सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थल राम गंगा नदी में 1962 में बना यह पुल का लेंटर में पड़ने लग गई है दरारें,

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थल राम गंगा नदी में 1962 में बना
यह पुल का लेंटर में पड़ने लग गई है दरारें,
फोटो—थल राम गंगा नदी में बने पुल के लेंटर में पड़ी दरारें,
जिला मुख्यालय से करीब 55 किमी दूर थल स्थित रामगंगा नदी पर बना मोटर पुल जर्जर हाल में है। पुल के लेंटर अब ऊपर से भी अब सीमेंट टूट चुका है, और पूरे पुल में ऊपर से लेंटर में बड़ी बड़ी दरारें आ गई है, साथ ही पुल ने नीचे भी सरिया दिखने लगी है। वाहनों के आवागमन पर पुल कंपन करने लगा है। हर रोज इस पुल से सैकड़ों वाहन आवागमन करते हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। विभाग की यह लापरवाही कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान सामरिक दृष्टि से रामगंगा नदी पर 68.50 मीटर लंबे मोटर पुल का निर्माण कार्य किया गया। यह पुल मुनस्यारी, धारचूला, बेरीनाग, पिथौरागढ़, हल्द्वानी, बागेश्वर, ग्वालदम को जोड़ता है। इसके अलावा स्थानीय जनता के आवागमन के लिए भी यह एक मात्र पुल है, मगर वर्तमान में देखरेख के अभाव में यह पुल दयनीय हालत में है। पुल के वेयरिग नट बोल्ट व प्लेट में जंग लग चुका है। पुल के फर्श के निचले हिस्से से सीमेंट टूट कर गिरने लगा है। एक वाहन के गुजरने पर ही पुल कंपन्न करने लगता है। कई बार तो पुल पर जाम की स्थिति तक पैदा हो जाती है। इस पुल की देखरेख का जिम्मा लोनिवि डीडीहाट के पास है। कई बार विभाग को आगाह करने के बाद भी अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। हालांकि विभाग द्वारा पुल पर चेतावनी बोर्ड लगाया गया है, जिसमें भारी वाहनों के लिए प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है, मगर नियम का पालन कराने के लिए किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जिस कारण पुल में धड़ल्ले से एक साथ कई भारी वाहन आवागमन करते हैं।
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