उत्तराखंड में टैक्सी चालक की बेटी बनी,DRDO में वैज्ञानिक
उत्तराखंड में टैक्सी चालक की बेटी बनी,DRDO में वैज्ञानिक
उत्तराखंड देवभूमि की एक बेटी ने एक बार फिर से उत्तराखंड के गौरव को उजागर की है। आपको बता दें कि रुद्रप्रयाग में टैक्सी चालक हीरा सिंह कंडारी की बेटी रीना कंडारी ने अपने पिता का नाम रोशन नही कि बल्कि पूरा उत्तराखंड का नाम रोशन कि है। रीना कंडारी का सलेक्शन रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) बेंगलुरु में राजपत्रित अधिकारी के पद पर हुआ है। रीना की इस कामयाबी ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया है, कि बेटीयाँ बेटे से कम नही होती है।
आपको बता दें कि रीना कंडारी धनपुर क्षेत्र के पीड़ा-खैरपाणी गांव की रहने वाली है।रीना के पिताजी बहुत सालों से टैक्सी चलाने का काम करते हैं।टैक्सी चलाने के बावजूद भी रीना कंडारी के पिता ने कभी अपनी बेटी की पढ़ाई में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।
जिस तरह रीना के पिता ने रीना की पढ़ाई के लिए दिन-रात टैक्सी चलाकर पैसे इकट्ठे किए। उसी तरह रीना ने भी पढ़ने में खूब मन लगाई। कङी मेहनत के बाद रीना अब रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन में अपनी सेवाएं दे रही है। आपको बता दे की DRDO भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिए जाना जाता है।यह संगठन रक्षा मंत्रालय की आनुषांगिक इकाई के रूप में काम करता है।
बचपन से ही रीना कंडारी पढने मे होनहार थी
जानकारी के लिए आपको बता दे की रीना कंडारी शुरू से ही पढ़ने में बहुत तेज और होनहार थी। रीना कंडारी रुद्रप्रयाग के माई गोविंद गिरी विद्या मंदिर से हाईस्कूल और जीजीआईसी रुद्रप्रयाग से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। जानकारी मिली है कि पढ़ने में इतना तेज होने के बावजूद भी रीना कंडारी उत्तराखंड के हाईस्कूल मेरिट लिस्ट में 20वां और इंटरमीडिएट में 10वां स्थान हासिल कि थी।
उसके बाद रीना कंडारी ने पंतनगर विश्वविद्यालय से कंप्यूट साइंस में बीटेक करने के बाद रीना कंडारी पिछले दो सालों से पौढ़ी गढ़वाल में सूचना और विज्ञान अधिकारी के पद पर नौकरी कर रही थी। इसी दौरान रीना कंडारी का चयन DRDO में हुआ।
रीना कंडारी के पिता का इस तरह हुआ स्वागत
आपको बता दें कि रीना कंडारी की इस सफलता के कारण रीना के टैक्सी चलाने पिता का मंदाकिनी टैक्सी यूनियन के सभी सदस्यों ने बड़ी खुशी के साथ फूल मालाओं से स्वागत किया। सभी टैक्सी चालक ने कहा कि रीना ने जो सफलता प्राप्त की है।उससे हम टैक्सी चालकों का गौरव बढ़ गया है।
गरीब छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सरकार की तरफ से दी जाएगी, 50 हजार की आर्थिक सहायता