उत्तराखंड में ब्लैक फंगस महामारी घोषित, अब तक 7 लोगों की हुई मौत

Black fungus epidemic in Uttarakhand

 उत्तराखंड में कोरोना वायरस के बाद ब्लैक फंगस (Black Fungus) ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। कोरोना वायरस के मरीजों के साथ-साथ ब्लैक फंगस के मरीज भी बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार उत्तराखंड में 22 मई तक ब्लैक फंगस से अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है। उत्तराखंड के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में भी इस बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है।

राज्य सरकार ने आदेश जारी करते हुए ब्लैक फंगस को भी महामारी (Black fungus Epidemic in Uttarakhand) घोषित कर दिया है। अब तक उत्तराखंड में ब्लैक फंगस से 65 मरीज संक्रमित पाए गए हैं।

हर अस्पताल देनी होगी सूचना – 

ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के बाद अब राज्य के सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को इस बीमारी के मरीजों के बारे में राज्य के सीएमओ कार्यालय में जानकारी देनी पड़ेगी। साथ ही कोरोना वायरस से जुड़े सभी नियम ब्लैक फंगस महामारी पर भी लागू होंगे। कोई भी अस्पताल इस बीमारी के इलाज से इनकार नहीं कर सकता है। जरूरत पड़ने पर सरकार द्वारा अस्पतालों को अपने नियंत्रण में करके उन्हें डेडिकेटेड अस्पताल भी घोषित किया जा सकता है।

 राज्य में ब्लैक फंगस का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। एम्स ऋषिकेश में अब तक 61 मरीज सामने आ चुके हैं। जिनमें से दो मरीजों की मौत हो चुकी है। प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस के 65 मरीज सामने आ चुके हैं। कोरोना वायरस के बाद ब्लैक संगत से निपटना एक बड़ी चुनौती है। 

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राज्य में दवा का अभाव –

उत्तराखंड राज्य में ब्लैक फंगस की दवा एम्फोटेरेसिन बी उपलब्ध नही है और राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से 50 इंजेक्शन खरीदने के लिए मंजूरी दी थी। लेकिन यह इंजेक्शन समाप्त हो गए हैं। अब स्वास्थ्य महानिदेशालय या अस्पतालों में यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। उत्तराखंड के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ तृप्ति बहुगुणा ने बताया है कि प्रदेश सरकार ने ने केंद्र से 500 इंजेक्शन की डिमांड की है। इसके अलावा एम्स के लिए भी 7500 इंजेक्शन मांगे गए हैं। बताया जा रहा है कि दवा आते ही मरीजों को आवंटित कर दी जाएगी।

 बता दें कि राज्य में ब्लैक संघर्ष के बढ़ते प्रकोप के चलते प्राइवेट अस्पतालों को यज दवा नहीं दी जाएगी। सरकार ने इस बीमारी के इलाज और दवा आपूर्ति के लेकर एपीओ को आदेश जारी किया है और कहा है कि यह दवा केवल मेडिकल कालेज और जिला अस्पतालों को दी जाएगी। बता दें कि देशभर में ब्लैक फंगस की दवा एम्फोटेरेसिन बी की कमी देखी जा रही है। ऐसे में राज्य सरकार प्रदेश में ही इस दवा के उत्पादन पर निर्भर है।

ब्लैक फंगस क्या है? (What is Black Fungus) – 

ब्लैक फंगस को म्युकरमाइकोसिस के नाम से भी जाना जाता है। यह एक फंगल इंफेक्शन है, जो कि कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके मरीजों में देखने को मिल रहा है। जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है उन लोगों में यह संक्रमण आसानी से फैल सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, जिन्हें डायबिटीज है या कैंसर है या जिन लोगों की इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कम है, उनमे यह संक्रमण आसानी से फैल सकता है।

Black fungus epidemic in Uttarakhand
Black fungus epidemic in Uttarakhand

इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ खास मरीजों में ही ब्लैक फंगस का खतरा है। विशेषकर के जिनको अनियंत्रित डायबिटीज है, रेस्टोरेंट की वजह से उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हुआ है, लगातार काफी लंबे समय से आईसीयू में एडमिट रहे हैं, या किसी गंभीर फंगल इन्फेक्शन का इलाज हुआ है, ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस होने का खतरा अधिक है।

ब्लैक फंगस के लक्षण –

ब्लैक फंगस के निम्नलिखित लक्षण है।

  • मरीज को तेज बुखार होना 
  • नाक बंद होना
  • सिर दर्द होना
  • आंखों में दर्द होना
  • आंखें लाल होना और दृष्टि का कम होना 
  • नाक से खून आना 
  • नाक के अंदर कालापन होना
  • दांतों का ढीला हो जाना
  • जबड़े में परेशानी होना 
  • चेस्ट में दर्द होना

ब्लैक फंगस से कैसे करे बचाव – 

  • कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों के ब्लड शुगर की निगरानी करना
  • स्टेरॉयड के इस्तेमाल के समय और डोज व समय का ध्यान रखना
  • एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना 
  • ब्लैक फंगस के लक्षण नजर आने पर इसे नजरअंदाज न करना और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना।

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