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चितई गोलू देवता मन्दिर : न्याय का मंदिर | Chitai Golu Temple

Chitai Golu Temple

चितई गोलू देवता मन्दिर

देवभूमि उत्तराखंड धार्मिक स्थलों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है इन धार्मिक स्थलों की लोकप्रियता विदेशो तक मशहूर है । आज हम आपको एक ऐसे ही धार्मिक स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको न्याय का देवता भी कहा जाता है। यह धार्मिक स्थल अल्मोड़ा जिले में स्थित चितई गोलू देवता का मंदिर है। इस मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ , लगातार गुंजती घंटों की आवाज और यहां पर लगी अनगिनत चिठियों से ही गोलू देवता की लोक प्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। ये मंदिर उत्तराखण्ड के चमत्कारी मंदिरों में से एक है। चितई गोलू देवता के मन्दिर का निर्माण 17 वी शताब्दी में हुआ। इसे घंटियों और चिठियों वाला मन्दिर भी कहा जाता है। गोलू देवता को भगवान शिव के रूप में देखा जाता है।

Source: Google Search

चितई मन्दिर अल्मोड़ा नगर से 12 किलो मीटर की दूरी पर अल्मोड़ा पिथौरागढ़ मार्ग में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहां के गोलू देवता मनोकामना को बहुत शीघ्र पूरा करने के साथ न्याय भी शीघ्र देते हैं इसलिए इन्हे न्याय का देवता और इस स्थल को सर्वोच्च न्यायालय भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिसको कहीं भी न्याय नहीं मिलता है वो अगर अपनी दुविधा एक चिट्ठी में लिखकर इस मंदिर में लगा दे तो न्याय के देवता उसे तुरंत न्याय दिला देते हैं। इस मंदिर में मन्नत या इच्छा पूरी होने पर भक्तजन यहां पर घंटियां चढ़ाते हैं और अपने द्वारा बांधी गई चुनरी खोलते है लेकिन काफी सारी चुनरिया होने के कारण अपने द्वारा बांधी गई चुनरी ढूंढ़ना बहुत मुश्किल होता है तो प्रतीक स्वरूप किसी भी चुनरी को उतार लिया जाता है।

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इस मंदिर के अंदर घोड़े पर सवार हाथ में धनुष बाड़ लिये गोलू देवता की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। गोलू देवता को गौर भैरव के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि ये शिव के अवतार है। गोलू देवता को दूध, दही, घी, पूरी, हलवा चढ़ाया जाता है इसके साथ ही साथ श्रद्धालु सफेद रंग के शाल, पगड़ी व वस्त्र गोलू देवता को चढ़ाते है। इस मन्दिर में विवाह भी सम्पन्न होते है।

इस मन्दिर में भी अन्य पर्वतीय मंदिरों की तरह काफी बन्दर आपका स्वागत करेंगे। आपको इनसे थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है वैसे तो ये आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाते है पर आपके हाथ से ये प्रसाद की थाली छीन सकते है इसलिए प्रसाद की थाली को सावधानी पूर्वक ले जाए और फिर भी यदि कोई बन्दर प्रसाद ले जाए तो उसे ले जाने दे क्योंकि काफी सारे बन्दर फलदार वृक्ष कम होने की वजह से इस तरह के प्रसाद पर निर्भर होते है। ये माना जाता है कि गोलू देवता ही उनके लिए परोक्ष रूप से भोजन की व्यवस्था कर रहे है।

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गोलू देवता का ये मन्दिर चीड के घने जंगलों के बीच में स्थित है। पूर्व में चितई मन्दिर में मन्नत पूरी होने पर पशुओं की बलि दी जाती थी और नवरात्रि में मन्दिर मे काफी संख्या में श्रद्धालु पशु बलि देते थे पर अभी कुछ वर्ष पहले सुधिजनों और संवेदनशील लोगो द्वारा इस क्रूर प्रथा पर रोक लगा कर सराहनी कदम उठाया गया।

चितई गोलू देवता मन्दिर से अल्मोड़ा हल्द्वानी मार्ग में लगभग 1 किलो मीटर की चढ़ाई के बाद सड़क के दायी ओर श्री डाना गोलू देवता का मन्दिर है। यहां की ऐसी मान्यता है कि चितई गोलू देवता की पूजा करने के बाद श्री डाना गोलू देवता के दर्शन करने से ही चितई गोलू देवता के दर्शन पूरे माने जाते है इसलिए अगर आप कभी चितई गोलू देवता मंदिर के दर्शन करने आए तो श्री डाना गोलू देवता के दर्शन भी जरूर करे।

आशा करता हूं कि आपको ये लेख अवश्य पसंद आया होगा। आगे पढ़े गंगोलीहाट : हाट कालिका मंदिर आम जनमानस के साथ सेना के जवानो का भी है आस्था का केंद्र

लेखिका ::

Divya rani

The writer has studied from Kumaun University Nanital.  Her interests include, to spread  Uttarakhand culture .

 

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