ॐ श्री गणेशाय नमः ।। ॐ नमः पूर्वज्येभ्य:।। ॐ श्री ईष्ट देवाय नमः।।
अक्सर हम यह सुनते हैं कि समय से पहले और किस्मत से ज्यादा कुछ नहीं मिलता है। हर चीज का नियत समय होता है । जिस प्रकार सूर्योदय और सूर्यास्त का समय निश्चित है, ऋतु का समय निश्चित है, और जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु भी निश्चित है। उसी प्रकार लोगों के कर्म फल भी निश्चित है। यही कारण है कि कुछ लोगों को कठिन परिश्रम के बाद भी उपयुक्त परिणाम देर से मिलते हैं तो वहीं कुछ लोगों को ना केवल फल ज्यादा बेहतर मिलते हैं बल्कि समय से पहले अच्छे फल मिल जाते हैं।
विश्व में अनेक धर्म है अनेक संस्कृति हैं और उन को मानने वाले भी अलग-अलग। भारतीय संस्कृति वेदों पर आधारित है। वेदों के द्वारा हम अपने धर्म के बारे में जानते हैं। वेदों के छह अंगों का एक महत्वपूर्ण अंग है ज्योतिष ।
जिसमें है ज्योति : वही है ज्योतिष
ज्योतिष (Jyotish) को ज्योति: शास्त्र भी कहा जाता है जिसका अर्थ है प्रकाश देने वाला अर्थात मार्गदर्शन करने वाला । जो जीवन में राह दिखाएं जो जीवन के भावी सुख-दुख के विषय में बता कर अशुभ प्रभावों को कम से कम कर अधिकतम अच्छे परिणाम की ओर अग्रसर करे।
ज्योतिष शास्त्र आकाशीय मंडल में स्थित ग्रहों के आधार पर किसी घटना के विषय में बताता है ज्योतिष को तीसरी आंख माना जाता है जो हमेशा सही राह बताए और लोगों के अंधविश्वासों को दूर कर उनका सही मार्गदर्शन करे ।हमेशा से ही सभी लोगों के मन में भविष्य और भविष्य में होने वाली घटनाओं को जानने की इच्छा रही है और यही कार्य ज्योतिष शास्त्र के द्वारा किया जाता है।
ज्योतिष ऐसा शास्त्र है जो आकाश मंडल में स्थित ग्रहों के आधार पर किसी घटना के विषय में बताता है। जन्म के समय आकाश में ग्रहों की एक निश्चित स्थिति होती है जिस प्रकार किसी मकान के विषय में उसके नक्शे से जाना जाता है जैसे नक्शे के आधार पर बिल्डिंग या मकान के स्वरूप को हम समझते हैं और उसे अच्छा बनाने का प्रयास करते हैं उसे जरूरत के अनुसार मॉडिफाई करते हैं उसी प्रकार जन्म के समय में आकाश में ग्रहों की एक निश्चित स्थिति होती है इस आधार पर पत्रिका में एक नक्शा बनता है जिसे कुंडली कहते हैं कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर व्यक्ति के जीवन में प्रभाव पड़ता है।
जानें आखिर, जन्मकुंडली क्या है? इसका क्या लाभ है और कैसे बनाई जाती है !
ज्योतिष में मुख्यतः 9 ग्रह, 28 नक्षत्रों और 12 राशियों के आधार पर उनके गुण- धर्म प्रभाव के आधार पर उनके मानव जीवन में पड़ने वाले असर को ज्ञात किया जाता है।
ज्योतिष में ग्रहों का मुख्य पक्ष यह है कि ग्रह फलाफल के प्रणेता नहीं है यह मात्र सूचना देते हैं। सरल शब्दों में कहें तो ग्रह किसी को सुख दुख नहीं देते बल्कि आने वाले सुख-दुख की सूचना देते हैं।
ग्रहों की दशा-अंतर्दशा के अनुसार अलग-अलग समय पर उसी अनुरूप फल मिलता है अर्थात जन्म के समय जन्मकुंडली (Janmkundali) में 9 ग्रहों, 12 राशियों की स्थिति के आधार पर व्यक्ति के सारे जीवन के शुभ-अशुभ फल का विचार करते हैं।
जिस प्रकार अलग-अलग जगहों की मिट्टी अलग-अलग प्रकार की होती है कहीं उपजाऊ, कहीं सूखी तो कहीं बंजर, जिस प्रकार नदी का पानी अलग-अलग जगह के अनुसार गुण रखता है। कहीं सूखे में राहत देता है तो कहीं तेज बहाव के कारण नुकसानदायक होता है। अंत में मिलते सब समुद्र में है उसी प्रकार ग्रहों के प्रभाव गुणधर्म भी आकाशीय स्थिति के अनुसार अलग-अलग होते हैं और जन्म के समय अपनी स्थिति के अनुसार जातक के जीवन में अच्छे- बुरे फल देते हैं।। शुभ- अशुभ ग्रह जन्म कुंडली में भाव के अनुसार, अपनी भावों में स्थिति के अनुसार, अपनी उच्च राशि और नीच राशि के अनुसार शुभ या अशुभ फल देते हैं। शुभ ग्रह या अशुभ ग्रह स्थान परिवर्तन कर मानव जीवन पर प्रभाव रखते हैं।
जिस प्रकार अग्नि का स्वभाव जलाने का है और जल का स्वभाव शीतलता देने का है उसी प्रकार ग्रह भी अपने स्वभाव के अनुसार शुभ अशुभ फल देते हैं ।
अतः ज्योतिष का मुख्य उपयोग यही है कि ग्रहों के गुण स्वभाव और जन्म कुंडली में उनकी स्थिति को जानकर अपने भावी जीवन के सुख दुख को जानकर जीवन में सजग रहना और यदि कुछ अशुभ स्थिति होने की संभावना हो तो उसके प्रभाव को न्यूनतम कर उसको सुख में बदलने का प्रयास करना।
लेखक : पंडित त्रिभुवन कोठारी (ज्योतिषी) |
ज्योतिष के ज्ञान को लोगो तक पहुंचाने के लिए इनके द्वारा निरंतर कार्य किया जारा हैं
Contact No: +91 9458171717 , +91 9634005333 “जो दे लोगों को सही मार्ग यही है ज्योतिष कार्य” |
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