पिथौरागढ़ का इतिहास (History of Pithoragarh in Hindi) : पिथौरागढ़ को सोर घाटी के नाम से भी जानते हैं। यह अपनी प्राकृतिक भव्यता की वजह से के लिए लाखो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसे छोटा कश्मीर (Mini Kashmir) के नाम से भी जाना जाता है। देवभूमि उत्तराखंड का जिला पिथौरागढ़ काफी समय तक अल्मोड़ा जिले का ही एक हिस्सा रहा है। जिले के रूप में यह पहली बार 24 फरवरी 1960 को अस्तित्व में आया था। उस समय उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। दरअसल चीन के साथ तल्ख रिश्ते की वजह से तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने 1960 में एक ही दिन में 3 नए जिले का गठन किया था। ये तीन जिले – पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी है। ये तीनों जिले सामरिक दृष्टि से काफी लंबे समय तक उत्तराखंड कमिश्नरी के बजाय उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के आधीन हुआ करते थे।
पिथौरागढ़ का प्राचीन नाम सोर घाटी है। सोर का मतलब सरोवर से है। कहा जाता है कि इस घाटी में पहले यहाँ पर सात सरोवर हुआ करते थे। लेकिन वक्त बीतने के साथ-साथ सरोवर के पानी सूख गए और वहां पर एक पठारी जमीन बन गई। इसी के कारण इस प्रकार की भूमि को पिथौरागढ़ के नाम से जाना जाने लगा। ऐसा भी कहा जाता है कि हिमाचल से वहाँ पर एक बड़ी झील थ।
भारत की स्वतंत्रता से पहले पिथौरागढ़ का इतिहास :
स्वतंत्रता के पहले पूर्वी उत्तरांचल क्षेत्र में कत्यूरी, चंद्र, गोरखा और अंग्रेजों का शासन रहा है। इन सभी में सबसे शक्तिशाली और चर्चित राजवंशी कत्यूरियों का ही माना जाता है। कत्यूरी राजवंश की स्थापना बसंत देव ने की थी। उनकी राजधानी कार्तिकेय, जोशीमठ तथा बैजनाथ रही है। कत्यूरी राजवंश के एक पराक्रमी राजा पिथौरा थे, जिन्होंने नेपाल और सीमावर्ती क्षेत्रों के राजाओं को हराकर उस क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। उन्हें प्रीतम देव, राजा राय पिथौराशाही आदि नामों से जाना जाता है। राजा पिथौरा ने अपने साम्राज्य में कई सारे किले बनवाए थे। जिसमें पृथ्वी गढ़ नामक किला एक ऐतिहासिक किला था जो कि पिथौरागढ़ के उत्तरी छोर पर स्थित है। वर्तमान में वह जगह पर राजकीय बालिका इंटर कॉलेज (GGIC) चल रहा है।

कत्यूरी वंश का अंतिम शासक वीरदेव को माना जाता है लेकिन उन्होंने अपनी जनता पर कई तरह के कर लगाकर अत्याचार किये। जिसकी वजह से उनके सेवकों ने उनकी हत्या कर दी और इस तरह कत्यूरी राजवंश बिखर गया। फिर चंद्रवंशी राजाओं में यहां पर स्थाई शासन की नींव डाली। कहा जाता है कि चंद्र वंश के प्रथम राजा राजसोम चंद्र 700-721 ई० में गद्दी पर बैठे। वही कुछ इतिहासकार उनके शासन का प्रारंभ 953 से मानते हैं और कुछ 1261 से मानते हैं। चंद्र वंश के बाद यह क्षेत्र काफी उतार-चढ़ाव से गुजरा। 30 जनवरी 1970 को राजा महेंद्र चंद गोरखाओं से हार गए और नेपाली गोरखाओं ने इस क्षेत्र समेत पूरे उत्तराखंड पर अपना अधिकार कर लिया था। पिथौरागढ़ के किलों में 1790 से 1815 तक नेपाल की गोरखा फौजी रहा करती थी। गोरखा सेना के इस किले में रहने की वजह से ही इसे गोरख्याक किला भी कहा गया।
