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Tokyo Olympics: उत्तराखंड सरकार के एजेंडे में नहीं है राष्ट्रीय खेल हॉकी, ढांचागत सुविधाएं तक नहीं !

राष्ट्रीय खेल हॉकी उत्तराखंड सरकार की प्राथमिकताओं में नहीं रहा। यही वजह है कि प्रदेश के खिलाड़ियों को ढांचागत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही है। पूरे राज्य में केवल देहरादून में एकमात्र एस्ट्रो टर्फ है। हालांकि हरिद्वार में एक अन्य एस्ट्रो टर्फ का निर्माण किया जा रहा है। खेल प्रशिक्षकों के 60 फीसदी से अधिक पद खाली हैं। जबकि खेल की नर्सरी कहे जाने वाले स्कूलों में भी खेल के मैदान तक नहीं हैं। प्रदेश की हॉकी एसोसिएशन का कहना है कि हॉकी को बढ़ावा देने के लिए कम से कम हर जिले में एक एस्ट्रो टर्फ होनी चाहिए।

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उत्तराखंड में खेलों के क्षेत्र में युवा सुनहरा करियर बना सकते हैं। खासकर हॉकी के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं, लेकिन खिलाड़ियों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में पर्याप्त एस्ट्रो टर्फ तक नहीं हैं।यदि हर जिले में एक एस्ट्रो टर्फ नहीं बन सकता तो कम से कम पांच से छह एस्टो टर्फ होने चाहिए थे। इसके अलावा खेल प्रशिक्षकों की भी कमी बनी है। खेल विभाग में खेल प्रशिक्षकों के 63 फीसदी पद वर्षों से खाली हैं। कुछ यही हाल शिक्षा विभाग का है। सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चों के खेलने के लिए खेल मैदान तक नहीं हैं।

खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में खेल मैदान न होने से खिलाड़ी हॉकी की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं। पूर्व राज्य खेल समन्वयक चंद्र किशोर नौटियाल के मुताबिक समग्र शिक्षा अभियान के तहत स्कूलों को खेलों के लिए वर्ष भर में 25 हजार रुपये दिए जाते हैं।

इसी बजट से सभी खेलों की तैयारी करनी होती है। पर्वतीय क्षेत्र के स्कूलों में खेल मैदान न होने से छात्र प्रैक्टिस भी नहीं कर पाते। उत्तराखंड हॉकी एसोसिएशन के सचिव किशोर सिंह बफिला बताते हैं कि कुमाऊं मंडल में एक भी एस्ट्रो टर्फ नहीं है। जबकि हर जिले में कम से कम एक-एक एस्ट्रो टर्फ होना चाहिए।

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