थल: बलतिर गांव के नागीमल मंदिर में दी गई गमरा को भाव विह्वल विदाई
थल के बलतिर गांव के नागीमाल मंदिर में सातूं आठूं पर्व में गांव की सैकड़ों महिलाओं ने नम आंखों से गौरा महेश्वर को विदाई दी। आज सायं 4 बजे के बाद गांव की पुष्पा देवी,नीतू देवी,नीमा देवी,गीता देवी,इंद्रा देवी,तुलसी देवी ने सजधज कर आपने अपने घरो में स्थापित गौरा महेश्वर की प्रतिमा को सिर में रखकर लाये।ढ़ोल नगाड़ों के साथ सैकड़ों महिलाओं और पुरुषों का समूह नागीमल मंदिर में पहुंचे।जहां महिलाओं ने चेली गौरा तथा जमाई महेश्वर को भाव विह्वल होकर विदाई दी।
मंदिर में सातूं आठूं पर्व मेले के रूप में धूमधाम से मनाया गया।जहां कुछ दुकानें भी सजी थी। महिलाओं ने छपेली,न्यौली,चैती गीत की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर चांचरी और खेल लगाया।चांचरी खेल में इस बार महिलाओं की संख्या ज्यादा होने से पहले चांचरी घेरे के अंदर एक और चांचरी लगाई गई तथा उसके बाद उत्साहित महिलाओं ने दूसरी जगह एक और चांचरी खेल लगाया।
चांचरी के मुख्य गायन करने वाली महिलाओं में भागीरथी भैसोड़ा,कुमारी दीक्षा,बसंती देवी,देवकी देवी,हीरा देवी,दीपा देवी,नीमा देवी,शशि भैसोड़ा,आनंदी देवी,कविता देवी ने गाया…खाना खाना बड़ मीठा भ्याना भवाली का सेव सबकी दै़ण होया ओ नागीमल देव….,ओ बसंती घास काटिच्छे पुल बादीछे कम….,सहित कई कदम ताल गीतों से नागीमलमंदिर गूंज उठा।ढ़ोलकी की थाप पार्वती भैसोड़ा ने दी। पुरुषों ने भी ठुल खेल लगाया उनका दो डंडे वाला खेल.. चड़कानी भड़कानी पाणी बोलूं गेछे कां मेरी कांछूली कां मेरो जाल… आकर्षण का केंद्र रहा। ठुल खेल लगाने में तेन सिंह चुफाल , पूरन सिंह भैसोड़ा,जगत सिंह भैसोड़ा,सुरेंद्र सिंह भैसोड़ा,राम सिंह भैसोड़ा,हयात सिंह भैसोड़ा,कुंवर सिंह भैसोड़ा,नवराज भैसोड़ा ,गोविंद भट्ट,डीके भट्ट,कैलाश आर्या,दीपक हर्ष,प्रहलाद सिंह भैसोड़ा मुख्य रहे।
मेले के अंत में अवतरित हुवे देव डांगर रेणु भैसोड़ा,राजकुमार,पूरन ने सभी लोगों को बोल वचन के साथ आशीष दिए।मंदिर के पुजारी शैलेन्द्र भैसोड़ा थे।