अंग्रेजों से सिंगरौली संधि के बाद अप्रैल-मई 1815 में कुमाऊं में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की स्थापना की गई, जिसके बाद किले का नाम से बदलकर लंदन फोर्ट कर दिया गया था।
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पिथौरागढ़ का भौगोलिक इतिहास (Geographical History of Pithoragarh in Hindi) –
पिथौरागढ़ के भौगोलिक इतिहास की बात की जाए तो पूरा पिथौरागढ़ जिला पहाड़ो और घाटियों में विभाजित है। पर्वत की ये शृंखलाएँ दक्षिण में कहीं कम तो कहीं अधिक ऊँची है। उनकी इन्हीं प्राकृतिक घाटियों की सुंदरता की वजह से इसे मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य बेहद दिलकश होता है।
कहा जाता है कि यह क्षेत्र हिमालय की तलहटी में होने की वजह से यहां पर कभी साथ सरोवर हुआ करते थे। लेकिन धीरे धीरे ये सरोवर सूख गये। पिथौरागढ़ नगर क्षेत्र की लंबाई 10 किलोमीटर और चौड़ाई 8 किलोमीटर है। यहां प्राकृतिक नालों से संचित सुंदर सीढ़ीनुमा खेत का नजारा देखा जा सकता है। इसके चारों तरफ पहाड़ियों में बसे छोटे-छोटे गांव इस घाटी की सुंदरता को बढ़ा देते हैं।
पिथौरागढ़ की सुंदरता से प्रभावित होकर ही पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी ने इसकी तुलना स्विट्जरलैंड से की थी और इसे मिनी स्विट्जरलैंड के नाम दिया था। पिथौरागढ़ में उत्तरी क्षेत्र में धारचूला मुनस्यारी विकासखंड हैं। सर्दियों के महीने में 6 महीने तक यहां पर बर्फ जमी रहती है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य विश्व विख्यात है। यही वजह है कि पर्वतारोहियों के लिए यह जिला विशेष आकर्षण का केंद्र होता है।
यह उत्तराखंड का पूर्व में स्थित एक सीमान्तर जिला है। इसके उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल, दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व में अल्मोड़ा तथा उत्तर पश्चिम में चमोली जिला स्थित है।
पिथौरागढ़ पांडवों से भी संबंधित रहा है। कहा जाता है कि पांडव इस क्षेत्र में भी आए थे। पिथौरागढ़ में ही पांडु पुत्र नकुल को समर्पित एक मंदिर है। जिसे नकुलेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
पिथौरागढ़ का प्रमुख पर्यटन स्थल –
पिथौरागढ़ में कई सारे पर्यटन स्थल है। जिसमें छोटा कैलाश, नारायण आश्रम, कैलाश मानसरोवर यात्रा पथ, हिमालय पर्वत श्रृंखलाएं प्रमुख है।
पिथौरागढ़ की वर्तमान स्थिति –
पिथौरागढ़ वर्तमान समय में 4 विधानसभा वाला जिला है। लेकिन साल 2007 तक यहां पर 5 विधानसभा थी। इसकी आबादी करीब 5 लाख के आसपास है। यहां अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यहां पर मिलम और रालम जैसे ग्लेशियर और पर्वतारोहण के लिए नंदा देवी पोस्ट है। यहीं पर गंगोलीहाट का प्रसिद्ध कैलाश मंदिर हिंदू उपासक उनके लिए विशेष आस्था का स्थल है। जहां पर कालीका मंदिर के दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु आते रहते हैं। धारचूला से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर नारायण स्वामी आश्रम है। कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा पर जाने वाले यात्री इस जिले से होकर गुजरते हैं।