Kedarnath Dham | हिमालय पर्वत की गोद में बसा केदारनाथ धाम

केदारनाथ मन्दिर (Kedarnath Temple) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास (History of Kedarnath Temple)-

केदारनाथ की बड़ी महिमा है। उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ और केदारनाथ-ये दो प्रधान तीर्थ हैं, दोनो के दर्शनों का बड़ा ही माहात्म्य है। केदारनाथ के संबंध में लिखा है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है और केदारनापथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश पूर्वक जीवन मुक्ति की प्राप्ति बतलाया गया है।

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इस मन्दिर की आयु के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, पर एक हजार वर्षों से केदारनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा रहा है। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार ये १२-१३वीं शताब्दी का है। ग्वालियर से मिली एक राजा भोज स्तुति के अनुसार उनका बनवाय हुआ है जो १०७६-९९ काल के थे। एक मान्यतानुसार वर्तमान मंदिर ८वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया जो पांडवों द्वारा द्वापर काल में बनाये गये पहले के मंदिर की बगल में है। मंदिर के बड़े धूसर रंग की सीढ़ियों पर पाली या ब्राह्मी लिपि में कुछ खुदा है, जिसे स्पष्ट जानना मुश्किल है। फिर भी इतिहासकार डॉ शिव प्रसाद डबराल मानते है कि शैव लोग आदि शंकराचार्य से पहले से ही केदारनाथ जाते रहे हैं। १८८२ के इतिहास के अनुसार साफ अग्रभाग के साथ मंदिर एक भव्य भवन था जिसके दोनों ओर पूजन मुद्रा में मूर्तियाँ हैं। “पीछे भूरे पत्थर से निर्मित एक टॉवर है इसके गर्भगृह की अटारी पर सोने का मुलम्मा चढ़ा है। मंदिर के सामने तीर्थयात्रियों के आवास के लिए पण्डों के पक्के मकान है। जबकि पूजारी या पुरोहित भवन के दक्षिणी ओर रहते हैं। श्री ट्रेल के अनुसार वर्तमान ढांचा हाल ही निर्मित है जबकि मूल भवन गिरकर नष्ट हो गये। केदारनाथ मन्दिर रुद्रप्रयाग जिले में है|

कैसे पहुंचे केदारनाथ (How to Reach Kedarnath)-

केदारनाथ पहुंचने के लिए अगर आप रेल मार्ग अपनाना चाहते हैं तो ऋषिकेश रेलवे स्‍टेशन निकटतम रेलवे स्‍टेशन है। यहां से टैक्‍सी का सहारा लेकर गौरीकुंड पहुंचेंगे इसके बाद वहां से केदारनाथ धाम। अगर आप बस परिवहन से जाना चाहते हैं तो आप पहले गौरीकुंड पहुंचेंगे। इसके बाद आपको यहां से केदारनाथ जाने के साधन मिल जाएंगे।

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केदारनाथ यात्रा (Trip to Kedarnath)-

केदारनाथ मंदिर की उद्घाटन तिथि अक्षय तृतीया के शुभ दिन और महा शिवरात्रि पर हर साल घोषित की जाती है। और केदारनाथ मंदिर की समापन तिथि हर वर्ष नवंबर के आसपास दिवाली त्योहार के बाद भाई दूज के दिन होती है। इसके बाद मंदिर के द्वार शीत काल के लिए बंद कर दिए जाते हैं।

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केदारनाथ में मौसम (Wether in Kedarnath)-

समुद्र तल से साढ़े तीन हजार मीटर ऊंचाई पर बसे केदारनाथ धाम का मौसम अक्सर ठंडा रहता है। लेकिन आप यह जानकार चौंक जाएंगे की इस ठंडे इलाके में भी तीर्थयात्री गरमी से हांफने लगे हैं।

केदारनाथ आने के लिये उपर्युक्त (Best time to visit Kedarnath)-

केदारनाथ आने के लिये मई से अक्टूबर का समय सबसे आदर्श माना जाता है। जीएमवीएन के गेस्ट हाउस के अलावा यहां कई साफ-सुथरी धर्मशालाएं भी हैं। इसके आलवा आपको गौरीकुंड से केदारनाथ तक मुफ्त लंगर मिलेंगे, जबकि ठहराव के लिए टेंट की व्यवस्था है

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केदारनाथ के कपाट कब खुलेंगे-

