चुनावी साल में प्रदेश सरकार बेशक ताबड़तोड़ लुभावनी घोषणाएं कर रही हो, लेकिन राज्य की अर्थव्यवस्था कर्ज के ईंधन से ही चल रही है। इस बात की तस्दीक कैग रिपोर्ट करती है। बृहस्पतिवार को विधानसभा के पटल पर आई कैग रिपोर्ट से सरकार पर बढ़ते कर्ज की हकीकत से पर्दा उठता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च 2020 तक उत्तराखंड सरकार 65,982 करोड़ के कर्ज के तले दब चुकी थी। पिछले पांच सालों में कर्ज का यह ग्राफ लगातार बढ़ा है। कैग ने न सिर्फ राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं बल्कि राज्य सकल घरेलू उत्पाद (एसडीजीपी) में भारी गिरावट का भी खुलासा किया है। यह आंकड़ा कैग ने राज्य सरकार के अर्थ एवं संख्या विभाग की रिपोर्ट के हवाले से दिया है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, सकल राज्य घरेलू उत्पाद की दर 2015-16 में 9.74 प्रतिशत थी, जो 2017-18 में पांच सालों में सबसे अधिक 14.20 फीसदी रही। लेकिन इसके बाद इसमें गिरावट दर्ज हुई।
2019-20 में यह 3.16 प्रतिशत तक गिर गई। मार्च 2020 के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी की जबर्दस्त मार पड़ी। आर्थिक मामलों के जानकारों के मुताबिक, राज्य सरकार को सामाजिक व आर्थिक क्षेत्रों में पूंजीगत खर्च बढ़ाना होगा ताकि राज्य की अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर दिखे।
यूं बढ़ता जा रहा है कर्ज का ग्राफ
वर्ष सरकार पर बकाया ऋण सकल राज्य घरेलू उत्पाद
2015-16 39069 9.74
2016-17 44,583 10.14
2017-18 51,831 14.20
2018-19 58,039 10.35
2019-20 65,982 3.16
(नोट: धनराशि करोड़ में व सकल राज्य घरेलू उत्पाद प्रतिशत में)