूप में जाना जाता है।

कत्यूरी राजाओं के शासन के समय में अल्मोड़ा को राजपुर के नाम से जाना जाता था। यह नाम काफी समय तक प्राचीन तांबे की प्लेटों पर उल्लेख मिला है।  प्राचीन युग से ही अल्मोड़ा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र रहा है।

अल्मोड़ा का आधुनिक इतिहास –  

आधुनिक इतिहास में बताया जाता है कि अल्मोड़ा नगर की स्थापना 1563 में चंद्र राजवंश के राजा बालो कल्याण चंद ने ‘आलमनगर’ नाम से की थी। चंद्र वंश की पहले राजधानी ‘चंपावत’ थी लेकिन चंद कल्याण अल्मोड़ा के महत्व को भली प्रकार से समझते थे। तभी उन्होंने चंपावत से अपनी राजधानी बदलकर आलमनगर (अल्मोड़ा) कर ली थी।

 1563 से लेकर 1790 तक कुमाऊँ क्षेत्र धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व की दिशा में महत्वपूर्ण रहा है। यहां पर कई ऐतिहासिक और राजनीतिक घटनाएं घटी हैं। साहित्यिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अल्मोड़ा समस्त कुमाऊं अंचल का प्रतिनिधित्व करता रहा है।

1790 में नेपाल के गोरखाओ ने काली नदी के पश्चिम की ओर अपना राज्य का विस्तार करने के लिए कुमाऊं अंचल पर आक्रमण करना शुरू किया और यहां पर अपना राज्य स्थापित कर लिया। बताया जाता है कि सबसे पहले गोरखाओं ने काली नदी से अलकनंदा नदी तक सड़क का निर्माण कराया था। यह सड़क अल्मोड़ा से होते हुए काली से श्रीनगर तक जाती थी। यह कुमाऊँ क्षेत्र का सबसे बड़ा नगर समझा जाता था। 

1801 में काशीपुर ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आ गया था। नेपाल का हस्तदल 500 गोरखा सैनिकों के साथ अल्मोड़ा की रक्षा के लिए निकल पड़े थे। गोरखओ और ब्रिटिश शासन के बीच लड़ाई हुई जिसमें गोरखा कमांडर वीरगति को प्राप्त किए थे। 27 अप्रैल को अल्मोड़ा कि गोरखा अधिकारी ने हथियार डाल दिया और उसी के साथ यहां पर ब्रिटिश शासन स्थापित हो गया।

30 नवंबर 2000 को जब उत्तर प्रदेश से अलग करके उत्तराखंड राज्य की स्थापना की गई थी तब अल्मोड़ा इस नए राज्य का हिस्सा बना था। 

अल्मोड़ा का भौगोलिक इतिहास –

 अल्मोड़ा उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित है यह 1646 मीटर की ऊंचाई पर लगभग 11.9 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके दोनों तरफ पर्वत चोटियां स्थित है। कोसी और सुयाल नदियां इसके नीचे से होकर बहती रहती हैं। यह कुमायूं हिमालय के दक्षिणी किनारे पर है। इस चोटी के पूर्वी विभाग को तेलीफट और पश्चिमी भाग को सेलीफट के नाम से जानते हैं। शीर्ष चोटी पर दोनों मिल जाते हैं और वहीं पर सुंदर कटे पत्थरों का अल्मोड़ा बाजार स्थित है।

 सामान्यता अल्मोड़ा का औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस रहता है

अल्मोड़ा के पर्यटन स्थल – 

अल्मोड़ा अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ साथ पर्यटकों के बीच अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है। इसके एक तरफ चंद कालीन किले और मंदिर हैं तो दूसरी तरफ ब्रिटिश काल के पिकनिक स्थल और चर्च बने हैं। यहां पर स्थित नंदा देवी मंदिर कुमाऊ की वास्तुशिल्प शैली में बना एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। बताया जाता है कि यह मंदिर चंद्रवंश के इस देवी को समर्पित है। साल भर श्रद्धालु यहाँ आते रहते हैं। इसके अलावा यहाँ का कसार देवी मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि यह दूसरी शताब्दी में बना था। इस मंदिर में स्वामी विवेकानंद ने तपस्या की थी। 

इस तरह यहाँ कसार देवी मंदिर, नंदा देवी मंदिर, चितई मंदिर, कटारमल सूर्य मंदिर अल्मोड़ा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। 

पर्यटक इसके ब्राइट एंड कॉर्नर से सूर्यास्त और सूर्योदय का नजारा नजारे का लुफ्त उठा सकते हैं।

यहां पर पिकनिक मनाने के दो बेहद अच्छी जगह है। यहां पर हिरण पार्क भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस पार्क में हिरण, तेंदुआ और हिमालय की कालू भालू का निवास स्थान है। यहीं पर गोविंद बल्लभ पंत संग्रहालय, बिनसर वन्य जीव अभ्यारण भी स्थित है। अल्मोड़ा पर्यटकों के बीच माउंटेन बाइकिंग और ट्रेकिंग के लिए पसंद किया जाता है।

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