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कारगिल युद्ध के जांबाज पूर्व सैनिक हयात सिंह देऊपा का लोगों ने थल में किया सम्मान

उत्तराखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता है। देश की हिफाजत के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा सबसे आगे रहते हैं।कारगिल युद्ध भारतीय सौनिकों के पराक्रम,अदम्य साहस,शौर्य और बलिदान की सच्ची वीरगाथा है।आज कारगिल विजय दिवस पर 1999 में द्रास सेक्टर पर दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले पूर्व गौरव सेनानी हयात सिंह देऊपा को थल में युवकों ने उन्हें सम्मानित किया।

विजयी दिवस के जयघोष के बीच युवकों ने केक काटकर उन्हें खिलाया और फूल मालाओं से उनका सम्मान किया।पूर्व सैनिक ने युवकों को अपने बटालिन 2 नागा रेजीमेंट के वीरता की सच्ची गाथा सुनाई।युवकों ने उनके अदम्य शौर्य की भूरि भूरि प्रशंसा की। उन्होंने युवकों को बताया वे द्रास सेक्टर में पहाड़ी की तरफ मोर्चा लेने जा रहे थे।

दुश्मन की बमबारी के बीच वो सरहद पर डटे रहे जिसमें वो घायल हो गए थे। 22 साल पूर्व कारगिल युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने थल के रुगाती गांव के निवासी 46 वर्षीय जांबाज सैनिक हयात सिंह देऊपा 1992 में रानीखेत से 2 नागा रेजीमेंट में भर्ती हुवे थे।वो अपने यूनिट दिल्ली से 2008 में सेवानिवृत्त हुवे हैं।उन्हें सम्मानित करने वालों में दीपक भैसोड़ा,सुंदर मेहता,रतन चौहान,दीपक सामंत,देवराज भैसोड़ा,सुरेंद्र सिंह देऊपा,महेश जोशी,अशोक कुमार,दिनेश सत्याल,धर्मेंद्र चौहान सहित कई लोग मौजूद रहे।

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