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दीपावली महापर्व के दूसरे दिन (पड़वा) के दिन शीत ऋतु में मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं। 6 माह तक दीपक जलता रहता है। पुरोहित ससम्मान पट बंद कर भगवान के विग्रह एवं दंडी को 6 माह तक पहाड़ के नीचे ऊखीमठ में ले जाते हैं। 6 माह बाद अप्रैल और मई माह के बीच केदारनाथ के कपाट खुलते हैं तब उत्तराखंड की यात्रा आरंभ होती है।

6 माह मंदिर और उसके आसपास कोई नहीं रहता है, लेकिन आश्चर्य की 6 माह तक दीपक भी जलता रहता और निरंतर पूजा भी होती रहती है। कपाट खुलने के बाद यह भी आश्चर्य का विषय है कि वैसी ही साफ-सफाई मिलती है जैसे छोड़कर गए थे।केदारनाथ मंदिर के कपाट को परंपरागत तरीके और फूलों से सजाया जा रहा है. इसके कपाट को खोले जाने का समय आ गया है. केदारनाथ मंदिर भगवान शंकर का धाम है. मुख्य द्वार खुलने पर मंदिर के मुख्य पुजारी सहित केवल 16 लोग उपस्थित रहते हैं. लॉकडाउन लागू होने के कारण मंदिर में अब भक्तों के लिए ‘दर्शन’ की अनुमति नहीं होगी. केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है|

केदारनाथ हेलीकॉप्टर यात्रा (Kedarnath helicopter service)-

लंबे समय के बाद भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए हवाई सेवा शुरु हो गई है. ऐसे में भारत सरकार का उपक्रम पवन हंस लिमिटेड उत्तराखंड के केदारनाथ के लिए एक दैनिक हेलीकाप्टर उड़ान सेवा प्रदान करता है. पवन हंस की बुकिंग वेबसाइट Pawanhans.co.in के अनुसार, पवन हंस के पास उत्तराखंड के फाटा से केदारनाथ के बीच हेलीकॉप्टर कनेक्टिविटी सेवाओं के संचालन का ठेका है. पवन हंस ने इस महीने की शुरुआत में ही हवाई यात्रा के लिए बुकिंग खोली थी. पवन हंस बुकिंग पोर्टल के अनुसार फाटा से केदारनाथ और केदारनाथ से वापस फाटा के लिए  प्रति व्यक्ति किराया 4,798 रुपये है.

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पवन हंस प्रतिदिन फाटा से केदारनाथ के लिए 12 हेलीकॉप्टर उड़ानें प्रदान करता है. पवन हंस की वेबसाइट के अनुसार, इन 12 उड़ानों में से नौ उसी दिन वापस लौट जाती हैं, जबकि तीन अगले दिन फाटा लौटती हैं. केदारनाथ के लिए पहली उड़ान सुबह 6:50 बजे फाटा से रवाना होती है और सुबह 7:00 बजे केदारनाथ पहुंचती है. फाटा के लिए वापसी की उड़ान केदारनाथ से दोपहर 12:40 बजे रवाना होती है और उसी दिन दोपहर 12:50 बजे फाटा पहुंचती है.

यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए केदारनाथ से फाटा के लिए वापसी की उड़ानों में लगभग छह घंटे का अंतराल दिया गया है. ताकि वे आसानी से तीर्थ यात्रा कर सकें और फिर वापस हेलीकॉप्टर से फाटा लौट सकें. अगले दिन फाटा से केदारनाथ के लिए वापसी की उड़ान सुबह 11:40 बजे रवाना होती है.

भगवान की पूजाओं के क्रम में प्रात:कालिक पूजा, महाभिषेक पूजा, अभिषेक, लघु रुद्राभिषेक, षोडशोपचार पूजन, अष्टोपचार पूजन, सम्पूर्ण आरती, पाण्डव पूजा, गणेश पूजा, श्री भैरव पूजा, पार्वती जी की पूजा, शिव सहस्त्रनाम आदि प्रमुख हैं। मन्दिर-समिति द्वारा केदारनाथ मन्दिर में पूजा कराने हेतु जनता से जो दक्षिणा (शुल्क) लिया जाता है, उसमें समिति समय-समय पर परिर्वतन भी करती है।

मुझे लगता है कि आप सभी को एक बार केदारनाथ की यात्रा करनी चाहिए  और आपको अगर यह लेख अच्छा लगा तो लाइक शेयर और कमेंट करें

 

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Piyush Kothyari

Hi there, I'm Piyush, a proud Uttarakhand-born author who is deeply passionate about preserving and promoting the culture and heritage of my homeland. I am Founder of Lovedevbhoomi, Creative Writer and Technocrat Blogger.

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